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# मौजूदा संविधान में संशोधन<ref>ऐरिस्टोटल, ''द पॉलिटिक्स'' V, tr. टी. ए. सिंकलेर (बाल्टीमोर: पेंगुइन बुक्स, 1964, 1972), पृष्ठ 190.</ref>
मानव इतिहास में अनेकों क्रांतियां घटित होती आई हैं और वह पद्धति, अवधि व प्रेरक वैचारिक सिद्धांत के मामले में काफी भिन्न
एक क्रांति में कौन से घटक शामिल होते हैं और कौन से नहीं, इस सम्बन्ध में विद्वत्तापूर्ण चर्चा कई मुद्दों के इर्द गिर्द केन्द्रित है. क्रांतियों के प्रारंभिक अध्ययन में मुख्यतः यूरोपीय इतिहास का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया गया है, परन्तु और आधुनिक परीक्षणों में वैश्विक घटनाएं भी शामिल हैं और अनेकों सामाजिक विज्ञानों के दृष्टिकोणों को भी शामिल किया गया है जिसमे [[समाजशास्त्र]] और राजनीति विज्ञान आते
== शब्द व्युत्पत्ति ==
कोपरनिकस ने सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति पर लिखे गए अपने लेख को "''ऑन द रिवौल्युशन ऑफ सेलेस्टियल बौडीज़'' " नाम दिया. इसके बाद 'क्रांति' खगोल विद्या से ज्योतिष संबंधी स्वदेशी विद्या के क्षेत्र में प्रविष्ट हो गयी; जिसने सामाजिक व्यवस्था में आकस्मिक परिवर्तनों का प्रतिनिधित्व
== राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक क्रांतियां ==
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[[चित्र:Sunyatsen1.jpg|thumb|220px|right|सुन यट-सेन, 1911 के चीनी ज़िन्हाई क्रांति के नेता.]]
संभवतः प्रायः ही, 'क्रांति' शब्द का प्रयोग सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्थाओं में परिवर्तन की ओर संकेत करने के लिए किया जाता है.<ref name="Goldstonet3">जैक गोल्डस्टोन, "क्रांतियों के सिद्धांत: तीसरी पीढ़ी'','' विश्व की राजनीति ''32, 1980:425-53''</ref><ref name="Forantorr">जॉन फ़ौरन, "क्रांति के सिद्धांतों पर दोबारा गौर: चौथी पीढ़ी की ओर", समाजशास्त्रीय सिद्धांत ''11, 1993:1-20''</ref><ref name="Kroeber">क्लिफ्टन बी. करोबर, क्रांति के सिद्धांत और इतिहास, ''विश्व इतिहास का जर्नल 7.1, 1996: 21-40''</ref> जेफ गुडविन क्रांति की दो परिभाषाएं देते
{{cquote|"any and all instances in which a state or a political [[regime]] is overthrown and thereby transformed by a popular [[Social movement|movement]] in an irregular, extraconstitutional and/or violent fashion"}}
और एक संकीर्ण है, जिसमें
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{{cquote|"an effort to transform the political institutions and the justifications for political authority in society, accompanied by formal or informal mass mobilization and noninstitutionalized actions that undermine authorities."<ref name="Goldstonet4">Jack Goldstone, "Towards a Fourth Generation of Revolutionary Theory", ''[[Annual Review of Political Science]]'' 4, 2001:139-87</ref>}}
राजनीतिक और सामाजिक क्रांतियों का अध्ययन अनेकों सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत किया गया है, विशेषतः [[समाजशास्त्र]], राजनीतिशास्त्र और [[इतिहास]] के अंतर्गत. इस क्षेत्र के अग्रणी विद्वानों में क्रेन ब्रिन्टन, चार्ल्स ब्रौकेट, फारिदेह फार्ही, जॉन फोरन, जॉन मैसन हार्ट, सैमुएल हंटिंग्टन, जैक गोल्डस्टोन, जेफ गुडविन, टेड रॉबर्ट्स गुर, फ्रेड हेलिडे, चामर्स जॉन्सन, टिम मैक'डेनियल, बैरिंगटन मूर, जेफ्री पेज, विल्फ्रेडो पेरेटो, टेरेंस रेंजर, यूजीन रोसेनस्टॉक-ह्यूसे, थेडा स्कौक पॉल, जेम्स स्कॉट{{dn}}, एरिक सेल्बिन, चार्ल्स टिली, एलेन के ट्रिमब्रिंगर, कार्लोस विस्टास, जॉन वोल्टन{{dn}}, टिमोथी विक्हेम-क्रौले और एरिक वुल्फ आदि रहे हैं या अभी भी
