"कटपयादि": अवतरणों में अंतर
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'''कटपयादि''' (
इसमें शून्य (०) से नौ (९) तक के दस [[अक|अंकों]] को [[देवनागरी]] के दस वर्णों से निरुपित कर दिया जाता है। इस पद्धति की विशेषता है कि एक ही अंक को कई वर्णों (व्यंजनों) से निरूपित किया जाता है जबकि कुछ वर्ण कोई अंक निरुपित नहीं करते - इससे यह लाभ होता है कि संख्याओं के लिये अर्थपूर्ण शब्द बनाने में आसानी होती है। अर्थपूर्ण शब्द रहने से याद करने में सरलता होती है।
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== ऐतिहासिक उपयोग के कुछ उदाहरण ==
* [[माधवाचार्य की ज्या सारणी]] (
* [[करणपद्धति]] में [[पाई]] का मान (पन्द्रहवीं शताब्दी में रचित ग्रन्थ)
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