"प्रत्यक्षवाद (विधिक)": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2014}}{{स्रोत कम}}'''विधिक प्रत्यक्षवाद''' (Legal positivism) [[विधि]] एवं [[विधिशास्त्र]] के दर्शन से सम्बन्धित एक विचारधारा (school of thought) है। इसका विकास अधिकांशतः अट्ठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी के विधि-चिन्तकों द्वारा हुआ जिनमें [[जेरेमी बेंथम]] (Jeremy Bentham) तथा [[जॉन ऑस्टिन]] (John Austin) का नाम प्रमुख है। किन्तु विधिक प्रत्यक्षवाद के इतिहास में सबसे उल्लेखनीय नाम एच एल ए हार्ट (H.L.A. Hart) का है जिनकी 'द कॉसेप्ट ऑफ लॉ' (The Concept of Law) नामक पुस्तक ने इस विषय में गहराई से विचार करने को मजबूर कर दिया। हाल के वर्षों में रोनाल्द डोर्किन (Ronald Dworkin) ने विधिक प्रत्यक्षवाद के कुछ केन्द्रीय विचारों पर गम्भीर सवाल उठाये हैं।
 
विधिक प्रत्यक्षवाद को सार रूप में कहना कठिन है किन्तु प्रायः माना जाता है कि विधिक प्रत्यक्षवाद का केन्द्रीय विचार यह है: :"किसी विधिक प्रणाली में, कोई विचार (norm) वैध है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसका स्रोत क्या है न कि उसके गुणदोष (merits) क्या हैं?