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'''कटपयादि''' ( = क ट प य आदि ) संख्याओं को शब्द या श्लोक के रूप में आसानी से याद रखने की प्राचीन भारतीय पद्धति है। चूंकि भारत में वैज्ञानिक/तकनीकी/खगोलीय ग्रंथ पद्य रूप में लिखे जाते थे, इसलिये संख्याओं को शब्दों के रूप में अभिव्यक्त किये बिना विषय का समुचित विवेचन नहीं किया जा सकता था। भारतीय चिन्तकों ने इसका समाधान 'कटायादि' के रूप में निकाला।
 
इसमें शून्य (०) से नौ (९) तक के दस [[अक|अंकों]] को [[देवनागरी]] के दस वर्णों से निरुपित कर दिया जाता है। इस पद्धति की विशेषता है कि एक ही अंक को कई वर्णों (व्यंजनों) से निरूपित किया जाता है जबकि कुछ वर्ण कोई अंक निरुपित नहीं करते - इससे यह लाभ होता है कि संख्याओं के लिये अर्थपूर्ण शब्द बनाने में आसानी होती है। अर्थपूर्ण शब्द रहने से याद करने में सरलता होती है।
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== ऐतिहासिक उपयोग के कुछ उदाहरण ==
 
* [[माधवाचार्य की ज्या सारणी]] ( Sine table)
 
* [[करणपद्धति]] में [[पाई]] का मान (पन्द्रहवीं शताब्दी में रचित ग्रन्थ)