"नीहारिका": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
इस बात के प्रमाण उपलब्ध हैं कि दूरबीन के आविष्कार के पहले से [[माया]] लोगों को नीहारिकाओं के बारे में पता था.था। [[मृग नक्षत्र]] के आसपास के आकाश के क्षेत्र से सम्बंधित एक लोककथा इस सिद्धांत का समर्थन करती है.है। कहानी में उल्लेख है कि धधकती आग के आसपास एक धब्बा है.है।<ref>[2] ^ क्रूप, एडवर्ड सी. (1999), [http://pqasb.pqarchiver.com/skyandtelescope/access/886319051.html?dids=886319051:886319051&amp;FMT=CITE&amp;FMTS=CITE:PAGE&amp;date=Feb+1999&amp;author=E+C+Krupp&amp;desc=Igniting+the+Hearth इग्नाइटिंग द हार्थ ], स्काइ एंड टेलीस्कोप (फरवरी): 94</ref>
 
लगभग 150 ईस्वी पूर्व [[क्लाडियस टॉलमी]] (टॉलमी) ने अपनी पुस्तक ''[[आल्मागेस्ट]]'' के VII-VIII अंक में नीहारिकाओं में प्रकट होनेवाले पांच सितारों का उल्लेख किया है.है। उन्होंने [[सप्तर्षि तारामंडल]] में एक बादलों से युक्त या धुंधले क्षेत्र का भी उल्लेख किया था, जो किसी भी तारे के साथ नहीं जुड़ा था.था।<ref>{{cite
| first=P. | last=Kunitzsch | year=1987 | title=A Medieval Reference to the Andromeda Nebula | journal=Messenger | volume=49 | pages=42–43 | url=http://www.eso.org/sci/publications/messenger/archive/no.49-sep87/messenger-no49-42-43.pdf | bibcode=1987Msngr..49...42K | accessdate=2009-10-31 }}</ref> [[तारागुच्छों]] से भिन्न पहली वास्तविक नीहारिका का उल्लेख [[ईरान|फारसी]] खगोलविद [[अब्द अल- रहमान अल-सूफी]] ने अपनी "स्थित तारों की पुस्तक" (964) में किया था.था।<ref name="Jones">{{citation|title=Messier's nebulae and star clusters|author=Kenneth Glyn Jones|publisher=[[Cambridge University Press]]|year=1991|isbn=0521370795|page=1}}</ref> उन्होंने [[एण्ड्रोमेडा गैलेक्सी]] के स्थान पर "एक छोटा बादल" देखा था.था।<ref name="rasqj25">{{cite journal | last=Harrison | first=T. G. | year=1984 | month=March | title=The Orion Nebula&nbsp;— where in History is it | journal=Royal Astronomical Society Quarterly Journal | volume=25 | issue=1 | pages=70–73 | bibcode=1984QJRAS..25...65H }}</ref> उन्होंने [[ओम्रीक्रान वेलोरम]] नक्षत्र पुंज को "नेब्यलस स्टार" या अस्पष्ट तारे एवं अन्य अस्पष्ट वस्तुओं को [[ब्रुची'ज क्लस्टर]] के रूप में चिन्हित किया था.था।<ref name="Jones" /> 1054 में अरब और [[चीनी खगोलविदों]] द्वारा [[क्रैब नेब्यल]] SN 1054 की रचना करने वाले [[सुपरनोवा]] को देखा गया था.था।<ref name="Lundmark">[10] ^ लैंडमार्क के. (1921), ''[http://adsabs.harvard.edu/cgi-bin/nph-data_query?bibcode=1921PASP...33..225L&amp;link_type=ARTICLE&amp;db_key=AST पुराने इतिहास एवं हाल के भूमध्यरेखीय अध्ययन में दर्ज संदिग्ध नए सितारे]", एस्ट्रॉनॉमिकल सोसायटी ऑफ़ द पैसिफिक का प्रकाशन, वी. 33, पृ.225, ''</ref><ref name="Mayall">मायाली एन. यू. (1939), [http://adsabs.harvard.edu/cgi-bin/nph-data_query?bibcode=1939ASPL....3..145M&amp;link_type=ARTICLE&amp;db_key=AST क्रैब नेब्यल, एक संभावित अभिनव तारा (सुपरनोवा)], '' एस्ट्रॉनॉमिकल सोसायटी ऑफ़ द पैसिफिक की पुस्तिकाएं, 3 वी., पृ.145''</ref>
 
