"हम आपके हैं कौन": अवतरणों में अंतर
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== संक्षेप ==
यह प्रेम नाम के युवक और निशा नाम की युवती की कहानी है। दोनों चुलबुले, हंसमुख
पूजा की मृत्यु के बाद सबको राजेश और उसके नन्हे पुत्र की चिन्ता होती है। पत्नी के वियोग और बेटे के भविष्य की फिक्र के कारण राजेश का स्वास्थ्य गिरने लगता है। ऐसे में पूजा के पिता यह प्रस्ताव रखते हैं कि राजेश उनकी छोटी बेटी निशा से विवाह कर ले। इस बात से प्रेम कुछ पल के लिये दुविधा में घिर जाता है। किन्तु अपने भाई और भतीजे के लिये वह अपनी भावनाओं का बलिदान दे देता है और प्रस्ताव का समर्थन करता है। सबके बहुत समझाने पर बेटे के हित में राजेश इस विवाह के लिये तैयार हो जाता है। निशा के माता पिता उससे पूछ्ते हैं कि क्या वह अपनी दीदी के ससुराल में बहू बन कर जायेगी। वह समझती है कि वे उसका विवाह प्रेम से तय कर रहे हैं और शर्माते हुए अपनी स्वीकृति दे देती है। विवाह के कुछ दिन पहले ही निशा को पता चलता है कि भ्रमवश उसने राजेश की पत्नी बनने के लिये हां कर दी है। परन्तु उसे यह बोध भी होता है कि उसका यह निर्णय उसके नन्हें भांजे और राजेश के जीवन में खुशियां ला सकता है। इसलिये वह अपनी भावनाओं की बलि देने को तैयार हो जाती है। विवाह का दिन आ जाता है। अपने दुख को भूल कर प्रेम अपने भैया की बारात के साथ निशा के घर पहुंचता है। दुल्हन बनी निशा को पूजा का भेंट किया हुआ खानदानी हार याद आता है। वह प्रेम को हार लौटाना चाहती है। निशा हार को लपेट कर एक पत्र के साथ प्रेम के पास भेज देती है। परन्तु वह पत्र और हार प्रेम के स्थान पर राजेश के हाथ लग जाते हैं। सब कुछ जान कर राजेश प्रेम और निशा से पूछता है कि उन्होंने उसे विश्वास में क्यों नहीं लिया। राजेश दोनों परिवारों को प्रेम और निशा के संबंध की जानकारी देता है और उनका विवाह कराने का प्रस्ताव रखता है। अन्ततः सबकी सहमति और आशीर्वाद के साथ प्रेम और निशा का विवाह हो जाता है।
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