क्रांतियों के विद्वान जैसे कि जैक गोल्डस्टोन, क्रांतियों के सम्बन्ध में हुए विद्वत्तापूर्ण शोध का विभेद चार वर्तमान पीढ़ियों के रूप में करते
दूसरी पीढ़ी के सिद्धांतवादी क्रांतियों के शुरू होंने के कारणों और समय के बारे में विस्तृत सिद्धांत विकसित करना चाहते थे, जोकि अधिक जटिल सामाजिक व्यवहार संबंधी सिद्धांतों में निहित था. इन्हें तीन प्रमुख पद्धतियों में विभक्त किया जा सकता है: मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्र संबंधी और राजनीतिक.<ref name="Goldstonet3"/>
टेड रॉबर्ट गुर, इवो के. फेयरब्रैंड, रोसलिंड एल. फेयरब्रैंड, जेम्स ए. गेशवेंडर, डेविड सी. स्वार्त्ज़ और डेंटन ई. मॉरिसन, प्रथम श्रेणी के अंतर्गत आते
दूसरा समूह, जोकि चाल्मर्स जॉन्सन, नील स्मेल्सर, बौब जेसौप, मार्क हार्ट, एडवर्ड ए. तिर्याकियन, मार्क हैगोपियन जैसे शिक्षाविदों के द्वारा बना था, उसने टैल्कौट पारसंस और समाजशास्त्र की संरचनात्मक-प्रक्रियात्मक सिद्धांत का अनुसरण किया; उन्होंने देखा कि समाज समग्र रूप से विभिन्न संसाधनों, मांगों और उपप्रणालियों के मध्य साम्यावस्था में है. जैसा कि सभी मनोवैज्ञानिक विचारधाराओं में होता है, उसी प्रकार असंतुलन के कारणों की परिभाषा के सम्बन्ध में उनका मत अलग-अलग था, लेकिन इस बात पर वह सहमत थे कि गंभीर असंतुलन ही क्रांति के लिए उत्तरदायी है.<ref name="Goldstonet3"/>
अंततः तीसरे समूह, जिसमे चार्ल्स टिली, सैमुएल पी. हटिंगटन, पीटर एम्मान और आर्थर एल. स्टिंकोकौम्बे जैसे लेखक शामिल थे, ने राजनीती शास्त्र के मार्ग का अनुसरण किया और बहुवादी सिद्धांत (प्लुरालिस्ट सिद्धांत) व हित समूह संघर्ष सिद्धांत पर निर्भर रहे. ये सिद्धान्त मानते हैं कि यह घटनाएं दो प्रतिस्पर्धात्मक हित समूह के मध्य अधिकार संघर्ष का परिणाम
दूसरी पीढ़ी के सिद्धान्तवादियों ने देखा कि क्रांतियों का विकास एक दोहरी प्रक्रिया है; पहले, वर्तमान अवस्था में कुछ परिवर्तन ऐसा परिणाम देते हैं जो भूतकाल के परिणामों से भिन्न हैं; दूसरा, नयी अवस्था क्रांति के घटित होने के लिए एक अवसर प्रदान करती है. ऐसी अवस्था में, एक घटना जोकि भूतकाल में क्रांति करवाने के लिए पर्याप्त नहीं थी (जैसे, [[संग्राम|युद्ध]], दंगे, ख़राब फसल), वही अब इसके लिए पर्याप्त होती है- हालांकि यदि अधिकारी ऐसे खतरों के प्रति सचेत रहेंगे, तो इस अवस्था में भी वह विरोध को रोक सकते हैं (सुधार या दमनीकरण द्वारा).<ref name="Goldstonet4"/>
क्रांतियों से सम्बंधित अनेकों प्रारंभिक अध्ययनों ने चार मौलिक मुद्दों पर केन्द्रित होने का प्रयास किया- प्रसिद्द एवम विवाद रहित उदाहरण जोकि वास्तव में क्रांतियों की सभी परिभाषाओं के लिए सटीक है, जैसे कि [[गौरवपूर्ण क्रांति|ग्लोरियस रिवौल्युशन]] (1688), [[फ़्रांसीसी क्रांति|फ़्रांसिसी क्रांति]] (1789-1799), 1917 की रूसी क्रांति और चीनी क्रांति (1927-1949).<ref name="Goldstonet4"/> हालांकि, प्रसिद्द हारवर्ड इतिहासकार, क्रेन ब्रिन्टन ने अपनी प्रसिद्द पुस्तक "द एनाटौमी ऑफ रिवौल्युशन" में [[अंग्रेज़ी गृहयुद्ध|अंग्रेजी गृहयुद्ध]], [[अमेरिकी क्रान्ति|अमेरिकी क्रांति]], फ़्रांसिसी क्रांति और रूसी क्रांति पर ध्यान केन्द्रित