अज्ञात कारणों की वजह से अल-सूफी [[ओरियन नेब्यल]] (मृग नक्षत्र की नीहारिका) को पहचानने में विफल रहे, जो कि रात के आकाश में कम से कम एंड्रोमेडा आकाश गंगा के बराबर स्पष्ट दिखाई देता है.है। 26 नवम्बर 1610 को [[निकोलस-क्लॉड फाबी दे पिरेस्क]] ने एक दूरबीन का उपयोग कर ओरियन नेब्यल का आविष्कार किया। 1618 में [[जॉन बेप्टिस्ट सीस्ट]] ने भी इस नीहारिका का अध्ययन किया। हालांकि, 1659 तक अर्थात् [[ईसाई हाइजेन्स]] जो अपने को नीहारिकाओं या इस खगोलीय धुंधलके का अविष्कार करने वाले पहला व्यक्ति मानते थे, से पहले ओरियन नेब्यल पर कोई विस्तृत अध्ययन नहीं हुआ.<ref name="rasqj25" />
 
1715 में, [[एडमंड हैली]] ने छह नीहारिकाओं की एक सूची प्रकाशित की.<ref>{{cite journal
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| last=Struve | first=Otto | year=1937
| title=Recent Progress in the Study of Reflection Nebulae | journal=Popular Astronomy | volume=45
| pages=9–22 | bibcode=1937PA.....45....9S }}</ref> 1912 में, जब [[वेस्तो स्लीफर]] ने यह दर्शाया कि [[मेरोपे]] तारे के आसपास की नीहारिकाओं की श्रेणी [[प्लीयेदस]] [[खुले तारागुच्छ]] से मिलती है, तब इनमें एक तीसरा वर्ग जोड़ा गया. इस प्रकार नीहारिका तारों के प्रतिविम्वित प्रकाश द्वारा चमकता है.है।<ref>{{cite journal
| last=Slipher | first=V. M. | year=1912
| title=On the spectrum of the nebula in the Pleiades
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| pages=26–27 | bibcode=1912LowOB...2...26S }}</ref>
 
स्लीफर और [[एडविन हबल]] ने अनेक विसरित नीहारिकाओं से इनकी विस्तृत श्रेणियों को एकत्र करना जारी रखा तथा पता लगाया कि इनमें से 29 उत्सर्जन स्पेक्ट्रा दिखाते हैं और 33 में तारों के प्रकाश का सतत स्पेक्ट्रा था.था।<ref name="struve37" /> 1922 में हबल ने घोषणा की कि लगभग सभी नीहारिकाएं सितारों से जुडी हैं और उनकी रोशनी तारों के प्रकाश से आती है.है। उन्होंने यह भी पता लगाया कि उत्सर्जन स्पेक्ट्रम की नीहारिकाएं लगभग हमेशा B1 या उससे अधिक गर्म (सभी [[तारों की श्रेणियाँ|O श्रेणी]] के [[मुख्य अनुक्रम]] तारों सहित) से जुडी रहती हैं, जबकि सतत स्पेक्ट्रा युक्त नीहारिकाएं अपेक्षाकृत ठंडे तारों के साथ प्रकट होती हैं।<ref>{{cite journal
| last=Hubble | first=E. P. | year=1922
| title=The source of luminosity in galactic nebulae.
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[[चित्र:Ngc2024 med.jpg|thumb|250px|left|NGC 2024, ज्वाला नीहारिका (द फ्लेम नेब्यल).]]
 
अनेक नीहारिकाओं का गठन [[अंतरतारकीय माध्यम]] में गैस के आपसी [[गुरुत्वाकर्षण]] की वजह से होता है.है। अपने निजी भार के तहत द्रव्य के संकुचित होने की वजह से केंद्र में अनेक विशाल सितारों का गठन हो सकता है और उनका [[पराबैंगनी]] (अल्ट्रावायलेट) प्रकाश आसपास की गैसों को [[आयनित]] कर प्रकाश [[तरंगों]] पर उन्हें दृष्टिगोचर बनाता है.है। [[रोजे़ट नेब्यल]] और [[पेलिकॉन नेब्यल]] इस प्रकार की नीहारिकाओं के उदाहरण हैं। HII क्षेत्र के नाम से परिचित इस प्रकार की नीहारिकाओं का आकार, गैस के वास्तविक बादलों के आकार पर निर्भर होता है.है। यही वह जगह हैं जहां सितारों का गठन होता है.है। इससे गठित सितारों को कभी-कभी एक युवा, ढीले क्लस्टर के रूप में जाना जाता है.है।
 
