"डिंगल": अवतरणों में अंतर
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== वाचन और गायन ==
डींगल गीतों का वाचन और गायन बहुत सरल नहीं
== वर्तमान स्थिति ==
राजस्थान में भक्ति, शौर्य और श्रृंगार रस की भाषा रही डींगल अब चलन से बाहर होती जा रही
अब हालत ये है कि डींगल भाषा में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध प्राचीन ग्रंथों को पढ़ने की योग्यता रखने वाले बहुत कम लोग रह गए हैं।
कभी डींगल के ओजपूर्ण गीत युद्ध के मैदानों में रणबाँकुरों में उत्साह भरा करते थे लेकिन वक़्त ने ऐसा पलटा खाया कि राजस्थान, गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के कुछ भागों में सदियों से बहती रही डींगल की काव्यधारा अब ओझल होती जा रही
साहित्यकार [[पूनमचंद बिश्नोई]] कहते हैं कि पहले डींगल को सरकारी सहारा मिलता था और यह रोज़गार से जुड़ी हुई थी पर अब ऐसा नहीं
अनेक जैन मुनियों ने बी डींगल में रचनाएं की हैं। थार मरुस्थल में आज भी अनपढ़ लोग डींगल की कविता करते मिल जाएंगे.
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