"शीतयुद्ध": अवतरणों में अंतर
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शीत युद्ध का विकास धीरे-धीरे हुआ। इसके लक्षण 1917 में ही प्रकट होने लगे थे जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद स्पष्ट तौर पर उभरकर विश्व रंगमंच पर आए। इसको बढ़ावा देने में दोनों शक्तियों के बीच व्याप्त परस्पर भय और अविश्वास की भावना ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। दोनों महाशक्तियों द्वारा एक दूसरे के विरुद्ध चली गई चालों ने इस शीतयुद्ध को सबल आधार प्रदान किया और अन्त में दोनों महाशक्तियां खुलकर एक दूसरे की आलोचना करने लगी और समस्त विश्व में भय व अशान्ति का वातावरण तैयार कर दिया, इसके बढ़ावा देने में दोनों महाशक्तियां बराबर की भागीदार रही। इसके विकास क्रम को निम्नलिखित चरणों में समझा जा सकता है-
===शीत युद्ध के विकास का प्रथम चरण===
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