"श्रीधर व्यंकटेश केतकर": अवतरणों में अंतर

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भारत आने के बाद केतकर ने कुछ वर्ष [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] में राजनीतिशास्त्र तथा [[अर्थशास्त्र]] पढ़ाने में व्यतीत किए। इसी समय उन्होंने दो अन्य ग्रंथ प्रकाशित किए - भारतीय अर्थशास्त्र तथा हिंदू विधि (हिंदू लॉ अँड द मेथड्स अँड प्रिन्सिपल्स ऑफ द हिस्टॉरिकल स्टडी देअरऑफ)।
 
उन्होंने जनवरी, 1916 में ही वस्तुत: मराठी ज्ञानकोश के महान्‌ साहित्यिक अनुष्ठान का औपचारिक रूप से आरंभ किया। उन्हें इसे पाँच वर्ष में प्रकाशित करने की आशा थी किंतु वास्तव में केवल पहला खंड ही सन्‌ 1921 में निकल सका और इक्कीसवाँ खंड (अनुक्रमणिका) 1929 में प्रकाशित हुआ। 1916 से 1929 तक का 13-14 वर्ष का समय केतकर के लिए असाधारण दौड़ धूपवाली सक्रियता का था, क्योंकि उन्हें एक साथ ही ज्ञानकोश के संपादक, व्यवस्थापक, मुद्रक, प्रकाशक, यहाँ तक कि स्थान स्थान पर जाकर उसके ग्राहक बनाने का भी कार्य करना पड़ता था। पूर्ण संलग्नता चाहनेवाले इस काम के साथ साथ, और उसके समाप्त हो जाने के बाद भी, वे अन्यान्य कार्यों में - साहित्यिक, सामाजिक तथा राजनीतिक - बराबर जुटे रहते थे। वे एक दैनिक समाचारपत्र तथा एक साहित्य पत्रिका का संपादन करते थे और उपन्यास, राजनीतिक पुस्तिकाएँ तथा समाजविज्ञान संबंधी निबंध लिखा करते थे। इसके अतिरिक्त वे अपनी भावी पुस्तक '[[प्राचीन महाराष्ट्र का इतिहास]]' के संबंध में बहुत सा गवेषण कार्य भी करते रहते थे। किंतु यह बात हमें मान ही लेनी पड़ती है कि सन्‌ 1930 के बाद की उनकी रचनाएँ देखने से स्पष्ट हो जाता है कि पहले के कुशल लेखक की मानसिक ग्रहणशीलता में कमी आ गई है।
 
सन्‌ 1920 में केतकर ने एक जर्मन महिला, एडिथ क्ह्रो से [[विवाह]] किया, जो व्रत्यस्तोम के द्वारा [[हिंदू धर्म]] में दीक्षित कर ली गई थी। इसी महिला ने [[विंटरनित्स]] द्वारा लिखित 'भारतीय साहित्य का इतिहास' का अंग्रेजी में अनुवाद प्रस्तुत किया। उनके जीवन को स्थिरता प्रदान करने में इस विवाह से बड़ी सहायता मिली।