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'''न्यूट्रोपेनिया ''', लैटिन के उपसर्ग ''नयूट्रो'' -(कोई भी नहीं, निष्पक्ष अभिरंजन के लिए) और [[यूनानी भाषा|ग्रीक]] [[प्रत्यय]] -''πενία'' (कमी), एक रुधिर संबंधित विकार है जिसके तहत रक्त में सबसे महत्वपूर्ण [[श्वेत रक्त कोशिका]] 'न्यूट्रोफिल' की असामान्य रूप से कमी हो जाती है. नयूट्रोफिल आमतौर पर संचारित श्वेत रक्त कोशिकाओं का 50-70% हिस्सा बनाते हैं और [[रक्त|रुधिर]] में उपस्थित [[जीवाणु|बैक्टीरिया]] को नष्ट करके [[संक्रमण]] के खिलाफ शरीर के प्राथमिक रोग प्रतिरोधक के रूप में काम करते
बीमारी की अवधि के आधार पर न्यूट्रोपेनिया गंभीर अथवा दीर्घकालिक हो सकता है. यदि यह स्थिति 3 महीने से अधिक समय तक बनी रहे तो मरीज को दीर्घकालिक न्यूट्रोपेनिया से ग्रस्त माना जाता है. कभी-कभी इसे ल्यूकोपेनिया ("श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी") शब्द के स्थान पर भी प्रयुक्त किया जाता है, क्योंकि नयूट्रोफिल सर्वाधिक मात्रा में पाए जाने वाले ल्यूकोसाइट होते हैं, परन्तु न्यूट्रोपेनिया को ल्यूकोपेनिया का एक उपवर्ग मानना अधिक उचित रहेगा.
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संभव है कि न्यूट्रोपेनिया का पता ना चल पाए, परन्तु सामान्यतः किसी रोगी को गंभीर [[संक्रमण]] अथवा सेप्सिस हो जाने पर यह पकड़ में आ जाता है. न्यूट्रोपेनिया के रोगियों में कुछ सामान्य संक्रमण अप्रत्याशित रूप धारण कर सकते हैं; उदाहरण के लिए, [[पूय|मवाद]] का बनना उल्लेखनीय रूप से अनुपस्थित हो सकता है, क्योंकि इसके लिए नयूट्रोफिल ग्रैनुलोसाईट के संचरण की आवश्यकता होती है.
न्यूट्रोपेनिया के सामान्य लक्षणों में [[ज्वर|बुखार]] और बार-बार संक्रमण होना शामिल है. ये संक्रमण मुंह के अल्सर, [[अतिसार|दस्त]], पेशाब करते समय जलन, घाव के आस पास असामान्य लालिमा, दर्द और सूजन, अथवा गले की खराश जैसी स्थितियां उत्पन्न कर सकते
== निदान ==
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