"अश्वधावन": अवतरणों में अंतर

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यूनान के समान [[रोम]] में भी अश्वधावन प्रचलित था और लोकप्रिय खेलों में समझा जाता था। ऐसा अनुमान किया जाता है कि [[ग्रेट ब्रिटेन]] में रोमन अधिपत्य काल में ही अश्वधावन का प्रचलन प्रतियोगिता के रूप में हुआ। प्रांरभ में इस प्रकार के खेल कूद [[ईसाई धर्म]] के विरूद समझे जाते थे। पर धर्म इस खेल के आकर्षण को न दबा सका। [[जर्मनी]] में सर्वप्रथम ऐसे खेलों को धार्मिक समारोहों में भी स्थान मिला। कुछ काल में अश्वधावन इतना लोकप्रिय हो गया कि राजकुल से भी इसे उत्साह मिलने लगा। सन् 1512 में चेस्टर में सर्वसाधारण के लिए अश्वधावन प्रतियोगिता प्रारंभ हुई। यह प्रतियोगिता नगराध्यक्ष (मेयर) के सभापतित्व में होती थी। इंग्लैंड के जेम्स प्रथम ने इंग्लैंड में अश्वधावन स्थल स्थापित किए और साथ ही घोड़ों की नस्ल सुधारने की भी चेष्टा की। अश्वधावन प्रतियोगिताओं में इंग्लैंड के राजाओं की रूचि बढ़ती गई और पारितोषिक भी उसी अनुपात में बढ़ते गए। सन् 1721 ई. में जार्ज प्रथम ने जीतनेवाले अश्व को 100 गिनी पारितोषिक में दी। अश्वधावन के प्रबंध को सुचा डिग्री रूप से चलाने के लिए सन् 1750 में अश्वारोही समिति (जॉकी क्लब) की स्थापना हुई। इस सभा को इंग्लैंड में अश्वधावन संबंधी सभी बातों के अंतिम निर्णय का अधिकार दिया गया।
 
ग्रेट ब्रिटेन में अश्वधावन एक राष्ट्रीय खेल समझा जाता है और बड़े समारोह के साथ विभिन्न स्थानों में साल में इसकी अनेक बड़ी बड़ी प्रतियोगिताएँ होती हैं। इनमें से ये पांच प्रतियोगिताएँ परंपरागत, प्राचीन और सर्वोतम मानी जाती हैं: (1) सेंट लेजर अश्वधावन प्रतियोगिता, जिसका प्रारंभ 1776 ई. में हुआ। यह डॉनकास्टर में सितंबर मास के मध्य में होती है। (2) ओक्स प्रतियोगिता, जिसका प्रारंभ 1779 ई. में हुआ और जो इप्सम में, मई के अतं में, सुप्रसद्धि डर्बी प्रतियोगिता के तुरंत बाद पड़नेवाले शुक्रवार को होती है। (3) डर्बी प्रतियोगिता, जो सन् 1780 ई. में आरंभ हुई। यह भी इप्सम में दौड़ी जाती है। इप्सम तीव्र मोड़ों तथा कठिन उतार और चढ़ाव के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रतियोगिता को विशेष महत्व दिया जाता है। (4) न्यू मार्केट में दौड़ी जानेवाली ""दो हजार गिली"" की दौड़ जो 1809 ई. में प्रारंभ हुई। (5) ""एक हजार गिनी कीे दौड़"" भी इसी न्यू मार्केट स्थल में दौड़ी जाती है। इसकी स्थापना सन् 1814 ई. में हुई। इन पाँच दौड़ों के अतिरिक्त बहुत सी दौड़े ऐसकट, गुडवुड आदि क्षेत्रों में दौड़ी जाती हैं और ये भी पर्याप्त महत्वपूर्ण हैं।
 
सन् 1839 ई. में न्यू मार्केट क्षेत्र में ""हैंडीपकैप"" घुड़दौड़ प्रारंभ की गई। इस दौड़ का उद्देश्य सर्वोतम अश्वों के विरूद्ध अन्य अश्वों को भी दौड़ में सफलता प्राप्त करने का अवसर देना था। हैंडीकैप के नियमानुसार अश्वों की ख्याति, धावनशक्ति एवं आयु को ध्यान में रखते हुए उनके सवारों का भार निश्चित किया जाता है। सर्वोतम अश्व को भारी तथा निम्न श्रेणी के अश्व को हल्का अश्वारोही दिया जाता है। किस अश्व को इस प्रकार कितनी सुविधा अथवा असुविधा दी जाए, इसका निर्णाय अश्वरोही समिति (जॉकी क्लब) करती है। सवार के भार के लिए प्रतिबंध रहते हैं। अश्वारोही का अपने भार को आठ नौ स्टोन (स्टोनउलगभग सात सेरसर) तक बनाए रखना अति आवश्यक है। भारी घुड़सवार अनुत्तीर्ण कर दिए जाते हैं।