"आशा भोसले": अवतरणों में अंतर

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16 वर्ष की उम्र में अपने 31 वर्षीय प्रेमी ‘गणपत राव भोसले’ (1916-1966) के साथ घर से पलायन कर पारिवारिक इच्छा के विरूद्ध विवाह किया। गणपत राव लता जी के निजी सचिव थे। यह विवाह असफल रहा। पति एवं उनके भाइयों के बुरे वर्ताव के कारण इस विवाह का दु:खान्त हो गया। 1960 के आसपास विवाह विच्छेद के बाद आशा जी अपनी माँ के घर दो बच्चों और तीसरे गर्भस्थ शिशु (आनन्द) के साथ लौट आईं। 1980 ई. मे आशा जी ने ‘राहुल देव वर्मन’(पंचम) से विवाह किया। यह विवाह आशा जी ने राहुल देव वर्मन के अंतिम सांसो तक सफलतापूर्वक निभाया।
 
आशा जी का घर दक्षिण मुम्बई, पेडर रोड क्षेत्र में प्रभुकुंज अपार्टमेंट में स्थित है। इनके तीन बच्चे हैं। साथ ही पाँच पौत्र भी है। इनका सबसे बड़ा लड़का हेमंत भोसले है। हेमंत ने पायलट के रूप मे अधिकांश समय बिताया। आशाजी की बेटी जो हेमंत से छोटी है “वर्षा”। वर्षा ने ‘द सनडे ऑबजरवर’ और ‘रेडिफ’ के लिए कॉलम लिखने का काम किया। आशाजी का सबसे छोटा पुत्र आनन्द भोसले है। आनन्द ने बिजनेस और फिल्म निर्देशन की पढाई की। आनन्द भोसले ही आशा के करियर की इन दिनों देखभाल कर रहे है। हेमंत भोसले के सबसे बड़े पुत्र चैतन्या (चिंटु) “बॉय बैण्ड” के सफल सदस्य के रूप में विश्व संगीत से जुड़े हुए है। अनिका भोसले (हेमंत भोसले की पुत्री) सफल फोटोग्राफर के रूप मे कार्य कर रही है। आशा जी की बहनें लता मंगेसकर और उषा मंगेसकर गायिका है। इनकी अन्य दो सहोदर बहन मीना मंगेसकर और भाई हृदयनाथ मंगेसकर संगीत निर्देशक है। आशाजी गायिका के अलावा बहुत अच्छी कुक (रसोईया) है। कुकिंग इनका पसंदीदा शौक है। बॉलीवुड के बहुत सारे लोग आशा जी के हाथों से बनें ‘कढाई गोस्त’ एवं ‘बिरयानी’ के लिए अनुरोध करते है। आशा जी भी इनकार नही करती है। बॉलीवुड के ‘कपुर’ खानदान में आशा जी द्वारा बनाए गये ‘पाया करी’, ‘गोझन फिश करी’ और ‘दाल’ काफी प्रसिद्ध है। एक बार जब ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के एक साक्षात्कार मे पुछा गया कि यदि आप गायिका न होती तो क्या करती? आशा जी ने जबाब दिया कि मै एक अच्छी रसोईया (कुक) बनती। आशा जी एक सफल रेस्तरॉ संचालिका है। इनके रेस्तरॉ दुबई और कुवैत में आशा नाम से प्रसिद्ध है।‘वाफी ग्रुप’ द्वारा संचालित रेस्तरॉ मे आशा जी के 20% भागीदारी है। वाफी सीटी दुबई और दो रेस्तरॉ कुवैत मे पारम्परिक उत्तर भारतीय व्यंजन के लिए प्रसिद्ध है। आशा जी ने ‘कैफ्स’ को स्वंय 6 महीनो का ट्रेंनिग दिया है। दिसम्बर 2004 ‘मेनु मैगजीन’ के रिपोर्ट के अनुसार ‘रसेल स्कॉट’ जो ‘हैरी रामसदेन’ के प्रमुख है आने वाले पाँच सालो मे आशा जी के ब्रैण्ड के अंतर्गत 40 रेस्तरॉ पुरे यू. के.यू॰के॰ के अन्दर खोलने की घोषणा की है। इसी क्रम मे आशा जी की की रेस्तरॉ ‘बरमिंगम’ यू. के.यू॰के॰ मे खोला गया है। आशा जी की फैशन और पहनावे में सफेद साड़ी चमकदार किनारो वाली, गले मे मोतियों के हार और हीरा प्रसिद्ध है। आशा जी एक अच्छी ‘मिमिक्री’ अदाकारा भी है।
 
