"क्रांतिकारी बदलाव": अवतरणों में अंतर
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'''क्रांतिकारी बदलाव''' या रूपांतरण (या '''क्रांतिकारी विज्ञान''' ) थामस कुह्न द्वारा उनकी प्रभावशाली पुस्तक'' द स्ट्रक्चर ऑफ साइंटिफिक रिवोलुशनस'' (1962) में प्रयुक्त (पर उनके द्वारा बनाया गया नहीं) पद है जो उन्होंने [[विज्ञान]] के प्रभावी सिद्धांत के भीतर मूल मान्यताओं में परिवर्तन को व्यक्त करने के लिये प्रयुक्त किया
तब से ''क्रांतिकारी बदलाव'' शब्द घटनाओं के मूल आदर्श के रूप में परिवर्तन के रूप में मानवीय अनुभव के अन्य कई भागों में भी व्यापक रूप से प्रयोग किया जाने लगा है, हालांकि स्वयं कुह्न ने इस पद के प्रयोग को कठिन विज्ञानों तक ही सीमित रखा
1960 के दशक में इस पद को असंख्य अवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यों में विचारकों द्वारा उपयोगी पाया गया
== कुह्नीय क्रांतिकारी बदलाव ==
[[चित्र:Duck-Rabbit illusion.jpg|right|200px|thumb|कुह्न ने बत्तख-खरगोश के दृष्टिभ्रम का प्रयोग यह दिखलाने के लिये किया कि क्रांतिकारी बदलाव किस तरह से एक ही जानकारी को एक बिलकुल ही भिन्न तरीके से प्रस्तुत कर सकता
[[ज्ञानमीमांसा|ज्ञानवादीय]] '''क्रांतिकारी बदलाव''' को ज्ञान-पद्धति शास्त्री और इतिहासकार थामस कुह्न ने अपनी पुस्तक, ''द स्ट्रक्चर ऑफ साइंटिफिक रिवोलुशनस'' में वैज्ञानिक क्रांति का नाम दिया.
कुह्न के अनुसार, वैज्ञानिक क्रांति तब होती है जब वैज्ञानिकों का सामना ऐसी असामान्यताओं से होता है, जो सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत उस रूपांतरण के आधार पर समझाई नहीं जा सकती हैं, जिसकी सीमा में रह कर अब तक की वैज्ञानिक तरक्की की गई हो. यह रूपांतरण, कुह्न के विचार में केवल वर्तमान सिद्धांत नहीं है बल्कि एक संपूर्ण वैश्विक नजरिया है, जिसमें वह व उसमें निहित प्रभाव मौजूद होते हैं। यह वैज्ञानिकों द्वारा अपने चारों ओर पहचानी गई ज्ञान की दृश्यावली की विशेषताओं पर आधारित
"वर्तमान रूपांतरण के विरूद्ध पर्याप्त महत्वपूर्ण असामान्यताओं के जमा हो जाने पर, वैज्ञानिक अनुशासन, कुह्न के अनुसार एक ''संकट'' की स्थिति में चला जाता
किसी विषय के एक रूपांतरण से दूसरे में परिवर्तित होने को कुह्न की पदावली में ''वैज्ञानिक क्रांति'' या ''क्रांतिकारी बदलाव'' कहा जाता
== विज्ञान और क्रांतिकारी बदलाव ==
रूपांतरणों का एक आम गलत विवेचन यह मानना है कि क्रांतिकारी बदलावों की खोज और विज्ञान की गतिशील प्रकृति (वैज्ञानिकों के विषयात्मक निर्णयों के लिये उसके अनेक अवसरों के साथ) आपेक्षितता का एक मामला है:<ref>सिंकी, एच (1997) ''कुह्न का ओंटोलॉजिकल रिलेटिविज्म'' . बॉस्टन ने विज्ञान के दर्शनशास्त्र में अध्ययन किया, खंड 192, पीपी. 305-320.</ref> यह नजरिया कि सभी तरह के विश्वास तंत्र समान हैं, इस तरह कि [[जादू]], [[धर्म|धार्मिक सिद्धांत]] या [[छद्म विज्ञान|मिथ्याविज्ञान]] वास्तविक [[विज्ञान]] के जितने ही समान कार्यात्मक मूल्य रखते हैं। {{Citation needed|date=April 2008}} कुह्न इस व्याख्या का जोरदार खंडन करते हैं और कहते हैं कि जब किसी वैज्ञानिक रूपांतरण का स्थान कोई नया रूपांतरण लेता है, जो हालांकि एक जटिल सामाजिक प्रक्रिया है, तो भी नया रूपांतरण केवल भिन्न ही नहीं बल्कि ''सदैव बेहतर'' होता
