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'''सियाचिन ग्लेशियर''' या '''सियाचिन हिमनद''' [[हिमालय]] पूर्वी कराकोरम रेंज में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास लगभग देशान्तर: ७७.१० पूर्व, अक्षांश: ३५.४२ उत्तर पर स्थित है। यह [[काराकोरम]] के पांच बडे [[हिमनदों]] में सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हिमनद है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई इसके स्रोत्र इंदिरा कोल पर लगभग 5753 मीटर और अंतिम छोर पर 3620 मीटर है। यह लगभग ७० [[किमी]] लम्बा है। निकटवर्ती क्षेत्र बाल्टिस्तान की बोली बाल्टी में "सिया" का अर्थ है एक प्रकार का "जंगली गुलाब" और "चुन" का अर्थ है "बहुतायत", इसी से यह नाम प्रचलित हुआ।
 
सामरिक रुप से यह [[भारत]] और [[पाकिस्तान]] के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है। इस पर सेनाएँ तैनात रखना दोनों ही देशों के लिए महंगा सौदा साबित हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि सियाचिन में भारत के १० हजार सैनिक तैनात हैं, और इनके रखरखाव पर प्रतिदिन ५ करोड़ रुपये का खर्च आता है।
 
सियाचीन समुद्र तल से करीब 5,753 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। कश्मीर क्षेत्र में स्थित इस ग्लेशियर पर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद है। सियाचिन विवाद को लेकर पाकिस्तान, भारत पर आरोप लगाता है कि 1989 में दोनों देशों के बीच यह सहमति हुई थी कि भारत अपनी पुरानी स्थिति पर वापस लौट जाए लेकिन भारत ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। पाकिस्तान का कहना है कि सियाचिन ग्लेशियर में जहां पाकिस्तानी सेना हुआ करती थी वहां भारतीय सेना ने 1984 में कब्जा कर लिया था। उस समय पाकिस्तान में जनरल जियाउल हक का शासन था। पाकिस्तान तभी से कहता रहा है कि भारतीय सेना ने 1972 के शिमला समझौते और उससे पहले 1949 में हुए करांची समझौते का उलंघन किया है। पाकिस्तान की मांग रही है कि भारतीय सेना 1972 की स्थिति पर वापस जाए और वे इलाके खाली करे जिन पर उसने कब्जा कर रखा है।