=== गायिकी के क्षेत्र मे संघर्ष ===
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=== फिल्म जो मिल का पत्थर साबित हुई ===
आशा भोसले जी के गायिकी के कैरियर मे चार फिल्मे मिल का पत्थर, साबित हुई- नया दौड(1957), तीसरी मंजिल(1966), उमरॉव जान(1981) और रंगीला (1995)। नया दौर(1957):- आशा भोसले जी की पहली बड़ी सफल फिल्म बी. आर. चोपड़ा की ‘नया दौर’(1957) थी। मो. रफी के साथ गाए उनके गीत यथा ‘माँग के हाथ तुम्हारा....’, ‘साथी हाथ बढ़ाना...’ और ‘उड़े जब जब जुल्फे तेरी...’ शाहिर लुधियानवी के द्वारा लिखित और ओ. पी. नैयर द्वरा संगीतबद्ध एक खास पहचान दी। आशा जी ने ओ.पी. नैयर के साथ पहले भी काम किया था पर यह पहली फिल्म थी जिसके सारे गीत आशा जी प्रमुख अभिनेत्री के लिए गाई थी। प्रोड्यूसर बी. आर. चोपडा ने नया दौर में उनकी प्रतिभा की पहचान कर आने वाली बाद की फिल्मों मे पुन: मौका दिया। उनमे प्रमुख फिल्म- वक्त, गुमराह, हमराज, आदमी और इंसान और धुंध आदि है। तिसरी मंजिल(1966):- आशा भोसले ने राहुल देव वर्मन की ‘तीसरी मंजिल’(1966) से काफी प्रसिद्ध हुई। जब पहले उन्होने गाने की धुन सुनी तो गीत ‘आजा आजा...’ इस गीत को गाने से इनकार कर दिया था, जो वेस्टर्न डांस नम्बर पर आधारित थी। तब आर. डी. वर्मन ने संगीत को बदलने का प्रस्ताव आशा जी को दिया किंतु आशा जी ने यह चैलेंज स्वीकार करते हुए गीत गाए। 10 दिन के अभ्यास के बाद जब अंतिम तौर पर यह खास गीत आशा जी ने गाए तो खुशी के कायल आर. डी. वर्मन ने 100 रूपये के नोट आशा जी के हाथ मे रख दिए। आजा आजा.... और इस फिल्म के अन्य गीत – ओ हसीना जुल्फो वाली... और ओ मेरे सोना रे.... ये सभी गीत रफी जी के साथ तहलका मचा दिया। शम्मी कपूर इस फिल्म के नायक ने एक बार कहा था “यदि मे पास मो. रफी इस फिल्म के गीतो को गाने के लिए नही होते तो मै आशा भोसले को यह कार्य देता”। उमराव जान(1981):- रेखा अभिनित ‘उमराव जान’(1981) आशा जी ने गज़ल गाया यथा- दिल चीज क्या है.है।..., इन आँखों की मस्ती के..., ये क्या जगह है दोस्तों... और जुस्त जु जिसकी थी।..। इन गज़लों के संगीतकार खय्याम थे जिन्होने आशा जी से सफलतापूर्वक गज़लो को गाने के लिए स्वरों के उतार चढाव को समझाया। आशा जी स्वयं आश्चर्यचकित थी कि वह इन गज़लो को सफलतापूर्वक गाई है। इन गज़लों ने आशा जी को प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया और उनकी बहुमुखी प्रतिभा साबित हुई। रंगीला (1995):- सन 1995 मे 62 वर्षीय आशा जी ने युवा अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर के लिए फिल्म रंगीला में गाई। इन्होने फिर अपने चाहनेवालों को आश्चर्यचकित कर दिया। सुपर हिट गीत यथा- तन्हा तन्हा... और रंगीला रे... गीत ए. आर. रहमान के संगीत निर्देशन मे गाई जो काफी प्रसिद्ध हुआ। बाद मे कई अन्य गीतों को ए. आर. रहमान के निर्देशन में गाई। तन्हा तन्हा... गीत काफी प्रसिद्ध हुआ और आज भी लोग गुनगुनाते है।
 
