"यूनानी वर्णमाला": अवतरणों में अंतर
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== इतिहास ==
यूनानी वर्णमाला का उद्भव [[माइसीनियाई यूनानी|माइसीनियाई]] (Mycenaean) सभ्यता के पतन के शताब्दियों बाद एवं पूर्ववर्ती यूनानी लेखन प्रणाली, [[रेखीय बी]] (B) लिपि के अप्रयुक्त होने के बाद आठवीं सदी ई. पू.<ref>सबसे प्रारम्भ में लिखी गई वस्तुओं की तिथि; ए.डबल्यू.जॉनस्टन, "द एल्फाबेट", एन. स्टेमपोलिडिस और वी. करागिओरघिस में, इडीएस, ''सी रूट्स फ्रॉम सिडोंन टू हेल्वा: इंटरकनेक्शनज़स इन द मेडीटेरानियन'' 2003:263-76, डेटिंग पर वर्तमान छात्रवृत्ति का संक्षेप करती है। </ref> के मध्य में
आज प्रचलित यूनानी वर्णमाला का विकास [[यूनानी अंधकार काल]] के बाद हुआ, यानि माइसीनियाई सभ्यता के पतन (सी ए. 1200 ई.पू) एवं [[प्राचीन यूनान]] (यूनान) के उत्कर्ष, जो कि लगभग 800 ई. पू. में [[होमर]] के महाकाव्यों एवं 776 ई. पूर्व में [[प्राचीन ओलंपिक खेलों]] की शुरूआत से प्रारम्भ हुआ, के मध्य का समय था। ध्वन्यात्मक [[फ़ोनीशियाई वर्णमाला]] के एक अनुकलन के रूप में, इसका सबसे उल्लेखनीय परिवर्तन, स्वर अक्षरों का समावेशन है, जिसके बिना यूनानी अपठनीय होती।<ref name="Blackwell"/>
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ग्रीक ने तीन नये व्यंजन अक्षरों Φ ([[फाई (phi)]]), Χ ([[ची (chi)]]) and Ψ ([[साई (psi)]]) को भी शामिल किया जो कि अपने विकास के अनुसार वर्णमाला के अन्त में दिये गए हैं। ये व्यंजन <span class="goog-gtc-fnr-highlight">ध्वन्यात्मक (Phoenician)</span> अक्षरों में तुलना योग्य [[उच्चारणों]] के अभाव में बने थे। पश्चिमी ग्रीक में, ''X'' का प्रयोग {{IPA|/ks/}} हेतु तथा Ψ का प्रयोग {{IPA|/kʰ/}} हेतु किया गया था - अतः लैटिन अक्षर X [[पश्चिमी ग्रीक वर्णमाला]] से लिया गया है। इन अक्षरों की मूल उत्पत्ति विवादास्पद है।
अक्षर {{Unicode|Ϻ}} ([[सन (San)]]) का प्रयोग Σ ([[सिग्मा]] (sigma)) से भिन्न किया गया था। प्राचीन काल से ही सिग्मा (sigma) जीता एवं सन वर्णमाला से विलुप्त हो गया। अक्षर {{Unicode|Ϝ}} (Wau, बाद में [[डिगाम्मा (Digamma)]] संबोधित) एवं {{Unicode|Ϙ}} ([[कोप्पा (Koppa)]]) भी अप्रयुक्त हो गए. पूर्व में इनका प्रयोग पश्चिमी बोली के लिए ही आवश्यक था बाद में वास्तव में इसकी कोई आवश्यकता नहीं
चूँकि ग्रीक अति [[लघु अक्षर]] (minuscules) काफी अर्से बाद अस्तित्व में आए, अतएव सन हेतु वास्तव में कोई भी ऐतिहासिक लघुरूप अक्षर मौजूद नहीं है। अन्य अक्षरों हेतु लघु रूपों का प्रयोग केवल अंक के रूप में
मूल रूप से, ग्रीक वर्णमाला के कई रूप थे, जिनमें [[पश्चिमी]] (केलसीडियन (chalcidian)) एवं पूर्वी (आयोनिक) ग्रीक प्रमुख हैं। पूर्ववर्ती ने [[पुरानी इटैलिक वर्णमाला]] तथा बाद में [[लैटिन वर्णमाला]], जबकि उत्तरवर्ती वर्तमान ग्रीक वर्णमाला का आधार है। [[एथेंस]] ने मूल रूप से शासकीय दस्तावेज़ों हेतु एटिक (Attic) लिपि का प्रयोग किया जैसेकि कानून संबन्धी दस्तावेज़ एवं होमर की रचनायें; इसमें अल्फा से लेकर <span class="goog-gtc-fnr-highlight">ऊप्सिलॉन</span> तक के अक्षर शामिल हैं एवं "e" के स्थान पर ईटा (eta) अक्षर का प्रयोग है। 403 ई.पू. में, एथेंस ने अपने मानक के रूप में <span class="goog-gtc-fnr-highlight">आयोनिक</span> लिपि को अपनाया एवं जल्द ही अन्य संस्करण विलुप्त हो गए।
