"श्यामजी कृष्ण वर्मा": अवतरणों में अंतर

छो मरण तिथिमें बदलाव
छो बॉट: अंगराग परिवर्तन।
पंक्ति 13:
31 मार्च, 1930 को जिनेवा के एक अस्पताल में वे अपना नश्वर शरीर त्यागकर चले गये। उनका शव अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के कारण भारत नहीं लाया जा सका और वहीं उनकी [[अन्त्येष्टि]] कर दी गयी। बाद में गुजरात सरकार ने काफी प्रयत्न करके जिनेवा से उनकी अस्थियाँ भारत मँगवायीं।<ref name="क्रान्त"> {{cite book |last1=क्रान्त |first1=|authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास |url=http://www.worldcat.org/title/svadhinata-sangrama-ke-krantikari-sahitya-ka-itihasa/oclc/271682218 |format= |accessdate=११ फरबरी २०१४ |edition=1 |series= |volume=1 |date= |year=2006 |month= |origyear= |publisher=प्रवीण प्रकाशन |location=नई दिल्ली |language=Hindi |isbn= 81-7783-119-4|oclc= |doi= |id= |page=२५० |pages= |chapter= |chapterurl= |quote=गुजरात सरकार ने प्रयत्न करके जिनेवा से उनकी अस्थियाँ भारत मँगवायीं और उनकी अन्तिम इच्छा का समादर किया।|ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp=}}</ref>
 
== अस्थियों का भारत में संरक्षण ==
वर्माजी का दाह संस्कार करके उनकी अस्थियों को जिनेवा की सेण्ट जॉर्ज सीमेट्री में सुरक्षित रख दिया गया। बाद में उनकी पत्नी भानुमती कृष्ण वर्मा का जब निधन हो गया तो उनकी अस्थियाँ भी उसी सीमेट्री में रख दी गयीं।
 
पंक्ति 22:
क्रान्ति-तीर्थ के श्यामजीकृष्ण वर्मा स्मृतिकक्ष में पति-पत्नी के अस्थि-कलशों को देखने दूर-दूर से [[पर्यटक]] गुजरात आते हैं।<ref>[http://www.krantiteerth.org/shyamji-krishna-varma-smrutikaksha.html श्यामजीकृष्ण वर्मा स्मृतिकक्ष]अभिगमन तिथि: 10 फरबरी 2014</ref>
 
== सन्दर्भ ==
{{Reflist}}
== इन्हें भी देखें==
* [[इण्डिया हाउस]]