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{{see also|Great Chinese Famine }}
[[चित्र:Engraving-FamineRelief-China.gif|thumb|right|चीनी अकाल राहत में लगे अधिकारी, 19 वीं सी. खुदा हुआ चित्र]]
चीनी विद्वानों ने ईसा पूर्व 108 से 1911 तक किसी न किसी प्रान्त में हुई 1828 अकाल की घटनाओं की गणना की है - जो औसतन लगभग एक अकाल प्रति वर्ष है.<ref>[http://links.jstor.org/sici?sici=1473-799X%28192705%296%3A3%3C185%3ACLOF%3E2.0.CO%3B2-F&amp;size=LARGE&amp;origin=JSTOR-enlargePag चीन: लैंड ऑफ फैमिन]</ref> 1933 से 1937 के बीच हुए एक भयंकर अकाल में 6 मिलियन चीनी मर गए थे. चार अकाल जो 1810, 1811, 1846, और 1849 में आये थे, उनके लिए कहा जाता है कि उनमे कम से कम 45 मिलियन व्यक्ति मारे गए थे.<ref>[http://www.mitosyfraudes.org/Polit/Famines.html फियर्फुल फैमिन्स ऑफ दी पास्ट]</ref> ताइपिंग बगावत के कारण 1850 से 1873 की अवधि में, सूखे व अकाल की वजह से चीन की आबादी में 60 मिलियन से अधिक की कमी आई.<ref>[http://www.wsu.edu/~dee/CHING/TAIPING.HTM चिंग चाइना: डी टैपिंग रिबेलियन]</ref> चीन के क्विंग वंश की [[अफसरशाही|नौकरशाही]] ने अकाल कम करने पर विस्तृत रूप से ध्यान दिया उसे एल नीनो - दक्षिण से सम्बन्धित सूखे व बाढ़ के कारण होने वाली अकाल घटनाओं को टालने का श्रेय मिला. इन घटनाओं की तुलना कुछ कम मात्रा में चीन के 19 वीं सदी के विस्तृत अकालों की पारिस्थितिक घटनाओं से की जा सकती है. (पियरे -एटिन विल, ''ब्योरोक्रेसी एंड फेमिन'' ) क्विंग चीन ने राहत के प्रयास किये, जिसमें शामिल थे विशाल प्रमाण में खाद्यान्न भेजना और वह एक जरुरत थी जिससे अमीरों ने गरीबों व मूल्य नियमन के लिए अपने भंडारगृह खोल दिए, और यह शासन की ओर से किसानों को दी जाने वाली निर्वाह की गारंटी के भाग के रूप में था (''मिंग -शेंग'' के रूप में जाना गया).
 
