"समाजवाद": अवतरणों में अंतर

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समाजवाद शब्द का प्रयोग अनेक और कभी कभी परस्पर विरोधी प्रसंगों में किया जाता है; जैसे समूहवाद अराजकतावाद, आदिकालीन कबायली साम्यवाद, सैन्य साम्यवाद, ईसाई समाजवाद, सहकारितावाद, आदि - यहाँ तक कि नात्सी दल का भी पूरा नाम राष्ट्रीय समाजवादी दल था।
 
समाजवाद की परिभाषा करना कठिन है। यह सिद्धांत तथा आंदोलन, दोनों ही है, और यह विभिन्न ऐतिहासिक और स्थानीय परिस्थितियों में विभिन्न रूप धारण करता है। मूलत: यह वह आंदोलन है जो उत्पादन के मुख्य साधनों के समाजीकरण पर आधारित वर्गविहीन समाज स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है और जो मजदूर वर्ग को इसका मुख्य आधार बनाता है, क्योंकि वह इस वर्ग को शोषित वर्ग मानता है जिसका ऐतिहासिक कार्य वर्गव्यवस्था का अंत करना है।
 
== इतिहास ==
आदिकालीन साम्यवादी समाज में मनुष्य पारस्परिक सहयोग द्वारा आवश्यक चीजों की प्राप्ति, और प्रत्येक सदस्य के आवश्यकतानुसार उनका आपस में बँटवारा करते थे। परंतु यह साम्यवाद प्राकृतिक था; मनुष्य की सचेत कल्पना पर आधारित नहीं था। आरंभ के ईसाई पादरियों की रहन सहन का ढंग बहुत कुछ साम्यवादी था, वे एक साथ और समान रूप से रहते थे, परंतु उनकी आय का स्रोत धर्मावलंबियों का दान था और उनका आदर्श जनसाधारण के लिए नहीं, वरन् केवल पादरियों तक सीमित था। उनका उद्देश्य भी आध्यात्मिक था, भौतिक नहीं। यही बात मध्यकालीन ईसाई साम्यवाद के संबंध में भी सही है। पीरू (Peru) देश की प्राचीन इंका (Inka) सभ्यता को सैन्य साम्यवाद की संज्ञा दी जाती है, परंतु उसका आधार सैन्य संगठन था और वह व्यवस्था शासक वर्ग का हितसाधन करती थी। नगरपालिकाओं द्वारा लोकसेवाओं के साधनों को प्राप्त करना, अथवा देश की उन्नति के लिए आर्थिक योजनाओं के प्रयोग मात्र को समाजवाद नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह आवश्यक नहीं कि इनके द्वारा पूँजीवाद को ठेस पहुँचे। नात्सी दल ने बैंकों का राष्ट्रीकरण किया था परंतु पूँजीवादी व्यवस्था अक्षुण्ण रही।
 
== समाजवाद के प्रकार ==
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इस काल का प्रथम समाजवादी विचारक फ्रांस-निवासी बाबूफ़ (Babeuf, 1764-97) था। वह भूमि के राष्ट्रीयकरण के पक्ष में था तथा अपने व्यय की प्राप्ति क्रांति द्वारा करना चाहता था। अठारहवीं शताब्दी के अंत और उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ के अन्य प्रमुख फ्रांसीसी समाजवादी विचारक साँ सीमों (Saint Simon 1760-1825) और फ़ोरिए (Fourier 1772-1837) हैं। साँ सीमों संपत्ति पर सामाजिक अधिकार स्थापित करना चाहता था परंतु वह सबको समान वरन् श्रम के अनुसार वेतन के पक्ष में था। फ़ोरिए के विचार साँ सीमों से मिलते जुलते हैं, परंतु वह सहकारी संगठनों की कल्पना भी करता है।
 
