"अपराध शास्त्र": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
[[समाज]] जिसमें व्यक्ति रहता है, [[मानवीय]] [[समाज]] कहलाता है। मानवीय समाज में मानवीय [[नियम]] और [[कानून]] [[समाज]] [[व्यवस्था]] को चलाने के लिये अलग-अलग [[समाज]] के लिये बनाये जाते है.बनेहै।बने हुए सामाजिक नियमों को तोडने को अपराध की श्रेणी में गिना जाता है। सामाजिक नियमों में [[आर्थिक]], [[राजनैतिक]], [[धार्मिक]] और [[मानवीय]] [[रहन सहन]] के [[नियम]], विभिन्न [[समय]] और सभ्यताओं के अनुसार प्रतिपादित किये जाते हैं।
 
अपराध जिस समय मानव समाज की रचना हुई अर्थात्‌ मनुष्य ने अपना समाजिक संगठन प्रारंभ किया, उसी समय से उसने अपने संगठन की रक्षा के लिए नैतिक, सामाजिक आदेश बनाए। उन आदेशो का पालन मनुष्य का 'धर्म' बतलाया गया। किंतु, जिस समय से मानव समाज बना है, उसी समय से उसके आदेशों के विरुद्ध काम करनेवाल भी पैदा हो गए है और जब तक मनुष्य प्रवृति ही न बदल जाए, ऐसे व्यक्ति बराबर होते रहेंगे।