उन्नीसवीं सदी के मध्य में जब एक तनावग्रस्त साम्राज्य राज्य प्रबंधन से हट गया और अनाज को सीधे ही आर्थिक दानशीलता के लिए भेजा जाने लगा, तब वह प्रणाली समाप्त हो गई. इस प्रकार तोंगाज़ी पुनर्स्थापना के अंतर्गत 1867-68 के अकाल से सफलतापूर्वक निजात पा लिया गया, लेकिन 1877-78 में विशाल उत्तरी चीन में जो अकाल आया वह उत्तरी चीन में आये सूखे के कारण आया महाविनाश था. [[शांशी|शांक्सी]] प्रांत में आबादी उल्लेखनीय रूप से कम होने लगी, क्योंकि अनाज ख़त्म हो गया था और भूखे लोगों ने हताशा में जंगलों, खेतों व अपने घरों को भी अनाज के लिए उजाड़ दिया था. अनुमानित मृत्यु संख्या 9.5 से 13 मिलियन व्यक्तियों की है.<ref>[http://www.fao.org/docrep/U8480E/U8480E05.htm डायमेन्शन्स ऑफ नीड - पीपुल एंड पॉपुलेशन्स एट रिस्क]. ''फ़ूड एंड अग्रिक्ल्च्र्र ओर्ग्निसेशन ऑफ़ दि यूनाइटेड नेशन्स'' (FAO).</ref> (माइक डेविस, ''लेट विक्टोरियन होलोकास्ट्स'' ).
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==== पश्चिमी यूरोप ====
{{See|Medieval demography|Crisis of the Late Middle Ages}}
सन् 1315 से 1317 (या 1322 तक) का भीषण अकाल पहला बड़ा खाद्य संकट था जिसने यूरोप को 14वीं शताब्दी में घेरे रखा. उत्तरी यूरोप में कई वर्षों तक लाखों लोग मारे गए, अकाल ने 11वीं और 12वीं शताब्दी की समृद्धि को नष्ट कर दिया.<ref>"''[http://books.google.com/books?id=R688at3KskQC&amp;pg=PA49&amp;dq&amp;hl=en#v=onepage&amp;q=&amp;f=false दी स्टोरी ऑफ आयरलैंड]'' ". ब्रायन इगोए (2009). पी.49.</ref> अकाल 1315 की बसंत ऋतु में खराब मौसम के साथ शुरू हुआ, और फसलों का व्यापक नुकसान 1317 की गर्मियों तक जारी रहा, जिससे यूरोप 1322 तक उबर नहीं पाया. इस अवधि को बड़े पैमाने पर आपराधिक गतिविधियों, बीमारियों और जनसंहारों, शिशुहत्याओं और निष्ठुरता के काल के रूप में याद रखा गया. यह अकाल चौदहवीं शताब्दी में चर्च, राज्य, यूरोपियन समाज और भविष्य की आपदाओं पर अपने प्रभाव छोड़ गया. उस दौरान मध्यकालीन ब्रिटेन 95 अकालों,<ref>"[http://www.telegraph.co.uk/opinion/main.jhtml?xml=/opinion/2004/08/08/do0809.xml&amp;sSheet=/opinion/2004/08/08/ixop.html पूअर स्टडीज़ विल ऑलवेज़ बी विथ अस]". जेम्स बर्थोलोमेव द्वारा. टेलीग्राफ़. अगस्त 7. 2004.</ref> और फ़्रांस 75 या उससे अधिक अकालों से प्रभावित हुआ़.<ref>"[http://www.britannica.com/EBchecked/topic/201392/famine फैमिन]". एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका.</ref> 1315-6 के अकाल में [[इंग्लैंड]] की कम से कम 10% आबादी या कम से कम 500,000 लोग मारे गए.<ref name="famine">"''[http://books.google.com/books?id=eGsCGAdH4YQC&amp;pg=PA66&amp;dq&amp;hl=en#v=onepage&amp;q=&amp;f=false दी सीवेज वार्स ऑफ पिस: इंग्लैंड, जापान एंड दी मेल्थुसियन ट्रेप]'' ". एलन मैकफार्लेन (1997). पी.66. आईएसबीएन 0631181172</ref>
[[चित्र:Goya-Guerra (59).jpg|thumb|गोया के त्रासदी युद्ध की एक नक्काशी, भूख से मर रही महिलाओं को दिखाता हुआ, 1811-1812 में मैड्रिड से प्रेरित एक उत्कीर्णन.]]
17वीं शताब्दी का समय यूरोप में खाद्य उत्पादकों के लिए परिवर्तन का काल था. शताब्दियों तक वे सामंतवादी व्यवस्था में कृषि पर गुजारा करने वाले किसानों के रूप में रहे थे. वे अपने मालिकों के ऋणी थे, जिनके पास अपने किसानों द्वारा जोती गई जमीन के विशेषाधिकार थे. जागीर का मालिक वर्ष भर में उत्पादित फसल और पशुधन का एक भाग लेता था. किसान सामान्यतया कृषि खाद्य उत्पादन में किए गए काम को न्युनतम करने की कोशिश करते थे. उनके मालिक उन पर खाद्य उत्पा‍दन बढ़ाने के लिए बहुत ही कम जोर डालते थे, जब आबादी बढ़ने लगी केवल तब किसानों ने खुद ही उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया. जुताई के लिए अधिक से अधिक जमीन का उपयोग किया गया जबतक कोई जमीन बची ही नहीं, और किसान अधिक श्रम आधारित पद्धतियां अपनाने को मजबूर हुए. जब तक कि उनके पास अपने परिवार को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन था तब तक वे अपना समय दूसरे कामों जैसे शिकार करने, [[मत्स्य पालन|मछली पकड़ने]] या आराम करने में बिताना पसंद करते थे. जितना खाना वे खा सके या खुद के लिए संग्रहीत कर सके उससे ज्यादा उत्पादन करना आवश्यक नहीं था.
 