कुछ नीहारिकाओं का गठन [[सुपरनोवा]] में होनेवाले विस्फोट अर्थात् विशाल और अल्प-जीवी तारों के अंत के परिणामस्वरुप होता है.है। [[सुपरनोवा]] के विस्फोट से बिखरनेवाली सामग्री ऊर्जा द्वारा आयनित होती है और इससे निर्मित हो सकनेवाली ठोस वस्तु का गठन होता है.है। [[वृष तारामंडल]] का [[क्रैब नेब्यल]] इसका स्रवश्रेष्ट उदाहरण है.है। वर्ष 1054 में सुपरनोवा की घटना दर्ज की गयी और इसे और [[SN1054]] के रूप में चिह्नित किया गया. विस्फोट के बाद निर्मित ठोस वस्तु क्रैब नेब्यल के केन्द्र में स्थित है और यह एक [[न्यूट्रॉन स्टार]] है.है।
 
अन्य नीहारिकाएं [[ग्रहीय नीहारिकाओं]] का गठन कर सकती हैं। [[पृथ्वी]] के [[सूरज]] की तरह, यह लो-मास अर्थात् द्रव्यमान तारे के जीवन का अंतिम चरण है.है। 8-10 [[सौर द्रव्यमान]] वाले [[तारे]] [[लाल दानव तारों]] के रूप में विकसित होते हैं और अपने वातावरण में स्पंदन के दौरान धीरे-धीरे अपनी बहरी परत खो देते हैं। जब एक तारा पर्याप्त सामग्री खो देता है, तब इसका तापमान बढ़ता है और इससे उत्सर्जित [[पराबैंगनी विकिरण]] इसके द्वारा आसपास फेंके हुए नेब्यल को [[आयनित]] कर सकता है.है। नीहारिका में अवशिष्ट सामग्री सहित 97% [[हाइड्रोजन]] और 3% [[हीलियम]] है.है। इस चरण का मुख्य लक्ष्य संतुलन प्राप्त करना है.है।
 
== नीहारिकाओं के प्रकार ==
=== परम्परागत प्रकार ===
नीहारिकाओं को चार प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया गया है.है। पहले गैलेक्सीओं और [[गोल तारागुच्छों]] को भिन्न प्रकार की नीहारिकायें समझा जाता था.था। [[गैलेक्सीओं]] की सर्पाकार संरचना की व्याख्या के लिए सर्पाकार नीहारिका का उपयोग किया जाता था.था।
* [[H II क्षेत्र]], जो विसरित नीहारिका, उज्ज्वल नीहारिका और प्रतिबिंब नीहारिका को घेरे रहता है.है।
* ग्रहों की नीहारिका
* सुपरनोवा (अभिनव तारे का) अवशेष
* अंधेरी या गहरी नीहारिका
इस वर्गीकरण में बादल जैसी सभी ज्ञात संरचनायें शामिल नहीं हैं। जिसका एक उदहारण [[हर्बिग-हारो]] ऑब्जेक्ट है.है।
 
=== विसरित नीहारिका ===
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सितारों के पास की विसरित नीहारिकाएं [[प्रतिबिंब नीहारिका]] का उदाहरण हैं।
 
अधिकांश नीहारिकाओं को विसरित नीहारिकाएं कहा जा सकता है, जिसका अर्थ है कि वे विस्तृत हैं एवं किसी सर्वमान्य परिभाषा की सीमा में नहीं आतीं.<ref name="Messier">{{cite web|url=http://seds.lpl.arizona.edu/messier/diffuse.html|publisher=University of Illinois SEDS|title=The Messier Catalog: Diffuse Nebulae|accessdate=2007-06-12|archiveurl=http://web.archive.org/web/19961225125109/http://seds.lpl.arizona.edu/messier/diffuse.html|archivedate=1996-12-25}}</ref> दिखाई देने योग्य रोशनी में इन नीहारिकाओं को [[उत्सर्जन नीहारिका]] और [[प्रतिबिंब नीहारिका]]में विभाजित किया जा सकता है, जो इस बात पर आधारित है कि हमें दिखाई देनेवाले प्रकाश की रचना किस तरह हुई है.है। उत्सर्जन नीहारिका में [[अयानित]] गैस (ज्यादातर अयानित हाइड्रोजन) होता है, जो उत्सर्जन की [[धुंधली रेखा]] बनाती हैं।<ref name="shu1982">{{cite book
| author = F. H. Shu
| title = The Physical Universe
पंक्ति 77:
| year = 1982
| location = Mill Valley, California
| isbn = 0-935702-05-9}}</ref> इन उत्सर्जन नीहारिकाओं को अक्सर [[HII क्षेत्र]] कहा जाता है, "HII" शब्द का उपयोग व्यवसायिक खगोल विज्ञान में अक्सर आयनित हाइड्रोजन के लिए किया जाता है.है। उत्सर्जन नीहारिकाओं की तुलना में, प्रतिबिंब नीहारिकाएं स्वयं पर्याप्त मात्रा में दिखाई देने योग्य प्रकाश रेखा नहीं बनातीं बल्कि अपने आसपास के सितारों के प्रकाश को प्रतिबिंबित करती हैं।<ref name="shu1982" />
 
