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'''अविश्वास का प्रस्ताव''' (वैकल्पिक रूप से '''अविश्वास''', '''निंदा प्रस्ताव''', '''अविश्वास प्रस्ताव''' या '''विश्वास प्रस्ताव पर मतदान''' ) एक संसदीय प्रस्ताव है, जिसे पारंपरिक रूप से विपक्ष द्वारा [[भारत की संसद|संसद]] में एक सरकार को हराने या कमजोर करने की उम्मीद से रखा जाता है या दुर्लभ उदाहरण के रूप में यह एक तत्कालीन समर्थक द्वारा पेश किया जाता है, जिसे सरकार में विश्वास नहीं होता. यह प्रस्ताव नये संसदीय मतदान (''अविश्वास का मतदान'' ) द्वारा पारित किया जाता है या अस्वीकार किया जाता
ब्रिटिश संसद में आम तौर पर यह पहले दिन के प्रारंभ में पेश होने वाले प्रस्ताव जैसा लगता है, हालांकि महारानी के अभिभाषण पर वोट भी किसी विश्वास प्रस्ताव का गठन करता
== संक्षिप्त विवरण ==
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इस प्रक्रिया को या तो संवैधानिक परंपरा के माध्यम से औपचारिक रूप दिया जाता है, जैसा कि [[संयुक्त राजशाही (ब्रिटेन)|ब्रिटेन]], [[कनाडा]] और [[ऑस्ट्रेलिया]] {{Citation needed|date=October 2009}} जैसे वेस्टमिनिस्टर शैली की संसदों में होता है या [[जर्मनी]] और [[स्पेन]] जैसे देशों के मामलों में स्पष्ट रूप से लिखे गये संविधान के जरिये.{{Citation needed|date=October 2009}}
एक वेस्टमिनिस्टर प्रणाली में, अगर सरकार खुद इस्तीफा देने का फैसला करती है या मजबूर होती है तो सम्राट या वायसराय आधिकारिक विपक्षी दल से पूछ सकते हैं कि क्या वह सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। इसके लिए दलों के एक गंठबंधन या समर्थन के एक समझौते की आवश्यकता हो सकती है, ताकि विपक्षी पार्टी को इतनी संसदीय सीटें मिल जायें कि वह अपने खिलाफ लाये गये किन्हीं विश्वास संबंधी चुनौतियों को झेल सके. अगर ऐसा नहीं किया जा सकता है तो संसद भंग कर दी जाती है और आम चुनाव की घोषणा की जाती
जहां एक सरकार ने ''जिम्मेदार'' सदन का विश्वास खो दिया हो (यानी, सीधे निर्वाचित निचला सदन, जो इसे चुन सकता हैं और भंग कर सकता है, है; कुछ राज्यों में संसद के दोनों सदन जिम्मेदार होते हैं), तो राष्ट्र प्रमुख को संसद भंग करने का अनुरोध ठुकराने का संवैधानिक अधिकार हो सकता है, इसलिए तत्काल इस्तीफे के लिए मजबूर कर सकते हैं।
अक्सर, महत्वपूर्ण विधेयक विश्वास मत की तरह होते हैं, जब सरकार ऐसा घोषित करे. इसका उपयोग असंतुष्ट संसद सदस्यों को इसके खिलाफ मतदान करने से रोकने के लिए किया जा सकता
वेस्टमिनिस्टर प्रणाली में, आपूर्ति बिल के गरिने (जो धन के खर्च से संबंधित होता है) से स्वत: (परंपरागत रूप से) सरकार के इस्तीफे या संसद को भंग करने की आवश्यकता होती है, बहुत कुछ अविश्वास मतदान की तरह, क्योंकि जो सरकार पैसा नहीं खर्च कर सकती, वह पंगु हो जाती
जहां वेस्टमिनिस्टर प्रणाली वाले देश के ऊपरी सदन को आपूर्ति से इनकार करने का अधिकार है, जैसा कि ऑस्ट्रेलिया में 1975 की घटनाओं के दौरान हुआ था, वहां परंपरा एक मोटे तौर पर परिभाषित क्षेत्र बन जाता है, क्योंकि वेस्टमिनिस्टर सरकारों से आम तौर पर ऊपरी सदन में विश्वास बहाल रखने की उम्मीद नहीं की जाती.