समय के साथ, विद्वान् अन्य सैकड़ों घटनाओं का विश्लेषण भी क्रांति के रूप में करने लगे (क्रांतियों व विद्रोहियों की सूची देखें) और उनकी परिभाषाओं व पद्धतियों में अंतर ने नयी परिभाषा व स्पष्टीकरण को जन्म दिया. दूसरी पीढ़ी के सिद्धांतों की आलोचना उनके सीमित भौगोलिक प्रसार, आनुभविक सत्यापन की कठिनाइयों और साथ ही साथ इस आधार पर की गयी कि हालांकि वह कुछ विशेष क्रांतियों का स्पष्टीकरण देती हैं लेकिन इस बात के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाती कि इन्ही परिस्थितियों में अन्य समाजों में विद्रोह क्यूं नहीं हुए.<ref name="Goldstonet4"/>
दूसरी पीढ़ी की अलोचाना के कारण सिद्धांतों की तीसरी पीढ़ी का जन्म हुआ, जिसमे थेडा स्कौकपॉल, बैरिन्ग्टन मूर, जैफ्री पेज और अन्य लेखक शामिल थे जोकि प्राचीन [[मार्क्सवाद|मार्क्सवादी]] वर्ग संघर्ष माध्यम के आधार पर विस्तार कर रहे थे, वह अपना ध्यान ग्रामीण कृषि राज्य संघर्ष, उच्चवर्गीय लोगों के साथ होने वाले राज्य संघर्ष और अंतर्राजीय आर्थिक व सैन्य प्रतिस्पर्धा द्वारा घरेलू राजनीतिक परिवर्तन पर पड़ने वाले प्रभाव की ओर केन्द्रित कर रहे
[[चित्र:Thefalloftheberlinwall1989.JPG|thumb|left|बर्लिन वॉल के फौल और यूरोप में ऑटम ऑफ़ नेशन के सबसे अधिक इवेंट्स, 1989, अचानक और शांतिपूर्ण रहे
1980 के दशक के अंतिम वर्षों से विद्वत्तापूर्ण कार्यों के एक नए निकाय ने तीसरी पीढ़ी के सिद्धांतों की प्रभावकारिता पर प्रश्न उठाने शुरू कर दिए. पुराने सिद्धांतों को भी नयी क्रन्तिकारी घटनाओं के द्वारा खासा आघात लगा जो उनके द्वारा सरलता से व्यक्त नहीं किया जा सका. 1979 में [[ईरान की इस्लामिक क्रांति|इरानी]] और र्निक्रगुआन क्रांतियां, [[१९८६|1986]] में [[फ़िलीपीन्स|फिलिपिन्स]] में जनशक्ति क्रांति और 1989 में यूरोप में ऑटम ऑफ नेशंस इस बात के गवाह बने कि अहिंसक क्रांतियों में प्रसिद्द प्रदर्शन एवं [[हड़ताल|जन हड़ताल]] में कई शक्तिशाली प्रतीत होने वाले शासनों को बहु वर्ग संयोग ने ध्वस्त कर दिया.
अब क्रांति या विद्रोह को यूरोपीय हिंसक अवस्था बनाम जनता या [[वर्ग संघर्ष]] के रूप में परिभाषित करना पर्याप्त नहीं था. इस प्रकार क्रांतियों का अध्ययन तीन दिशाओं में विकसित हुआ, पहला, कुछ अनुसंधानकर्ता क्रांति के पिछले या अद्यतनीकृत संरचनात्मक सिद्धान्तों को उन घटनाओं के सम्बन्ध में लागू कर रहे थे जो पूर्व में विश्लेषित नहीं थीं, अधिकांशतः यूरोपीय संघर्ष. दूसरा, विद्वानों के अनुसार क्रन्तिकारी लामबंदी व लक्ष्यों को वैचारिक मत व [[संस्कृति]] के रूप में आकार प्रदान करने के लिए जागरूक संस्था के प्रति और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता
हालांकि क्रांतियां, कम्युनिस्ट क्रांति जोकि अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण थी और जिसने कम्युनिस्ट शासन का तख्तापलट कर दिया था, से लेकर अफगानिस्तान की हिंसक क्रांति को भी, क्रांति के अंतर्गत समावेशित करती हैं, पर वह [[तख्ता पलट|कॉप्स डि'इटैट्स]], गृहयुद्ध, विद्रोहों और ऐसे राजद्रोह को क्रांति के अंतर्गत शामिल नहीं करती जो अधिकार के प्रमाणीकरण या समाज में रूपांतरण का कोई प्रयास नहीं करते (जैसे जोसेफ पिल्सुद्सकी का 1926 का मे कूप (May Coup) या [[अमेरिकी गृहयुद्ध]]), साथ ही साथ संस्थागत व्यवस्थाओं जैसे, जनमत संग्रह या मुक्त चुनाव, जैसा कि [[स्पेन]] में फ्रैंसिस्को फ्रैंको की मृत्यु के बाद हुआ था, द्वारा [[लोकतंत्र|प्रजातंत्र]] की ओर शांतिपूर्ण परिवर्तन को भी वह क्रांति के अंतर्गत सम्मिलित नहीं करतीं.<ref name="Goldstonet4"/>
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[[चित्र:Maquina vapor Watt ETSIIM.jpg|thumb|मैड्रिड में एक वॉट भाप इंजन.ब्रिटेन और दुनिया में भाप इंजन के विकास ने औद्योगिक क्रांति को चलनेवाला बना दिया.कोयले से पानी निकलने के लिए भाप इंजन बनाये गए सक्षम के पूरी तरह से ग्राउंडवॉटर के स्तर तक गहरा बनाया जाए.]]