अंधरी या गहरी नीहारिकाएं विसरित नीहारिकाओं जैसी ही हैं, लेकिन उन्हें उनके द्वारा उत्सर्जित या प्रतिविम्बित प्रकाश द्वारा नहीं देखा जा सकता. इसके बजाए, उन्हें दूर के तारों या उत्सर्जन नीहारिकाओं के सामने के गहरे बादलों के रूप में देखा जाता है.है।<ref name="shu1982" />
 
हालांकि ये नीहारिकाएं प्रकाश तरंगों पर अलग-अलग दिखाई देती हैं, पर वे सभी [[इन्फ्रारेड]] या अवरक्त तरगों पर उत्सर्जन के उज्ज्वल स्रोत हैं। यह उत्सर्जन मुख्यतः नीहारिकाओं के भीतर की [[खगोलीय धूल|धूल]] से आता है.है।<ref name="shu1982" />
 
=== ग्रहीय नीहारिकाएं ===
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[[चित्र:PIA04533.jpg|thumb|250px|right|रेड रेक्टांग्ल नेब्यल, प्रोटो प्लेनेटरी नीहारिका का एक उदाहरण.]]
 
एक [[प्रोटो प्लेनेटरी नेब्यल]] (PPN) एक खगोलीय वस्तु है, जो भूतपूर्व [[अनंतस्पर्शी विशाल शाखा]] (LAGB) की स्थिति और उसके बाद के ग्रहों की नीहारिका (PN) के चरण के बीच एक तारे के त्वरित [[तारकीय क्रमिक विकास]] का अल्पकालीन प्रकरण है.है।<ref name="sahaietal2005">{{cite journal
| author= R. Sahai, C. Sánchez Contreras, M. Morris
| title=A Starfish Preplanetary Nebula: IRAS 19024+0044
पंक्ति 108:
| pages=948–960
| url=http://adsabs.harvard.edu/abs/2005ApJ...620..948S | doi = 10.1086/426469
}}</ref> एक PPN सशक्त अवरक्त विकिरण उत्सर्जित करता है और एक प्रतिबिंब नीहारिका है.है। एक PPN के ग्रहों की नीहारिका (PN) बनने के वास्तविक बिंदु को केन्द्रीय सितारे के तापमान द्वारा परिभाषित किया जाता है.है।
 
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[[चित्र:Crab Nebula.jpg|thumb|250px|क्रैब नेब्यल, एक सुपरनोवा अवशेष का एक उदाहरण.]]
 
जब एक हाई-मॉस सितारा अपने जीवन के अंत तक पहुंच जाता है तब [[सुपरनोवा]] घटित होता है.है। जब सितारे के मूल या केंद्र में [[परमाणु संलयन]] बंद हो जाता है, तब सितारा विघटित हो जाता है.है। अन्दर रिसनेवाली गैस या तो प्रतिक्षिप्त होती है अथवा इतनी अधिक गर्म हो जाती है कि यह केन्द्र से बाहर की ओर फैलती है तथा तारे के विस्फोट का कारण बनती है.है।<ref name="shu1982" /> गैस का फैला हुआ खोल, एक विशेष प्रकार के[[विसरित नीहारिका]] [[सुपरनोवा अवशेष]] की रचना करता है.है।<ref name="shu1982" /> हालांकि, सुपरनोवा अवशेष का अधिकांश प्रकाश एवं [[एक्स-रे]] उत्सर्जन आयनित गैस से उत्पन्न होता है, [[रेडियो]]उत्सर्जन का बड़ा भाग [[सिंक्रोटॉन उत्सर्जन]] के नाम से परिचित नॉन-थर्मल उत्सर्जन है.है।<ref name="shu1982" /> यह उत्सर्जन [[चुंबकीय क्षेत्रों]] में दोलायमान उच्च-वेग युक्त [[इलेक्ट्रॉनों]] से उत्पन्न होता है.है।
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