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इस प्रक्रिया में बहुत सारे बदलाव होते हैं।
उदाहरण के लिए [[जर्मनी]], [[स्पेन]] व [[इज़रायल|इसराइल]] में एक अविश्वास मत में इस बात की आवश्यकता होती है कि विपक्ष उसी मतपत्र पर खुद के अपने उम्मीदवार का प्रस्ताव रखें, जिसकी वे राज्य का प्रमुख होने के लिए संबंधित राष्ट्र प्रमुख द्वारा नियुक्ति चाहते हैं। इस तरह अविश्वास का प्रस्ताव भी उसी समय पेश किया जाता है, जब नये उम्मीदवार (इस बदलाव को अविश्वास के लिए रचनात्मक मतदान कहा जाता है) के लिए विश्वास मत पेश होता
सरकार में कोई अविश्वास प्रस्ताव सामूहिक रूप से या प्रधानमंत्री सहित किसी व्यक्तिगत सदस्य द्वारा प्रस्तावित किया जा सकता
कनाडा के नॉर्थवेस्ट टेरीटॉरिज एंड नूनावुट [[कनाडा]] के आम सहमति वाली सरकारी प्रणाली में, जहां प्रधानमंत्री को गैर-दलीय विधायिका के सदस्यों के बीच में से व उनके द्वारा चुना जाता हैं, अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कर प्रधानमंत्री और कैबिनेट को हटाया जा सकता है और इसके सदस्यों को नए प्रधानमंत्री के चुनाव की अनुमति होती
=== राष्ट्रपति प्रणाली ===
राष्ट्रपति प्रणाली में विधायिका कभी-कभी अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकती है, जैसा कि 1950 में संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश सचिव डीन एचेसन के खिलाफ किया गया था और हाल में अमेरिकी अटार्नी जनरल अल्बर्टो गोंजालिस के खिलाफ सोचा गया था, लेकिन इन प्रस्तावों का केवल प्रतीकात्मक प्रभाव ही
[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], [[कनाडा]]{{Citation needed|date=November 2010}} और [[वेनेज़ुएला|वेनेजुएला]] के कुछ भागों में वापस बुलाने वाले चुनाव के जरिये अलोकप्रिय सरकार को हटाने की समान भूमिका अदा करता है, लेकिन, अविश्वास प्रस्ताव के विपरीत इस मतदान में सारे मतदाता शामिल होते
कई राज्य विधानसभाओं को ऐसे ही प्रस्तावों के जरिये अपने सदस्यों को नेतृत्व वाले पदों से हटाने की शक्ति प्राप्त
== इतिहास ==
{{See also|List of prime ministers defeated by votes of no confidence}}
पहला अविश्वास प्रस्ताव मार्च 1782 में पेश किया गया था, जब पिछले अक्टूबर में अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध में योर्कटाउन में ब्रिटिश की हार की खबर मिली थी और ग्रेट ब्रिटेन की संसद ने वोट दिया है कि वे "वर्तमान मंत्रियों में अब और विश्वास नहीं करते". प्रधानमंत्री लॉर्ड नार्थ को किंग जार्ज तृतीय से उनका इस्तीफा स्वीकार करने के लिए कहा
यूनाइटेड किंगडम में कुल 11 प्रधानमंत्रियों को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से हराया गया. 1925 के बाद से केवल एक (जेम्स कैलेघान के खिलाफ) मामला ऐसा हुआ
आधुनिक समय में दो दलीय लोकतांत्रिक देशों में एक अविश्वास प्रस्ताव का पारित होना एक अपेक्षाकृत दुर्लभ घटना
अविश्वास प्रस्ताव बहुदलीय प्रणालियों में ज्यादा आम हैं, जिनमें एक अल्पसंख्यक दल को गंठबंधन सरकार बनानी पड़ती
इस स्थिति से निपटने के लिए फ्रांसीसियों ने फ्रांस के राष्ट्रपति को भारी कार्यकारी शक्तियां दीं, जिससे कि उन्हें अविश्वास प्रस्ताव से प्रतिरक्षा हासिल हो सके.
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