"विन्सेंट वैन गो": अवतरणों में अंतर
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'''विन्सेंट विलेम वैन गो''' ([[डच]]: Vincent Willem van Gogh, ३० मार्च १८५३ – २९ जुलाई १८९०) [[नीदरलैण्ड]] के अत्यंत प्रतिभावान [[चित्रकार]] थे जिनकी [[पर-प्रभाववादी]] चित्रकारी ने [[२०वीं शताब्दी]] की [[आधुनिक कला]] पर अमिट छाप छोड़ी है। इनके चित्र विशद रंगों और संवेदनाओं से भरे हैं। जीवनभर इन्हें कोई सम्मान नहीं मिला, बल्कि [[मानसिक रोग|मानसिक रोगों]] से लड़ते रहे, अपना कान तक काट डाला
मृत्योपरांत इनकी ख्याति बढ़ती ही गई और आज इन्हें संसार के महानतम चित्रकारों में गिना जाता है और आधुनिक कला के संस्थापकों में से एक माना जाता है। वैन गो ने २८ वर्ष की आयु में चित्रकारी करना शुरु किया और जीवन के अंतिम दो वर्षों में अपनी सबसे महत्त्वपूर्ण रचनाएं बनाईं। ९ साल के समय में इन्होंने २००० से अधिक चित्र बनाए जिनमें लगभग ९०० [[तैल-चित्र]] शामिल हैं। इनके द्वारा रचित [[स्वयं-चित्र]], परिदृश्य, छवियाँ और [[सूरजमुखी]] विश्व की सबसे प्रसिद्ध और महंगी कलाकृतियों में शामिल हैं।
वैन गो ने अपने वयस्क जीवन की शुरुआत की कलाकृतियों के व्यापारियों के साथ काम करते हुए और [[द हेग]], [[लंदन]] और [[पैरिस]] के बीच काफी घूमे। इसके बाद इन्होंने [[इंग्लैण्ड]] में कुछ समय पढ़ाया भी। इनकी कामना थी [[पादरी]] बनने की
इनके मानसिक रोगों का इनकी कला पर क्या प्रभाव डाला इसपर बहुत चर्चा हुई है। आजकल यह माना जाता है कि ये परिपूर्ण कलाकार थे जो अपने रोग के कारण नष्ट हुए समय को लेकर निराश रहते थे।
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