सामाजिक विज्ञान और साहित्य में क्रांतियों के अनेकों भिन्न वर्ग विज्ञान
चार्ल्स टिली, क्रांति के आधुनिक विद्वान ने, एक तख्तापलट, एक सर्वाधिकार जब्ती, एक गृहयुद्ध, एक विद्रोह और एक "महान क्रांति" (वह क्रांतियां जो आर्थिक और सामाजिक ढांचे के साथ-साथ राजनीतिक व्यवस्था में भी परिवर्तन लाती हैं, जैसे कि 1789 का [[फ़्रांसीसी क्रांति|फ़्रांसिसी क्रांति]], 1917 की रूसी क्रांति या ईरान का इस्लामिक क्रांति) के मध्य विभेद<ref>चार्ल्स टिली, ''''यूरोपीय क्रांतियां, 1492-1992'', ब्लैकवेल प्रकाशन, 1995, ISBN 0-631-19903-9, [http://books.google.com/books?id=IJBNvCsXfnIC&pg=PA16&dq=%22types+of+revolution%22&as_brr=3&ei=hdVQR6TVIpm4pgLFvJ2fBw&sig=A5SYZlQNKb5RMw9djQSnkmZtTYQ#PPA16,M1 गूगल प्रिंट, पृष्ठ 16]'' '''</ref> किया है.<ref>[http://www.tau.ac.il/dayancenter/mel/lewis.html Bernard Lewis],"itihaas में ईरान", मोशे दायां सेंटर, तेल अवीव विश्विद्यालय]</ref>
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अन्य प्रकार की क्रांतियां, जिनका निर्माण अन्य वर्ग विज्ञान के लिए किया गया है, उनमे सामाजिक क्रांतियां; श्रमजीवी वर्ग या कम्युनिस्ट क्रांतियां शामिल हैं जो मार्क्सवाद के विचारों से प्रभावित हैं और [[पूंजीवाद]] को [[साम्यवाद|कम्युनिस्टवाद]] से स्थानान्तारित्त करने का लक्ष्य रखते हैं); असफल या अपूर्ण क्रांतियां (वह क्रांतियां जो सामायिक विजय के बाद अधिकार सुरक्षित कर पाने या व्यापक स्तर पर लामबंद हो पाने में असफल रहीं) या हिंसक बनाम अहिंसक क्रांतियां.
"क्रांति" शब्द का प्रयोग राजनीतिक क्षेत्र से बाहर घटित हुए विशाल परिवर्तनों की ओर संकेत करने के लिए भी किया जाता है. ऐसी क्रांतियां प्रायः राजनीतिक प्रणाली की अपेक्षा [[समाज]], [[संस्कृति]], [[दर्शन]] और [[तकनीकी|प्रौद्योगिकी]] में अधिक परिवर्तन लाने के लिए पहचानी जाती हैं, इन्हें प्रायः सामाजिक क्रांति के नाम से जाना जाता है.<ref>एरविंग ई. फैंग, ''मास कम्युनिकेशन का इतिहास: छः सूचना क्रांति'', फोकल प्रेस, 1997, ISBN 0-240-80254-3, [http://books.google.com/books?id=QaVfg_vdyxsC&dq=communication+technology+changed+business&as_brr=3&source=gbs_summary_s&cad=0 गूगल प्रिंट, पी. xv]</ref> कुछ वैश्विक हो सकती हैं, जबकि अन्य एक ही देश तक सीमित होती
== क्रांतियों की सूची ==
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