आपेक्षितता के ये दावे, एक और दावे से बंधे हैं जिसका समर्थन कुह्न किसी तरह से करते हैं: कि विभिन्न रूपांतरणों की भाषा और सिद्धांतों को एक दूसरे में परिवर्तित या उनका एक दूसरे के प्रति युक्तिसंगत मूल्यांकन नहीं किया जा सकता-यानी वे ''अतुलनीय'' हैं। इससे विभिन्न लोगों और संस्कृतियों के मूल रूप से भिन्न वैश्विक नजरियों या सैद्धांतिक योजनाओं पर चर्चा चली – इतने भिन्न कि भले ही वे बेहतर हों या नहीं, पर एक दूसरे के द्वारा समझे नहीं जा सकते. फिर भी, दार्शनिक डोनाल्ड डेविडसन ने 1974 में एक अत्यंत सम्मानित निबंध, “ऑन द वेरी आइडिया ऑफ अ कोंसेप्चुअल स्कीम,” प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने यह तर्क दिया कि यह विचार कि कोई भी भाषा या सिद्धांत एक दूसरे के प्रति अतुलनीय हैं, स्वयं ही असंगत
क्रांतिकारी बदलाव ऐसे विज्ञानों में अधिक नाटकीय होते हैं जो स्थिर और परिपक्व नजर आते हैं, जैसे 19वीं सदी के अंत में भौतिक शास्त्र
द स्ट्रक्चर ऑफ साइंटिफिक रिवोलुशनस में कुह्न ने लिखा, ”क्रांति के जरिये एक रूपांतरण से दूसरे में उत्तरोत्तर परिवर्तन परिपक्व विज्ञान का सामान्य विकास का तरीका
कुह्न सहित विज्ञान के दार्शनिकों और इतिहासकारों ने अंततः कुह्न के माडल के संशोधित रूप को स्वीकार किया, जो उसके मूल विचार को उसके पहले के क्रमिकतावादी माडल के साथ संश्लेषित करता
== प्राकृतिक विज्ञानों में क्रांतिकारी बदलावों के उदाहरण ==
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* [[प्लेट विवर्तिनिकी|प्लेट टेक्टानिक्स]] की व्यापक भूगर्भीय परिवर्तनों की व्याख्या के रूप में स्वीकृति.
* परम तिथिकरण का विकास
* फ्लोजिस्टन सिद्धांत के स्थान पर रसायनिक प्रतिक्रियाओं और ज्वलन के लेवायजियर सिद्धांत को स्वीकृति, जिसे रसायनिक क्रांति का नाम दिया गया
* सृजनवाद के स्थान पर लेमार्क के [[लैमार्कवाद|उद्भव]] के सिद्धांत को स्वीकृति
* उद्भव की प्रक्रिया के रूप में [[लैमार्कवाद|लेमार्कवाद]] के स्थान पर [[चार्ल्स डार्विन|चार्ल्स डारविन]] के प्राकृतिक चुनाव के सिद्धांत को स्वीकृति.
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== सामाजिक विज्ञानों में क्रांतिकारी परिवर्तनों के उदाहरण ==
कुह्न के अनुसार, एकमात्र हावी रूपांतरण का होना विज्ञानों का गुण होता है, जबकि दर्शनशास्त्र और सामाजिक विज्ञान के अधिकांश भाग में “मूल सिद्धांतों पर दावे, प्रतिदावे और बहस की परंपरा” देखी जाती
* [[मानस शास्त्र|मनोवैज्ञानिक]] अध्ययन के बर्ताव संबंधी तरीकों से हट कर आंदोलन, जिसे ज्ञानात्मक क्रांति के नाम से जाना जाता है और मानव के बर्ताव के अध्ययन के लिये ज्ञान की महत्ता को स्वीकृति.
