"संस्कृतीकरण": अवतरणों में अंतर

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== परिभाषा==
श्रीनिवास ने संस्कृतीकरण की परिभाषा देते हुए कहा कि "इस प्रक्रिया में ''निचली'' या ''मध्यम'' हिन्दू जाति या जनजाति या कोई अन्य समूह, अपनी प्रथाओं, रीतियों, और जीवनशैली को उच्च या प्रायः ''द्विज'' जातियों की दिशा में बदल लेते हैं। प्रायः ऐसे परिवर्तन के साथ ही वे जातिव्यवस्था में उस स्थिति से उच्चतर स्थिति के दावेदार भी बन जाते हैं, जो कि परम्परागत रूप से स्थानीय समुदाय उन्हें प्रदान करता आया हो....।"<ref name="Jayapalan2001">{{cite book|author=N. Jayapalan|title=Indian society and social institutions|url=http://books.google.com/books?id=AumuJ2jtRZIC&pg=PA428|accessdate=17 January 2013|year=2001|publisher=Atlantic Publishers & Distri|isbn=978-81-7156-925-0|page=428}}</ref>
 
संस्कृतीकरण का एक स्पष्ट उदाहरण कथित "निम्न जातियों" के लोगों द्वारा द्विज जातियों के अनुकरण में शुद्ध शाकाहार को अपनाना है, जो कि परम्परागत रूप से अशाकाहारी भोजन के विरोधी नहीं होते।