17वीं शताब्दी के दौरान पिछली शताब्दियों के प्रचलन को जारी रखते हुए [[बाज़ार|बाजार]]-चालित कृषि में बढ़ोतरी हुई. खासतौर पर पश्चिमी यूरोप में [[किसान]], वे लोग जिन्होंने भूमि के उत्पादों से लाभ कमाने के लिए भूमि उधार दी थी और मजदूरी पाने वाले मजदूर तेजी से आम बात हो गए. उत्पाद को मांग वाले क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा बेचने के लिए जितना संभव हो सके उतना अधिक उत्‍पादन करना उनके हित में था. उन्होंने हर साल फसल में बढ़ोतरी की जब भी वे कर पाए. किसानों ने अपने मजदूरों का भुगतान [[पैसा|पैसों]] से किया इसने ग्रामीण समाज में व्यवसायीकरण को बढ़ावा दिया. इस व्यवसायीकरण ने किसानों के व्यावहार पर गहरा प्रभाव डाला. किसान अपनी भूमि पर श्रमिक इनपुट को बढ़ाने में रुचि रखने लगे थे, न कि कृषि पर गुजारा करने वाले किसानों की तरह इनपुट घटाने में.
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सन 1620 के आसपास पूरे यूरोप में अकाल फैलने का दूसरा दौर दिखाई पड़ा. हालांकि पच्चीस बरस पहले के अकालों के मुकाबले आमतौर पर इनकी गंभीरता काफी कम थी, लेकिन फिर भी कई इलाकों में इन्होने काफी गंभीर रूप धारण कर लिया था. 1696 का [[फ़िनलैण्ड|फिनलैंड]] का भीषण अकाल, जो सन 1600 के बाद का संभवतः सबसे विनाशकारी अकाल था, ने उस देश की एक-तिहाई आबादी को मौत के मुंह में धकेल दिया था. {{PDFlink|[http://www.euro.who.int/document/peh-ehp/nehapfin.pdf]|589&nbsp;[[Kibibyte|KiB]]<!-- application/pdf, 603384 bytes -->}}
 
1693 और 1710 के बीच [[फ़्रांस|फ्रांस]] में दो बड़े अकालों का प्रकोप आया, और इसने 20 लाख से अधिक लोगों को खत्म कर दिया. दोनों मामलों में फसल खराब होने से पैदा हालात को लड़ाई के दौरान खाद्य आपूर्ति की मांग ने और ज्यादा खराब कर दिया.<ref>{{cite journal |last=Ó Gráda |first=Cormac |authorlink= |coauthors=Chevet, Jean-Michel |year=2002 |month= |title=Famine And Market In ''Ancient Régime'' France |journal=The Journal of Economic History |pmid=17494233 |volume=62 |issue= 3|pages=706–733 |doi=10.1017/S0022050702001055 |url= |accessdate= |quote= }} [http://journals.cambridge.org/action/displayAbstract?fromPage=online&amp;aid=122547 ]</ref>
 