* केनेसियन क्रांति को महाअर्थशास्त्र में एक बड़े परिवर्तन के रूप में देखा जाता
* बाद में, केनेसियनिज्म पर मुद्रावाद की स्थापना के लिये आंदोलन दूसरा विभाजक बदलाव
* फ्रिट्जाफ कैप्रा ने आजकल विज्ञान में भौतिकी से जीवन विज्ञानों में हो रहे क्रांतिकारी बदलाव का विवरण दिया
== व्यापारिक बोलचाल में ==
1990 के दशक के उत्तरार्ध में, क्रांतिकारी बदलाव एक मूल मंत्र सा बन गया, जो व्यापारिक बोलचाल में लोकप्रिय हो गया और प्रकाशनों और लेखों में अनेक बार आने लगा.<ref>
रॉबर्ट फल्फोर्ड, ग्लोब और मेल (5 जून, 1999). http://www.robertfulford.com/Paradigm.html 25-04-2008 को पुनःप्राप्त.</ref> लेखक लैरी ट्रास्क ने अपनी पुस्तक, ''माइंड द गाफे'', में पाठकों को सलाह दी है कि वे इस पद का प्रयोग न करें और इस वाक्य से युक्त कुछ भी पढ़ते समय सावधान रहें. अनेक लेखों और पुस्तकों<ref name="cnet">[http://www.cnet.com/4520-11136_1-6275610-1.html Cnet.com के शीर्ष 10 बज़वर्ड्स]</ref><ref name="Complete Idiot's Guide to A Smart Vocabulary">[http://www.mcfedries.com/vocabulary/intro.asp "द कम्प्लीट इडियट्स गाइड टू ए स्मार्ट वोकैब्यलेरी" पृष्ठ 142-143, लेखक: पॉल मैकफेड्रिज़ प्रकाशक: अल्फ़ा; प्रथम संस्करण (7 मई 2001), ISBN 978-0-02-863997-0]</ref> में अर्थहीन हो जाने की हद तक इसके कुप्रयोग और अतिप्रयोग का संदर्भ दिया गया
== अन्य उपयोग ==
"'''क्रांतिकारी बदलाव''' ” शब्द का प्रयोग कई अन्य संदर्भों में भी किया गया है, जिसमें यह किसी विशेष विचारधारा में हुए बड़े परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है – व्यक्तिगत मान्यताओं, जटिल प्रणालियों या संगठनों में मूल परिवर्तन, जिसमें पहले के सोचने या संगठन के तरीकों के स्थान पर मौलिक रूप से भिन्न सोचने या संगठन के तरीके को प्रयोग में लाया गया हो.
* [[कनाडा]] के ओ.आई.एस.ई. (O.I.S.E.) टोरोंटो विश्वविद्यालय में शिक्षा में समाजशास्त्र के प्रोफेसर, एम.एल. हांडा ने सामाजिक विज्ञानों के परिप्रेक्ष्य में रूपावली के एक सिद्धांत को विकसित किया
* अर्थशास्त्र में तकनीकी प्रणालियों में परिवर्तनों के रूप में नए तकनीकी-आर्थिक रूपांतरणों की पहचान के लिये सिद्धांत (जियोवानी डोसी) विकसित किया गया है, जो संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव डालते हैं। इस सिद्धांत को शुम्पीटर के “नाश की रचनात्मक आंधी” के विचार से जोड़ा गया
* यह समझा जाता है कि शून्य से लिये गए धरती के दो चित्रों, ”अर्थराइज़” (1968) और “द ब्लू मार्बल” (1972) ने इनके वितरण के तुरंत बाद के वर्षों में बड़ी महत्ता पाने वाले पर्यावरणीय आंदोलन के विकास में मदद की
== इन्हें भी देखें ==
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== संदर्भ ==
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:<small>[p]</small> - शब्द "पैरडाइम" का उच्चारण "पैर-अह-डाइम"
<references></references>
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