"शाहिद (फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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== कथानक ==
शाहिद अंसारी (राज कुमार यादव) को मुंबई पुलिस ने जब 1992 के बम धमाकों में कथित तौर पर आतंक फैलाने का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया जाता है।। इस घटना में शाहिद को नजदीक से जानने वाला हर कोई हैरान होता है। गरीब फैमिली के शाहिद का कसूर क्या था, इसका पता तो खुद उसे और उसके परिवार तक को नहीं था। पुलिस कस्टडी में दिल दहला देने वाली यातनाओं को सहने के बाद जेल जाने के बाद शाहिद की मुलाकात वॉर साब ([[केके मेनन]]) से हुई। वॉर साब से मिलने के बाद शाहिद को महसूस हुआ कि बेगुनाह होने के बावजूद जेल में बंद अकेला वही नहीं है। उस जैसे सैकड़ों और भी हैं, जिन्हें पुलिस ने सिर्फ शक के आधार पर थर्ड डिग्री टॉर्चर देने के बाद जेल में बंद कर रखा है। यहीं रहकर शाहिद ने कानून की पढ़ाई पूरी की और बाहर आकर वकालत की पढ़ाई जारी रखते हुए करने इसकी डिग्री लेने के बाद मशहूर वकील मेमन (तिग्मांशु धूलिया) के साथ वकालत शुरू की। शाहिद की वकालत का मकसद उन बेगुनाहों को जेल से बाहर निकालना था, जिन्हें पुलिस ने सिर्फ शक के आधार पर बंद कर रखा था। अल्पसंख्यक समुदाय के उन तमाम लोगों की क़ानूनी मदद करता है जो ग़लत आरोपों में जेल में डाल दिए गए हैं। शाहिद ने वकालत को उन गरीब बेगुनाहों को न्याय दिलाने का जरिया बनाया जिनके पास क़ानूनी लड़ाई के लिए पैसा नहीं है। शाहिद ने 2006 में घाटकोपर बस धमाके के आरोपी आरिफ पान वाला को बरी कराया, तो सरकारी वकील (विपिन शर्मा) से जबर्दस्त बहस के बाद अदालत से 26/11 के आरोपी फहीम अंसारी को भी बरी कराया। इसी दौरान शाहिद की मुलाकात मरियम (प्रभलीन संधु) से हुई जो अपनी पुश्तैनी जायदाद को हासिल करने के लिए बरसों से मुकदमा लड़ रही थीं। कुछ मुलाकातों के बाद शाहिद और मरियम नजदीक आए और साथ रहने लगे। साथ ही वह अपनी वकालत जारी रखता है लेकिन धार्मिक कट्टरपंथियों को 'शाहिद' के तौर तरीके रास नहीं आते। उसे धमकियां मिलती हैं कि वो अपनी 'हरकतों' से बाज़ आए लेकिन शाहिद पुलिस ज़्यादतियों का शिकार हुए लोगों की लगातार मदद करता रहता है।
 
फिर एक दिन कुछ लोग उसकी हत्या कर देते हैं।
== कलाकार ==
* राज कुमार यादव - [[शाहिद आज़मी]]
* मोहम्मद ज़ीशन अय्यूब - आरिफ आज़मी
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* विवेक घमंडे<ref>http://www.imdb.com/title/tt2181831/</ref> - फहीम खान
* बलजिन्द्र कौर - अम्मी
== समालोचना==
{|class="toccolours" style="float: right; margin-left: 1em; margin-right: 2em; font-size: 85%; background:#c6dbf7; color:black; width:30em; max-width: 40%;" cellspacing="5"|style="text-align: left;"
|"इस फिल्‍म में शाहिद आजमी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को निहायत ही संवेदनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। फिल्मकार किसी का भी पक्ष नहीं लेता, वह केवल मानवीय करुणा को प्रस्तुत करता है।"
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फ़िल्म समीक्षकों ने फिल्म को अच्छा बताया है। नवभारत टाइम्स पर चन्द्रमोहन शर्मा ने इस फ़िल्म को 5 में से 3.5 सितारे देते हुए लिखा है - "अगर रियल लाइफ किरदार पर बनी फिल्में पसंद हैं, तो शाहिद आपको पसंद आएगी।"<ref>{{cite web|title=मूवी रिव्यू: शाहिद|url=http://navbharattimes.indiatimes.com/movie-masti/movie-review/Movie-review-Shahid/moviereview/24285020.cms |publisher=नवभारत टाइम्स|date=१७ अक्टूबर २०१३|accessdate=१९ अक्टूबर २०१३|author=चंद्र मोहन शर्मा}}</ref> [[बीबीसी हिन्दी]] पर [[कोमल नाहटा]] फ़िल्म को तीन सितारे देते हुए लिखते हैं, "कुल मिलाकर 'शाहिद' एक बेहद सुलझी हुई फ़िल्म है। लेकिन इसकी अपील बहुत सीमित है।" [[दैनिक भास्कर]] ने पांच में से चार सितारे देते हुए फ़िल्म की तारीफ की। आजतक समाचार ने पांच में से साढ़े चार सितारे देते हुए सभी से फ़िल्म जरूर देखने की सलाह दी।<ref>{{cite web|title=सुलझी पर सीमित अपील वाली फिल्म है शाहिद|url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2013/10/131018_shahid_review_pkp.shtml|publisher=बीबीसी हिन्दी|author=कोमल नाहटा|date=१८ अक्टूबर २०१३|accessdate=१९ अक्टूबर २०१३}}</ref>
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== सन्दर्भ ==
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== बाहरी कड़ियाँ==
* {{IMDb title|2181831|शाहिद}}
* द इण्डियन एक्सप्रेस पर [http://www.indianexpress.com/news/movie-review-shahid-raj-kumar-yadav-acts-unflinchingly/1184193/0 फ़िल्म समीक्षा]। {{en}}