"अपाम नपात": अवतरणों में अंतर
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'''अपाम नपात''' प्राचीन [[हिन्दू धर्म]] के एक देवता हैं जिनका उल्लेख [[ऋग्वेद]] में मिलता है। वे [[नदियों]], [[झीलों]] व अन्य स्वच्छ पानी के [[अधिदेवता]] हैं। आर्यों के इन प्राचीन देव की मान्यता प्राचीन [[ईरान]] के [[ज़रथुष्टी धर्म]] में भी है। [[संस्कृत]] व [[अवस्ताई भाषा]] दोनों में इनके नाम का अर्थ 'जल का पौत्र (पोता)' निकलता है। इनका वर्णन ऋग्वेद २:३५:३ में एक अग्निदेव के रूप में है जो जल से उभरते हैं। पारसी धार्मिक ग्रन्थ [[अवेस्ता]] में इनका ज़िक्र १९वे यश्त में आता है जिसमें इन्हें मानवों का कृतिकर्ता बताया गया है।<ref name="ref80zupab">[http://books.google.com/books?id=_0s9AAAAIAAJ ऋग्वेद भाष्यम: संस्कृतार्यभाषाभ्याम समन्वितम], स्वामी ब्रह्म मुनि, स्वामी दयानंद सरस्वती, वैदिक पुस्तकालय, १९७५, ''... उन्हे बरसाने, थमाने और पुन: गिराने वाला होने से वरुण होता है ( अपाम-नपात-भूद: ) आकाश में जलसंग्रह को न गिराने वाला - थामने वाला या वहाँ से मेघ में विद्युद्रूप से प्रकट होने वाला - विद्युद्रूप अग्नि होता
== आधुनिक हिन्दी शब्दों से समानता ==
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