== संगीत निर्देशको के साथ साझेदारी ==
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=== सचिन देव वर्मन ===
प्रसिद्ध संगीत निर्देशक सचिन देव वर्मन की पसंदीदा गायिका लता मंगेस्कर से 1957 से 1962 के बीच अच्छे संबंध नहीं थे। उन दिनो सचिन देव वर्मन ने आशा भोसले जी का उपयोग किया। इन दोनो की साझेदारी ने कई हिट गीत दिए यथा- फिल्म काला पानी, काला बाजार, इंसान जाग उठा, लाजवंति, सुजाता और तीन देविया (1965) आदि है। 1962 के बाद भी दोनो ने कई गीतों को रिकार्ड किया। मो. रफी और किशोर कुमार के साथ गाए युगल गीत आशा जी के काफी प्रसिद्ध रहे। अब के बरस... गीत बिमल राय की फिल्म बंदनी (1963) ने आशा जी को प्रमुख गायिका के रूप मे स्थापित किया। अभिनेत्री तनुजा पर फिल्मांकित गीत रात अकेली है.है।..(ज्वेल थीफ,1967) काफी प्रसिद्ध हुआ।
 
=== राहुल देव वर्मन ===
आशा भोसले राहुल देव वर्मन जी से उस समय पहली बार मिली जब वह दो बच्चों की माँ थी और संगीतकार राहुल देव वर्मन(पंचम) की साझेदारी मे फिल्म तीसरी मंजिल(1966) मे पहली बार लोगों का ध्यान आकर्षित कर पाई। आशा जी ने आर. डी. वर्मन के साथ कैबरे, रॉक, डिस्को, गज़ल, भारतीय शास्त्रीय संगीत और भी बहुत गीत गाए। 1970 मे आशा भोसले जी ने पंचम के साथ कई युवा गीत गाए यथा- पिया तु अब तो आ जा.....(कारवॉ-1971) हेलन पर फिल्मांकित, दम मारो दम...(हरे रामा हरे कृष्णा-1971), दुनिया में...(अपना देश-1972) चुरा लिया है तुमने...(यादों की बारात-1973)आदि है।इसके आलावा पंचम के संगीत निर्देशन मे आशा जी ने किशोर कुमार के साथ कए प्रसिद्ध युगल गीत गाए यथा- जाने जाँ ढुढता फिर रहा...(जवानी दिवानी), भली भली सी एक सूरत...(बुढा मिल गया) आदि। 1980 मे पंचम और आशा जी कई प्रसिद्ध गीतो को रिकार्ड किया। फिल्म इजाजत(1987)- मेरा कुछ सामान..., खाली हाथ शाम आयी है.है।.., कतरा कतरा... आदि प्रसिद्ध प्रमुख प्रसिद्ध गीतो को रिकार्ड किया। ओ मारिया...(सागर) के गीतो को भी रिकार्ड किया। गुलजार की इजाजत को आर. डी. वर्मन के संगीत निर्देशन में आशा जी को राष्ट्रीय पुरस्कार ‘बेस्ट सिंगर’ प्राप्त हुआ। आर. डी. वर्मन जी ने कई हिन्दी प्रसिद्ध गीतो को बंगाली भाषा मे आशा जी के आवाज को रिकार्ड किया यथा- ‘मोहुए झुमेछे आज माऊ गो, चोखे चोखे कोथा बोले चोखे नामे बृष्टि (बंगाली रूपांतरण गीत जाने क्या बात है.है।..) बंसी सुने की घोरे टाका जाए, संध्या बेले तुमी आमी..., आज गुन गुन जे आमर(बंगाली रूपांतरण गीत प्यार दीवाना होता है) आदि। यह प्रसिद्ध साझेदारी विवाह मे परिणित हुई। पंचम जी के अंतिम सांसो तक यह साझेदारी चली।
 
=== जय देव ===
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;राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
 
* 1981- “दिल चीज क्या है.है।..”(उमरॉव जान)
* 1986 “मेरा कुछ सामान...”(इजाजत)
 
पंक्ति 115:
* 1999- लता मंगेस्कर अवार्ड(महाराष्ट्र सरकार)
* 2000- सिंगर ऑफ द मिलेनियम (दुबई) 2000- जी गोल्ड बॉलीवुड अवार्ड(मुझे रंग दे- फिल्म तक्षक के लिए)
* 2001- एम.टी.वी. अवार्ड (कमबख्त इशक – के लिए) 2002- बी.बी.सी. लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड (यू.के.यू॰के॰ प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के द्वारा प्रदत) 2002- जी सीने अवार्ड फॉर बेस्ट प्लेबैक सिंगर - फिमेल(राधा कैसे न जले..-फिल्म लगान के लिए)
* 2002- जी सीने स्पेशल अवार्ड फॉर हॉल ऑफ फेम 2002- स्क्रीन वीडियोकॉन अवार्ड (राधा कैसे न जले..-फिल्म लगान के लिए)
* 2002-सैनसुई मुवी अवार्ड(राधा कैसे न जले..-फिल्म लगान के लिए)