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'''सफदर हाशमी''' एक कम्युनिस्ट नाटककार, कलाकार, निर्देशक, गीतकार
सफदर जन नाट्य मंच और दिल्ली में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई ) के स्थापक-सदस्य थे। जन नाट्य मंच की नींव १९७३ में रखी गई थी, जनम ने इप्टा से अलग हटकर आकार लिया था। सफदर की जनवरी १९८९ में साहिबाबाद में एक नुक्कड़ नाटक 'हल्ला बोल' खेलते हुए हत्या कर दी गई थी।
== शुरुआती जीवन ==
१२ अप्रैल १९५४ को सफदर का जन्म दिल्ली में हनीफ और कौमर आज़ाद हाशमी के घर पर हुआ था। उनका शुरुआती जीवन अलीगढ़ और दिल्ली में गुज़रा, जहां एक प्रगतिशील मार्क्सवादी परिवार में उनका लालन-पालन हुआ, उन्होने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली में पूरी की।
दिल्ली के सेंट स्टीफेन्स कॉलेज से अंग्रेज़ी में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होने दिल्ली यूनीवस्र्टी से अंग्रेजी में एमए किया। यही वह समय था जब वे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सांस्कृतिक यूनिट से जुड़ गए
== कैरियर और सक्रियता==
हाशमी जन नाट्य मंच (''जनम'') के संस्थापक सदस्य थे। यह संगठन १९७३ में [[इप्टा]] से अलग होकर बना, सीटू जैसे मजदूर संगठनो के साथ जनम का अभिन्न जुड़ाव रहा। इसके अलावा जनवादी छात्रों, महिलाओं, युवाओं, किसानो इत्यादी के आंदोलनो में भी इसने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई।
१९७५ में आपातकाल के लागू होने तक सफदर जनम के साथ नुक्कड़ नाटक करते रहे
{{Rquote|right|मुद्दा यह नहीं है कि नाटक कहाँ आयोजित किया जाए (नुक्कड नाटक, कला को जनता तक पंहुचाने का श्रेष्ठ माध्यम है), बल्कि मुख्य मुद्दा तो तो उस अवश्यंभावी और न सुलझने वाले विरोधाभास का है, जो कला के प्रति ‘व्यक्तिवादी बुर्जुवा दृष्टिकोण’ और ‘सामूहिक जनवादी दृष्टिकोण’ के बीच होता है।
- सफदर हाशमी, अप्रैल 1983
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सफदर ने जनम के निर्देशक की भूमिका बखूबी निभाई, उनकी मृत्यु तक जनम २४ नुक्कड़ नाटकों को ४००० बार प्रदर्शित कर चुका था। इन नाटकों का प्रदर्शन मुख्यत: मजदूर बस्तियों, फैक्टरियों और वर्कशॉपों में किया गया था।
सफदर हिंदुस्तान की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी [[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)]] के सदस्य थे। १९७९ में उन्होने अपनी कॉमरेड और सह नुक्कड़ कर्मी 'मल्यश्री हाशमी' से शादी कर ली। बाद में उन्होंने [[प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया]] और इक्रोमिक्स टाइम्स के साथ पत्रकार के रूप में काम किया, वे दिल्ली में पश्चिम बंगाल सरकार के 'प्रेस इंफोरमेशन ऑफिसर' के रूप में भी तैनात रहे। १९८४ में उन्होने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और खुद का पूरा समय राजनैतिक सक्रियता को समर्पित कर दिया।
सफदर ने दो बेहतरीन नाटक तैयार करने में अपना सहयोग दिया, मक्सिम गोर्की के नाटक पर आधारित 'दुश्मन' और प्रेमचंद की कहानी 'मोटेराम के सत्याग्रह' पर आधारित नाटक जिसे उन्होने हबीब तनवीर के साथ १९८८ में तैयार किया था। इसके अलावा उन्होने बहुत से गीतों, एक टेलीवीज़न धारावाहिक, कविताओं, बच्चों के नाटक
| url=http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2003/11/031104_safdar_verdict.shtml
| title=सफ़दर मामले में आज सज़ा सुनाई जाएगी
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