"आर्य": अवतरणों में अंतर
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== आर्य धर्म और संस्कृति ==
आर्य शब्द का अर्थ है प्रगतिशील,
आर्य धर्म प्राचीन आर्यों का धर्म और श्रेष्ठ धर्म दोनों समझे जाते हैं। प्राचीन आर्यों के धर्म में प्रथमत: प्राकृतिक देवमण्डल की कल्पना है जो [[भारत]],में पाई जाती रही है..इसके बाद पहले के युग में भारत से कुछ आर्यन्स भारत से बाहर चले गये
सामाजिक अर्थ में "आर्य' का प्रयोग पहले संपूर्ण मानव के अर्थ में होता था। कभी-कभी इसका प्रयोग सामान्य जनता विश के लिए ("अर्य' शब्द से) होता था। फिर अभिजात और श्रमिक वर्ग में अंतर दिखाने के लिए आर्य वर्ण और शूद्र वर्ण का प्रयोग होने लगा। फिर आर्यों ने अपनी सामाजिक व्यवस्था का आधार वर्ण को बनाया और समाज चार वर्णों में वृत्ति और श्रम के आधार पर विभक्त हुआ। ऋक्संहिता में चारों वर्णों की उत्पत्ति और कार्य का उल्लेख इस प्रकार है:-
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