"वड़ोदरा": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
इतिहास मे शहर का पहला उल्लेख 812 ई. में इस क्षेत्र में आ कर बसे व्यापारियों के समय से मिलता है। वर्ष ई 1297 यह प्रान्त हिंदू शासन के अधिन हिंदूओ के वर्चस्व मे था। ईसाई यूग के प्रारम्भ मे यह क्षेत्र गुप्तवन्श के साम्राज्य के अधीन था। भयंकर यूध्ध के बाद, इस क्षेत्र पर चालुक्य वंश सत्ता आधिन हुआ.हुआ। अंत में, इस राज्य पर सोलंकी राजपूतों ने कब्जा कर लिया. इस समय तक मुस्लिम शासन भारत वर्ष मे फैल रहा था और देख ते हि देखते वडोदरा की सत्ता की बागडोर दिल्ली के सुल्तानों के हाथ आ गइ। वडोदरा पर दिल्ली के सुल्तानों ने एक लंबे समय तक शासन किया, जब तक वे मुगल सम्राटों द्वारा परास्त नहि किए गए। मुगलों की सबसे बड़ी समस्या मराठा शाषक थे जिन्होने ने धीरे धीरे से लेकिन अंततः इस क्षेत्र पर अपना राज्य स्थापित कर दीया और यह मराठा वन्श गाइकवाड़ (Gaekwads) की राजधानी बन गया। सर सयाजी राव गाइकवाड़ (1875-1939) III, इस वन्श के सबसे सक्षम और लोकप्रिय शासक थे और उन्हो ने इस क्षेत्र में कई सरकारी और नौकरशाही सुधार किए, हालांकि ब्रिटिश राज का क्षेत्र पर एक बड़ा प्रभाव था। बड़ौदा भारत कि स्वतंत्रता तक एक राजसी राज्य बना रहा। कई अन्य रियासतों की तरह, बड़ौदा राज्य भी 1947 में भारत डोमिनियन मे शामिल हो गया।
 
विश्वामीत्रि (Vishwamitri) नदी के तट पर स्थित वडोदरा उर्फ बड़ौदा शहर भारत के सबसे बड़े महानगरीय शहरों में अठारहवें नम्बर पर है। वडोदरा शहर वडोदरा जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है और इसे उद्यानो का शहर, औद्योगिक राजधानी और गुजरात के तीसरे सबसे अधिक आबादी वाले शहर से भी जाना जाता है। इसकी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के कारण, जिले को संस्कारी (Sanskari) नगरी के रूप में संदर्भित किया जाता है। कई संग्रहालयों और कला दीर्घाओं, उद्योगों की इस आगामी हब और आईटी के साथ पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है। राजा चन्दन के शासन के समय मे वडोदरा को चन्द्रावति (Chandravati) के नाम से जाना जाता था और बाद मे विरो कि धरती यानै विराशेत्रा (Virakshetra) या विरावती (Viravati)। विश्वामीत्रि नदी के तट पर बरगद के पेड़ की बहतायत की वजह से वडोदरा को वडपात्रा (Vadpatra) या वडपत्रा (Vadpatra) जाना जाने लगा और यहा से इसके वर्तमान नाम कि उत्पत्ति हूइ।