"विश्व धरोहर": अवतरणों में अंतर
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'''युनेस्को विश्व विरासत स्थल''' ऐसे खास स्थानों (जैसे [[वन क्षेत्र]], [[पर्वत]], [[झील]], [[मरुस्थल]], [[स्मारक]], [[भवन]], या [[शहर]] इत्यादि)को कहा जाता है, जो '''विश्व विरासत स्थल समिति''' द्वारा चयनित होते हैं; और यही समिति इन स्थलों की देखरेख [[युनेस्को]] के तत्वाधान में करती है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है। अब तक (2006 तक) पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को [[विश्व विरासत स्थल]] घोषित किया जा चुका है जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले
प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो; परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें. बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेवारी होती है।
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सन 1959 में, [[मिस्र]] कि सरकार ने आस्वान बांध बनवाने का निश्चय किया. इससे प्राचीन सभ्यता के [[अबु सिंबल]] जैसे अनेक बहुमुल्य रत्नोँ के खजाने से भरी घाटी का बाढ मेँ बह जाना निश्चित था. तब [[युनेस्को]] ने [[मिस्र]] और [[सूडान]] सरकारों से अपील करने के अलावा, इसके रक्षोपाय एक विश्वव्यापी अभियान चलाया. इससे यह तय हुआ कि [[अबु सिंबल]] और [[फिले]] मंदिर को भिन्न पाषाण टुकड़ों में अलग करके, एक ऊँचे स्थान पर ले जाकर पुनः स्थापित किया.
इस परियोजना की लागत लगभग $80 मिलियन थी, जिसमें से $40 मिलियन 50 भिन्न देशों से इकठ्ठा किया गया था. इसे व्यापक तौर पर, पूर्ण सफलता माना गया था
=== सम्मेलन एवं पृष्ठभूमि ===
सर्वप्रथम [[संयुक्त राज्य]] ने सांस्कृतिक संरक्षण को प्राकृतिक संरक्षण के साथ सँयुक्त करने का सुझाव दिया. 1965 में एक [[व्हाइट हाउस]] सम्मेलन में एक “विश्व धरोहर ट्रस्ट” कि माँग उठी, जो विश्व के सर्वोत्तम प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थलों को वर्तमान पीढी और समस्त भविष्य नागरिकता हेतु संरक्षित करे”. [[अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ]] ने 1968 में ऐसे ही प्रस्ताव दिये
सभी शामिल पार्टियों ने एक समान राय पर सहमति दी
== नामांकन प्रक्रिया ==
किसी भी देश को प्रथम तो अपने महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों की एक सूची बनानी होती है. इसे आजमाइशी सूची कहते हैं. यह आवश्यक है, क्योंकि वह राष्ट्र ऐसी किसी सम्पदा को नामंकित नहीं भी कर सकता है, जिसका नाम उस सूची में पहले ही सम्मिलित ना हुआ हो. दूसरे, वह इस सूची में से किसी सम्पदा को चयनित कर नामांकन फाइल में डाल सकता है. विश्व धरोहर केन्द्र इस फाइल को बनाने में सलाह देता और सहायता करता है, जो किसी भी विस्तार तक हो सकती है.
इस बिंदु पर, वह फाइल स्वतंत्र रुप से दो संगठनों द्वारा आंकलित की जाती है: [[अंतर्राष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद]] और [[विश्व संरक्षण संघ]]. यह संस्थाएं फिर विश्व धरोहर समिति से सिफारिश करती है. समिति वर्ष में एक बार बैठती है
== चयन मानदंड ==
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[[चित्र:John Smith 1624 Bermuda map with Forts.jpg|thumb|right|150px|<small>Site #983: [[सेंट जॉर्ज, बरमूडा|सेंट जॉर्ज]], [[बरमूडा]]</small>]]
}}
सन 2004 के अंत तक, सांस्कॄतिक धरोहर हेतु छः मानदण्ड थे
|url=http://whc.unesco.org/en/criteria/
|title=Criteria for Selection
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== विश्व धरोहर स्थलों के समिति सत्र ==
विश्व धरोहर समिति वर्ष में कई बार बैठती है, जिसमें वर्तमान अस्तित्व में विश्व धरोहरों के प्रबंधन के उपाय चर्चित होते हैं
यह वार्षिक सत्र विश्व के भिन्न शहरों में से एक में हो सकता है. पैरिस, फ्रांस में हुए सत्र को छोड़कर (जहाँ युनेस्को मुख्यालय स्थित है) केवल उन राष्ट्र पार्टियों को भविष्य के सत्र की मेजबानी करनी का अधिकार है, जो इस समिति के सदस्य हैं, या उनका सदस्यता सत्र समिति के भविष्य सत्र से पहले ही समाप्त ना हो रहा हो
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