उपर्युक्त फ्रांसीसी समाजवादियों के विचारों से ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमरीका भी प्रभावित हुए। ब्रिटेन का तत्कालीन प्रमुख समाजवादी विचारक रॉबर्ट ऑवेन (Robert Owen, 1771-1858) था। वह स्वयं एक मजदूर और बाद में सफल पूँजीपति, समाजसुधारक, और मजदूर तथा सहकारी आंदोलनों का प्रवर्तक हुआ। उसका कथन था कि मनुष्य का स्वभाव परिस्थितियों से प्रभावित होता है। वह शिक्षा, प्रचार और समाज-सुधार द्वारा पूँजीवादी शोषण का अंत करना चाहता था। अपने विचारों के अनुसार उसने उपनिवेश स्थापित करने का प्रयत्न किया, परंतु असफल रहा; तथापि उसके विचारों का ब्रिटिश और संयुक्त राज्य अमरीका के मजदूर आंदोलनों पर गहरा प्रभाव पड़ा। ऑवेन की भाँति काबे (Cabet, 1781-1856) ने भी संयुक्त राज्य अमरीका में समाजवादी उपनिवेश स्थापित किए परंतु उसके प्रयत्न भी सफल न हो सके।
 
ऑवेन के बाद ब्रिटेन में मजदूरों के अंदर चार्टिस्ट, (Chartist) विचारधारा का प्रादुर्भाव हुआ। यह आंदोलन मताधिकार प्राप्त कर संसद् पर अधिकार स्थापित करना, और इस प्रकार राज्यशक्ति प्राप्त करने के बाद आर्थिक तथा सामाजिक सुधार करना चाहता था। आगे चलकर फेबियन तथा अन्य समाजवादियों ने इस संवैधानिक मार्ग का आश्रय लिया। परंतु फ्रांसीसी समाजवादी लुईज्लाँ (Louis Blonc, 1811-1882) क्रांतिकारी था। वह उद्योगों के समाजीकरण ही नहीं, मजदूरों के काम करने के अधिकार का भी समर्थक था। ""प्रत्येक अपनी सामथ्र्य के अनुसार कार्य करे और प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार प्राप्ति हो"" उसने इस साम्यवादी विचार का प्रचार किया।
 
कार्ल मार्क्स (1818-83) के साथी एंगिल्स ने उपर्युक्त आधुनिक समाजवादी विचारों को काल्पनिक समाजवाद का नाम दिया। इन विचारों का आधार भौतिक और वैज्ञानिक नहीं, नैतिक था; इनके विचारक ध्येय की प्राप्ति के सुधारवादी साधनों में विश्वास करते थे; और भावी समाज की विस्तृत परंतु अवास्तविक कल्पना करते थे।
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=== फेबियसवाद ===
ब्रिटेन में फेबियन सोसायटी की स्थापना सन् 1883-84 ई. में हुई। रॉवर्ट ऑवेन तथा चार्टिस्ट आंदोलन के प्रभाव से यहाँ स्वतंत्र मजदूर आंदोलन की नींव पड़ चुकी थी, फेबियन सोसाइटी ने इस आंदोलन को दर्शन दिया। इस सभा का नाम फेबियस कंकटेटर फेबियन (Fabius Cunctater) के नाम से लिया गया है। फेबियस प्राचीन रोम का एक सेनानी था जिसने कार्थेंज के प्रसिद्ध सेनानायक हन्नीबल (Hannibal) के विरुद्ध संघर्ष में धैर्य से काम लिया और गुरीला नीति द्वारा उसको कई वर्षों में परास्त किया। इसी प्रकार फेबियन समाजवादियों का विचार है कि पूँजीवाद को केवल एक मुठभेड़ में क्रांतिकारी मार्ग द्वारा परास्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए पर्याप्त काल तक सोच विचार और तैयारी की आवश्यकता है। इनका तरीका विकास और सुधारवादी है। स्वतंत्र मजदूर दल की स्थापना के पूर्व ये ब्रिटेन के विभिन्न राजनीतिक दलों में प्रवेश कर अपना उद्देश्य पूरा करना चाहते थे। इनका मुख्य ध्येय चरम नैतिक संभावनाओं के अनुसार समाज का पुनर्निर्माण था। ये राज्य को वर्गशासन का यंत्र न मानकर एक सामाजिक यंत्र मानते हैं जिसके द्वारा समाजकल्याण और समाजवाद की स्थापना संभव है। इन विचारकों ने न केवल संसद् वरन् नगरपालिका और ग्रामीण क्षेत्रीय परिषदों द्वारा भी समाजवादी प्रयोगों का कार्यक्रम अपनाया। अत: इनके विचारों को लोकतंत्रीय, संसदीय, बैलट बक्स, चुंगी, विकास अथवा सुधारवादी समाजवाद की संज्ञा दी जाती है। इन विचारकों में प्रमुख सिडनी वेब (Sydney Webb), जाज बर्नाड शाँ, कोल (G. D. H. Cole), ऐनी बेसेंट (Anne Besant), ग्रहम वालस (Grahem Wallace) इत्यादि हैं। इन विचारकों पर ब्रिटिश परंपरा, उपयोगितावाद, राबर्ट ऑवेन, ईसाई समाजवाद, और चार्टिस्ट आंदोलन तथा जान स्टुआर्ट मिल के अर्थशास्त्रियों के विचारों का गहरा प्रभाव है।
 
