"कर्म": अवतरणों में अंतर

छो पूर्णविराम (।) से पूर्व के खाली स्थान को हटाया।
छो बॉट: डॉट (.) के स्थान पर पूर्णविराम (।) और लाघव चिह्न प्रयुक्त किये।
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कर्मेन्द्रियों की कार्य प्रणाली ठीक होनी चाहिए.
परिस्थितियां इन्द्रियां, चित्त भी अनुकूल होने चाहिए इसे दैव कहा है.
परन्तु जन साधरण और प्रबंधन की दृष्टि से इन नियमों को लागू कर उत्तम परिणाम प्राप्त कर सकते हैं.हैं। अच्छा जीवित शरीर अपने उत्तम इन्द्रिय ज्ञान के साथ अपने अंगों का उत्तम प्रयोग कर ही अनुकूल परिस्थिति होने पर सर्वोत्तम परिणाम दे सकता है.अतः
1- शरीर रक्षा आवश्यक है.
2- शरीर को स्वस्थ रखना आवश्यक है.
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कर्म" से प्राप्त