यहां तक कि [[स्कॉटलैंड]] को 1690 के दशक के अंत में भी अकाल झेलना पड़ा जिसके कारण स्कॉटलैंड के कुछ हिस्सों की आबादी में 15% की घटोत्तरी देखी गयी.<ref>{{cite book|last=Anderson|first=Michael|title=Population change in North-western Europe, 1750-1850|publisher=Macmillan Education|year=1988|isbn=0333343867|page=9}}</ref>
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1740-43 के दौर में बेहद ठंडी सर्दियां और गर्मियों में भयानक सूखा देखा गया जिसकी वजह से पूरे यूरोप में अकाल फैला और मृत्यु दर में अचानक तेज बढ़ोत्तरी हो गई. (डेविस द्वारा लिखित, ''लेट विक्टोरियन होलोकास्ट'', पृष्ठ 281 में उल्लेखित) यह संभावना है कि 1740-41 की बेहद ठंडी सर्दी, जिसकी वजह से उत्तरी यूरोप में बड़े पैमाने पर अकाल फैला, उसका मूल कारण एक ज्वालामुखी विस्फोट रहा हो.<ref>"''[http://books.google.com/books?id=LoN2XkjJio4C&amp;pg=PA18&amp;dq&amp;hl=en#v=onepage&amp;q=&amp;f=false फैमिन: ए शॉर्ट हिस्ट्री]'' ". कोर्मैक ओ ग्राडा (2009). प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस. पी.18. आईएसबीएन 0691122377</ref>
 
महा अकाल, जो 1770 से 1771 तक चला, ने चेक गणराज्या की आबादी के लगभग दसवें हिस्से, या 250,000 निवासियों को खत्म कर दिया, और ग्रामीण इलाकों में बदलाव की अलख जगाई जिसने किसान विद्रोहों को जन्म दिया.<ref>"''दी कैम्ब्रिज इकॉनोमिक हिस्ट्री ऑफ यूरोप: दी इकॉनोमिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अर्ली मॉडर्न यूरोप'' ". ई. ई. रिच, सी. एच. विल्सन, एम.एम. पोस्टन (1977). पी.614. आईएसबीएन 0521087104</ref>
 
यूरोप के अन्य इलाकों में तो अकाल काफी हाल तक भी आते रहे हैं. [[फ़्रांस|फ्रांस]] ने उन्नीसवीं शताब्दी में अकाल का सामना किया. पूर्वी यूरोप में 20वीं शताब्दी के दौरान भी अकाल आते रहे हैं.
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अकाल की आवृत्ति जलवायु परिवर्तन के साथ बदल सकती है. उदाहरण के लिए, 15वीं सदी से 18वीं सदी के लघु हिम युग के दौरान, यूरोपीय अकालों की आवृत्ति में पिछली सदी की तुलना में लगातार वृद्धि हुई.
 
कई समाजों में अक्सर अकाल पड़ने के कारण ये काफी लंबे समय से सरकारों और अन्य प्राधिकरणों के लिए चिंता का एक प्रमुख विषय रहा है. पूर्व-औद्योगिक यूरोप में, अकाल को रोकना और समय पर भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित करना कई सरकारों की प्रमुख चिंताओं में से एक था, जिसकी वजह से वे अकाल के प्रकोप को कम करने के लिए मूल्य नियंत्रण, अन्य क्षेत्रों से भोजन के भंडार खरीदना, वितरण नियंत्रण, और उत्पादन नियंत्रण जैसे विभिन्न उपायों को लागू करती रही हैं. अधिकांश सरकारें अकाल से चिंतित रहती थीं क्योंकि यह विद्रोह और सामाजिक विघटन के अन्य रूपों को जन्म दे सकता था.
 
[[द्वितीय विश्वयुद्ध|दूसरे विश्व युद्ध]] के दौरान [[नीदरलैण्ड|नीदरलैंड]] में अकाल फिर लौट आया जिसे ''होंगरविंटर'' के रूप में जाना गया. यह यूरोप का अंतिम अकाल था जिसमें लगभग 30,000 लोग भुखमरी का शिकार हुए. यूरोप के कुछ अन्य क्षेत्रों में भी उसी समय में अकाल का अनुभव किया गया.
 
===== इटली =====
फसल विफलता उत्तरी [[इटली|इतालवी]] अर्थव्यवस्था के लिए काफी विनाशकारी साबित हुई. क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पिछले अकालों से अच्छी तरह उबरने में सक्षम रही थी, लेकिन 1618 से 1621 के अकाल युद्ध की अवधि के दौरान ही आये. अर्थव्यवस्था सदियों तक पूरी तरह से उबर नहीं पाई. पूरे उत्तरी इटली में 1640 के दशक के अंतिम वर्षों में गंभीर, और 1670 के दशक में कम गंभीर अकाल आये.
 