=== जर्मनी का पुनरावृत्तिवाद ===
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अराजकता शब्द के फ्रांसीसी रूपांतर का प्रयोग पहली बार फ्रांसीसी क्रांति के समय (1789) उन क्रांतिकारियों के लिए किया गया था जो सामंतों की जमीन को जब्त करके किसानों में बाँटना और धनिकों की आय को सीमित करना चाहते थे। तत्पश्चात् सन् 1840 में फ्रांसीसी विचारक प्रुधों (Proudhon) ने अपनी पुस्तक ""संपत्ति क्या है?"" में इस शब्द का प्रयोग किया। सन् 1871 के बाद जब अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ में फूट पड़ी तब मार्क्स के संघवादी विरोधियों को अराजकतावादी कहा गया। आए दिन की भाषा में आतंकवाद और अराजकतावाद पर्यायवाची शब्द हैं; परंतु वस्तुत: दार्शनिक अराजकतावादी केवल राजकीय दमन के विरुद्ध ही आतंक और क्रांतिकारी उपायों के पक्ष में हैं।
 
संसार का प्रथम अराजकतावादी विचारक चीनी दार्शनिक लाओ त्से (Lao Tse) माना जाता है। प्राचीन यूनान के विचारक अरिस्टीप्पस (Aristippus) और जीनो (Zeno) के दर्शन में भी इन विचारों का पुट है। ब्रिटेन का गोडविन (Godwin) और फ्रांसीसी प्रूधों राज्य और शासनसंस्थाओं-न्यायालय आदि का विरोध करते थे। प्रूधों के अनुसार संपत्ति चोरी का माल है। वह श्रम के आधार पर पण्य विनिमय, और लेनदेन में एक प्रतिशत सूद की दर के पक्ष में था।
 
इस संबंध में रूस के तीन अराजकतावादियों के विचार महत्वपूर्ण हैं। बाकूनिन (Bakunin) क्रांतिकारी अराजकतावादी था, पिं्रस क्रॉपोटकिन (Kropotkin 1842-1921) वैज्ञानिक अराजकतावादी तथा लिआ टाल्सटाय (Leo Tolstoy) ईसाई अराजकतावादी। बाकूनिन राज्य को एक आवश्यक दुर्गुण और पिछड़ेपन का चिन्ह तथा संपत्ति और शोषण का पोषक मानता था। राज्य व्यक्ति की स्वाधीनता, उसकी प्रतिभा और क्रयशक्ति, उसके विवेक और नैतिकता को सीमित करता है। इस प्रकार अराजकतावाद व्यक्तिवाद की चरम सीमा है। बाकूनिन क्रांतिकारी मार्ग द्वारा राज्य और उसकी संस्थाओं पुलिस, जेल, न्यायालय आदि का अंत कर स्वतंत्र स्थानीय संस्थाओं की स्थापना के पक्ष में था। ये समुदाय पारस्परिक सहयोग के लिए अपना राष्ट्रीय संघ स्थापित कर सकते थे। रूसो और कांट (Kant) भी इसी प्रकार के स्वतंत्र समुदायों और संघों के समर्थक थे।
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अराजकतावादियों का विचार है कि मनुष्य स्वभाव से अच्छा है और यदि उसके ऊपर राज्य का नियंत्रण न रहे तो वह समाज में शांतिपूर्वक रह सकता है। राज्य के रहते हुए मनुष्य का बौद्धिक, नैतिक और रागात्मक विकास संभव नहीं। इनके अनुसार राजकीय समाजवाद (समूहवाद) नौकरशाहीवाद और राजकीय पूँजीवाद है। ये युद्ध और सैन्यवाद (militarisrn) के विरोधी और विकेंद्रीकरण के पक्ष में हैं।
 
