"अपोलो १": अवतरणों में अंतर

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== अभियान ==
 
जनवरी २७ सन १९६७ को कोई प्रक्षेपण की योजना नही थी। योजना थी कि एक छद्म (Simulated) प्रक्षेपण से यह जांच की जाये कि अपोलो यान अपनी अंदरूनी बिजली से सामान्य कार्य कर सकता है या नही। यदि यान इस जांच मे सफल हो जाये और अगली सभी जांच मे सफल हो तो २१ फरवरी १९६७ को इस यान को प्रक्षेपित किया जाना तय था।
 
अपोलो १ की सफलता के बाद इस यान की दो और उडाने तय थी। पहली उडान मे अपोलो के दूसरे भाग और चन्द्रयान को सैटर्न १ बी पर प्रक्षेपीत कर पृथ्वी की निचली कक्षा मे स्थापित किया जाना था। दूसरी उडान मे [[सैटर्न ५]] पर अपोलो और चन्द्रयान दोनो को पृथ्वी की उपरी कक्षा मे स्थापित करना था।
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[[चित्र:Apollo1plaque.JPG|thumb|right|300px|उड़ान केन्द्र ३४ मे लगी हुयी अपोलो १ की एक प्लेक]]
 
इन तीन शहीद यात्रीयो के नाम तीन तारो को दिये गये है ये तारे है नवी (Navi), ड्नोसेस (Dnoces) और रेगोर (Regor)। यह नाम इवान (ivan), सेकंड (Second) और रोजर (roger) को उल्टा लिखे जाने पर मिलते है। चन्द्रमा पर के तीन गढ्ढो के और मंगल पर तीन पहाडीयो के नाम भी इन शहीदो के नाम पर रखे गये है।
 
[[श्रेणी:अंतरिक्ष|१, अपोलो]]