उत्तरी इटली में, 1767 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि वहाँ पिछले 316 वर्षों (अर्थात 1451-1767 की अवधि) में से 111 वर्षों में अकाल आया था और सिर्फ सोलह वर्षों में अच्छी पैदावार हुई थी.<ref>"''[http://books.google.com/books?id=eGsCGAdH4YQC&amp;pg=PA64&amp;dq&amp;hl=en#v=onepage&amp;q=&amp;f=false दी सीवेज वार्स ऑफ पिस: इंग्लैंड, जापान एंड दी मेल्थुसियन ट्रेप]'' ". एलन मैकफार्लेन (1997). पी.64. आईएसबीएन 0375424946.</ref>
 
स्टीफन एल. डाइसन और रॉबर्ट जे. रोलैंड के अनुसार, "केलियरी की जेसुइट्स [सार्डिनिया में] ने 1500वीं सदी के अंत के कुछ ऐसे वर्षों का वर्णन किया है "जिनके दौरान इतनी भीषण भुखमरी तथा बंजरता देखी गयी कि ज्यादातर लोगों को अपनी जान बचाने के लिए जंगली पेड़-पौधों का सहारा लेना पड़ा" ... कहा जाता है की 1680 के भयानक अकाल के दौरान, 250,000 की कुल जनसंख्या में से लगभग 80000 लोग मारे गए, और पूरे गांव के गांव तबाह हो गए थे ..."<ref>{{cite book|last=Dyson|first=Stephen L|coauthors=Rowland, Robert J |title=Archaeology and history in Sardinia from the Stone Age to the Middle Ages: shepherds, sailors & conquerors|publisher=UPenn Museum of Archaeology, 2007|location=Philadelphia|year=2007|isbn=1934536024|page=136}}</ref>
 
===== इंग्लैंड =====
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===== आइसलैंड =====
ब्राइसन (1974) के अनुसार, 1500 और 1804 के बीच आइसलैंड में सैंतीस वर्षों में अकाल पड़े थे.<ref>"''[http://books.google.com/books?id=T4DLK7zLxYMC&amp;pg=PA399&amp;dq&amp;hl=en#v=onepage&amp;q=&amp;f=false जीवन की उम्मीदें:, सांख्यिकी जनसांख्यिकी एक अध्ययन में, और मृत्यु दर दुनिया के इतिहास के]'' ". हेनरी ओलिवर लंकास्टर (1990). स्प्रिंगर. पी.399. आईएसबीएन 0-387-97105-X</ref>
 
1783 में दक्षिण मध्य [[आइसलैंड]] में [[ज्वालामुखी]] लाकी भड़क उठा. लावा से प्रत्यक्ष क्षति तो अधिक नहीं हुई, लेकिन लगभग पूरे देश में राख और सल्फर डाइऑक्साइड फ़ैल जाने के कारण वहां का लगभग तीन-चौथाई पशु-धन नष्ट हो गया. उसके बाद आने वाले अकाल में लगभग दस हजार लोग मारे गए, जो आइसलैंड की तत्कालीन जनसंख्या का पांचवां हिस्सा था. [असिमोव, 1984, 152-153]
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===== फिनलैंड =====
देश ने गंभीर अकाल झेले हैं, और
1696-1697 के अकाल में एक तिहाई जनसंख्या की मौत हुई.<ref>"[http://countrystudies.us/finland/9.htm फिनलैंड एंड स्वीडिश एम्पायर]". ''संघीय अनुसंधान विभाग, कांग्रेस पुस्तकालय'' .</ref> 1866-1868 के फिनलैंड के अकाल के कारण 15% जनसंख्या मौत के मुंह में समा गयी थी.
 
पंक्ति 302:
* अधिक जनसंख्या
* पीक फ़ूड
* सभ्यता, मानव, और पृथ्वी ग्रह के लिए खतरा
* [[भुखमरी]]
* निर्वाह संकट
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सूखा" से प्राप्त