अराजकतावाद से बुद्धिजीवी और मजदूर, दोनों ही प्रभावित हुए हैं। अनेक लेखक और दार्शनिकों ने स्वाधीनता संबंधी विचारों को स्वीकार किया है। इनमें जॉन स्टुआर्ट मिल, हरबर्ट स्पेंसर, हैरोल्ड लास्की, और बट्रेंड रसल के नाम मुख्य हैं। इस विचारधारा के बुद्धिजीवी समर्थक फ्रांस, स्पेन, इटली, रूस, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमरीका आदि अनेक देशों में पाए जाते थे, परंतु फ्रांस और ब्रिटेन के मजदूर आंदोलनों ने भी इन विचारों को संशोधित रूप में स्वीकार किया। इसके फ्रांसीसी स्वरूप का नाम सिंडिकवाद (Syndicalism) और ब्रिटिश का गिल्ड समाजवाद (Guild Socialism) है।
 
== सिंडिकवाद ==
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== गिल्ड (संघ) समाजवाद ==
गिल्ड समाजवाद सिंडिकवाद की प्रतिलिपि मात्र नहीं, उसका ब्रिटिश परिस्थितियों में अभ्यनुकूलन (adaptation) है। गिल्ड समाजवाद के ऊपर स्वाधीनता की परंपरा और फेबियसवाद का भी प्रभाव है। इसका नाम यूरोप के मध्यकालीन व्यावसायिक संघ (ÊMɱb÷) संगठनों से लिया गया है। उस समय से संघ आर्थिक और सामाजिक जीवन पर हावी थे और विभिन्न संघों के प्रतिनिधि नगरों का शासन चलाते थे। गिल्ड समाजवादी उपर्युक्त संघ व्यवस्था से प्रेरणा ग्रहण करते थे। वे राजनीतिक क्षेत्र और उद्योग धंधों में लोकतंत्रात्मक सिद्धांत और स्वायत्तशासन स्थापित करना चाहते थे। ये विचारक उद्योगों के राष्ट्रीयकरण मात्र से संतुष्ट नहीं क्योंकि इससे नौकरशाही का भय है परंतु वे राज्य का अंत भी नहीं करना चाहते। राज्य को अधिक लोकतंत्रात्मक और विकेंद्रित करने के बाद वे उसको देशरक्षा और भोक्ता (consumer) के हितसाधान के लिए रखना चाहते हैं। उनके अनुसार राजकीय संसद् में केवल क्षेत्रीय ही नहीं, व्यावसायिक प्रतिनिधित्व भी होना चाहिए। ये राज्य और उद्योगों पर मजदूरों का नियंत्रण चाहते हैं अत: सिंडिकवाद के निकट हैं परंतु राज्यविरोधी न होने के कारण इनका झुकाव समूहवाद की ओर भी है। ये असफलता के भय से क्रांतिकारी मार्ग को स्वीकार नहीं करते लेकिन केवल वैधानिक मार्ग को भी अपर्याप्त समझते हैं, और मजदूरों के सक्रिय आंदोलन, हड़ताल आदि का भी समर्थन करते हैं।
 
प्रथम महायुद्ध के पूर्व और उसके बीच में इस विचारधारा का प्रभाव बढ़ा। युद्ध के समय मजदूरों ने रक्षा-उद्योगों पर नियंत्रण की माँग की और उसके बाद मजदूर संघों ने स्वयं मकान बनाने के ठेके लिए, परंतु कुछ काल बाद सरकारी सहायता न मिलने पर ये प्रयोग असफल हुए। गिल्ड समाजवाद के प्रमुख समर्थकों में आर्थर पेंटी (Arther Penty), हाब्सन (Hobson), ऑरेंज (Orange) और कोल (Cole) के नाम उल्लेखनीय हैं। ब्रिटेन का मजदूर दल और मजदूर आंदोलन इस विचारधारा से विशेष प्रभावित हुए हैं।