"थर्मल प्रदूषण": अवतरणों में अंतर
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'''थर्मल प्रदूषण''' किसी भी प्रकार के प्रदूषण की प्रक्रिया को कहा जायेगा जिससे व्यापक रूप में [[पानी के प्राकृतिक]] [[तापमान]] में बदलाव होता हो.
थर्मल प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण [[बिजली संयंत्रों]] तथा औद्योगिक विनिर्माताओं द्वारा [[शीतलक]] पानी का प्रयोग करने से होता है. जब शीतलक हेतु प्रयोग किया गया पानी पुनः प्राकृतिक पर्यावरण में आता है तो उसका तापमान अधिक होता है, तापमान में बदलाव के कारण (क.) [[ऑक्सीजन]] की मात्रा में कमी आती है (ख.) [[पारिस्थिथिकी तंत्र]] पर भी प्रभाव पड़ता है. [[नगरीय जल बहाव]]-- [[सड़कों]] और [[गाड़ियों को रखने के स्थानों]] से [[बहे पानी]], ये सभी तापमान के बढ़ने के कारण हो सकते
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ऑक्सीजन की मात्रा की कमी के वजह से मछलियों, [[उभयचर जीवों]] और [[कोपेपोड़ों]] को नुकसान पहुंच सकता है. थर्मल प्रदूषण जल-प्राणियों के [[चयापचयी]] की प्रक्रिया को भी प्रभावित करती है, जैसे की [[एंजाइम]] गतिविधि, परिणामतः जीवाश्म अल्प समय में ज्यादा खाद्य पदार्थ सेवन करने लगते हैं, जो की वे नहीं करते अगर पर्यावरण में बदलाव ना हुआ होता. चयापचयी की प्रक्रिया में बदलाव के कारण खाद्य पदार्थ में कमी आ सकती है, जिसकी वजह से बहुत तीव्र गति से जनसंख्या में घटौति हो सकती है. पर्यावरण में बदलाव का परिणाम यह भी हो सकता है की जीव एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चले जाएं जहां का पर्यावरण अनुकूलनीय हो, इसी प्रकार वे मछलियां भी अपना घर बदल सकती हैं जो की कहीं और सिर्फ उष्म जल में रहने की आदि हों. ऐसे में यह स्थिति अल्प अंतर में उपलब्ध संसाधनों के लिए होड़ की स्थिति पैदा करती है, इस कारण उन जीवाणुओं से जो उष्म तापमान की अनुकूल नहीं है, उनसे ज्यादा अनुकूलित जीवाणुओं को लाभ होता है. इस कारण पुराने और नए पर्यावरण में उपलब्ध [[खाद्य पदार्थ की श्रृंखला]] में समझौता करना पड़ता है. यह स्थिति [[जैविक भिन्नता]] को कम कर सकती है.
ध्यातव्य है की महज दो डिग्री [[सेल्सियस]] भी अगर तापमान में बदलाव होता है तो उसका व्यापक असर जीवाणुओं के चयापचय और अन्य [[कोशकीय जीवविज्ञान]] सम्बन्धी प्रभाव पड़ सकते
मुख्य प्रतिकूल बदलावों में कोशकीय परतों की परिगम्यता जो की [[विसारण]] के लिए जरूरी है, कोषकाएं [[प्रोटीन]] का जमाव और [[चयापचय]] के [[एंजाइम]] फेर-बदल में ये सभी शामिल होंगे. कोशकीय स्तर पर इन बदलावों का प्रतिकूल प्रभाव उनके [[जीवन]] और [[प्रजनन]] पर पड़ेगा.
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एंजाइम के गतिविधि में घटौती के कारण जल-जीवों के लिए समस्यायं खड़ी हो सकती हैं मसलन वह [[चर्बी]] गलाने की क्षमता को नष्ट करती है, जो की [[कुपोषण]] का कारण बनती है.
कुछ मामलों में उष्मीय जल का नगण्य प्रभाव देखा जा सकता है, यहां तक की नए जल्य पारिस्थितिकी तंत्र को वह बेहतर भी बना सकती
आकलन बताते हैं की अगर इन बिजली संयंत्रों द्वारा छोड़े गए पानियों के स्थलों को हटा दिया जाये तो इनकी जनसंख्या में कमी आयेगी.
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== पारिस्थितिक प्रभाव - शीतल जल ==
जलाशयों द्वारा अप्राकृतिक रूप में ठन्डे पानी के छोड़े जाने पर नदी के मछलियों, मेरुदंडविहिन जीवाणुओं और उसके जीव-जंतुओं पर पड़ सकता है.
[[ऑस्ट्रेलिया]] की नदियां, जहां, उष्णिय जल तापमानों का स्थापत्य है, वहां के स्थानीय मछलियों की नस्लों का सफाया हो गया है और मेरुदंड विहीन जीव-जंतुओं में भरी मात्रा में फेर-बदल हुआ है अथवा शक्तिहीन हो गए
== थर्मल प्रदूषण नियंत्रण ==
[[चित्र:Coal power plant Knepper 1.jpg|thumb|right|जर्मनी के डॉर्टमुंड में गुस्तव नेपर पावर स्टेशन पर शीतलक टॉवर]]
'''औद्योगिक अपशिष्ट'''
[[संयुक्त राज्य]] में औद्योगिक स्रोतों द्वारा थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण, बिजली संयंत्र, [[पेट्रोलियम शोधक]], [[लुगड़ी और कागज़ मिल]], [[रासायन संयंत्र]], [[स्टील मिल]] और [[अयस्क]]
* [[ठंडे तालाबों]], मनुष्य निर्मित जलाशयों में [[भाप]] के तकनीक, [[संवहन]] और [[विकिर्णन]] द्वारा इन्हें ठंडा किया जा सकता है.
* [[ठन्डे करने के टावर]] जो की भाप के तकनीक तथा [[उष्मता के विसर्जन]] द्वारा [[वातावरण]] को ठंडा करते
* [[पुनर्जीवनीकरण]] एक ऐसी प्रक्रिया जिसके द्वारा घरेलू अथवा औद्योगिक अतिरिक्त उष्णता को पुनः कम किया जाता है.<ref>
{{Cite report |title=Profile of the Fossil Fuel Electric Power Generation Industry |url=http://www.epa.gov/compliance/resources/publications/assistance/sectors/notebooks/fossil.html |author=EPA |year= 1997 |publisher= |accessdate= }} दस्तावेज़ नम्बर EPA/310-R-97-007. p. 24</ref>
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'''शहरी बहाव'''
गर्मियों के मौसम में, शहरी बहावों के छोटे जल स्रोतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि पानी, बहुत गर्म हो गए पार्किंग के स्थलों, सड़कों और राहगीरों के लिए चलने वाले जगहों से होकर बहता है.
इस पानी को बहाने के लिए जो सुविधाएं हैं उनकी वजह से सीधे-सीधे यह [[जमीनी पानी]] से जाकर मिल जाता है, इन्हें [[प्राकृतिक रूप में जल धारण]] करने वाले स्थलों की तथा [[मजबूत जलकुन्दों]] जैसे प्रणालियों के द्वारा थर्मल प्रदूषण को रोका जा सकता है. [[जल को धारण करने वाले बेसिनों]] से तापमान कम करने में ज्यादा सहायता नहीं पहुंचती क्योंकि छोटे जल स्रोतों में जाकर मिलने से पहले ही ये सूरज की रौशनी से गर्म हो जाते
== यह भी देखें ==
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