"सियाचिन विवाद": अवतरणों में अंतर

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क़रीब 18000 फुट की ऊँचाई पर स्थित दुनिया के सबसे ऊँचे रणक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर सैन्य गतिविधियाँ बंद करने के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच क़रीब सात साल बाद एक बार फिर बातचीत हुई है। इस बातचीत में भारतीय रक्षा सचिव अजय विक्रम सिंह भारतीय दल के मुखिया थे जबकि पाकिस्तानी शिष्टमंडल का नेतृत्व वहाँ के रक्षा सचिव सेवानिवृत्त लैफ़्टिनेंट जनरल हामिद नवाज़ ख़ान ने किया। उजाड़, वीरान और बर्फ़ से ढका यह ग्लेशियर यानी हिमनद सामरिक रुप से दोनों ही देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन इस पर सेनाएँ तैनात रखना दोनों ही देशों के लिए महंगा सौदा साबित हो रहा है। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच 1989 तक सात दौर की वार्ता हुई थी लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। पिछले सात सालों में सियाचिन पर यह पहली बातचीत है जिसे सकारात्मक कहा जा रहा है। गुरूवार को बातचीत के पहले दौर के बाद पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी से भी मुलाक़ात भी की है।
 
== इतिहास ==
 
सियाचिन की समस्या क़रीब 21 साल पुरानी है। 1972 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जब शिमला समझौता हुआ तो सियाचिन के एनजे-9842 नामक स्थान पर युद्ध विराम की सीमा तय हो गई। इस बिंदु के आगे के हिस्से के बारे में कुछ नहीं कहा गया. अगले कुछ वर्षों में बाक़ी के हिस्से में गतिविधियाँ होने लगीं। पाकिस्तान ने कुछ पर्वतारोही दलों को वहाँ जाने की अनुमति भी दे दी. कहा जाता है कि पाकिस्तान के कुछ मानचित्रों में यह भाग उनके हिस्से में दिखाया गया। इससे चिंतित होकर भारत ने 1985 में ऑपरेशन मेघदूत के ज़रिए एनजे-9842 के उत्तरी हिस्से पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।