[[चित्र:NAMA Alphabet grec.jpg|thumb|right|एथेंस के राष्ट्रीय पुरातात्त्विक संग्रहालय में मिट्टी के बर्तनों पर प्रारम्भिक ग्रीक वर्णमाला]]
तब तक ग्रीक बांऐं से दांयें लिखी जाती थी, लेकिन मूल रूप से यह दांयें से बांऐं लिखी जाती थी (असमरूप अक्षरों को पलटने के साथ) एवं बीच में किसी भी ओर से लिखी जाती थी - या सर्वाधिक संभाव्य रूप में, तथा कथित ''[[boustrophedon]]'' तरीके से, जिसमें एक के बाद एक पंक्तियाँ दिशा परिवर्तित करती
[[हैलनिस्टिक काल]] में, [[बाईज़ेनटियम (Byzantium) के एरीसटोफेनिस (Aristophanes)]] ने उच्चारण विशिष्टता के लिए ग्रीक अक्षरों के [[विशेषक चिन्ह]] (diacritics) को प्रारम्भ किया। [[मध्यकाल]] के दौरान ग्रीक लिपि में लैटिन वर्णमाला के समानांतर परिवर्तन हुये : जबकि पुराने रूप यादगार लिपि के रूप में बने रहे, वहीं [[एक इंची]] (Uncial) एवं अन्ततः लघु रूप प्रभावी हुये. लैटिन [[दीर्घ और हृस्व s|दीर्घ और हृस्व ''s'']] के समान शब्द के अन्त में σ को समान रूप से ς लिखा गया।
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* वर्णमाला से वौ (Wau) विलुप्त हो गया क्योंकि [[आयोनिक बोली]] एवं अन्य बोलियों से इसके द्वारा निकलने वाली वह ध्वनि [[जो ओठों और कंठ द्वारा निकलती है]],{{IPA|[w]}} विलुप्त हो गईं. अब यह अंक 6 को दर्शाने हेतु अंकीय चिन्ह के रूप में ही प्रयुक्त होता है। इस कार्य रूप में, यह बाद में मध्यकालीन ग्रीक हस्तलेखन में बन्ध युक्ताक्षर ''<span class="goog-gtc-fnr-highlight">स्टिग्मा</span>'' ({{unicode|ϛ}}) के साथ सम्मिश्रित हुआ, जिसका उसके छोटे अक्षर के रूप में समान आकार था।
* संपी (जिसे ''डीसिग्मा'' भी कहा जाता है) ने [[अंकुरित]] [[स्पर्शसंघर्ष]] ध्वनित किया जो बाद में अधिकतर बोलियों में {{polytonic|-σσ-}} (संभवतः {{IPA|[sː]}}) में एवं [[एटिक (Attic)]] में {{polytonic|-ττ-}} (संभवतः {{IPA|[tː]}} में विकसित
अक्षरों का टी (T) तक का क्रम [[ध्वन्यात्मक (Phoenician)]] या [[हेब्रू]] वर्णमाला की तरह होता है।
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प्राचीन ग्रीक हेतु परंपरागत रूप से प्रयुक्त [[बहुस्वरात्मक (polytonic) वर्तनी]] में स्वर, स्वराघात (accent) एवं श्वसन (breathings) नामक [[विशेषक चिन्ह]] लिए हुये हो सकते हैं। स्वराघात (accent), [[गहन स्वराघात]] ({{Huge|{{Polytonic|´}}}}), [[भारी स्वराघात]] ({{Huge|{{Polytonic|`}}}}) एवं [[स्वर की लंबाई दर्शाने वाले (सर्कमफ्लेक्स) स्वराघात]] ({{Huge|{{Polytonic|ˆ}}}}) हो सकते हैं। प्राचीन ग्रीक में, एक स्वर हेतु विभिन्न प्रकार की [[सुर-तीव्रता]] (Pitch) के स्वराघात होते हैं। रोमन साम्राज्य काल के अन्त तक, सुर तीव्रता स्वराघात (pitch accent) [[तनाव स्वराघात]] (stress accent) में विकसित हो गए एवं बाद की ग्रीक में समस्त स्वराघातों ने तनाव स्वर चिन्हित किये. ये श्वसन अनियमित या [[खराब श्वसन]] ({{Huge|{{Polytonic|῾}}}}) हैं जो शब्द के प्रारम्भ में एक ध्वनि करते हैं {{IPA|/h/}} एवं नियमित या [[सुगम श्वसन]] हैं ({{Huge|{{Polytonic|᾽}}}}) जो शब्द के प्रारम्भ में कोई ध्वनि नहीं करते {{IPA|/h/}}. अक्षर rho (ρ) यद्यपि एक स्वर नहीं है, लेकिन जब यह शब्द प्रारम्भ करता है तो हमेशा एक अनियमित ध्वनि करता है। ग्रीक में एक अन्य विशेषक चिन्ह [[डियाएरेसिस]] (diaeresis) ({{Huge|{{Polytonic|¨}}}}) है जो [[हिएटस]] (hiatus) को प्रदर्शित करता है।
1982 में पुरानी वर्णविन्यास प्रणाली, जो कि <span class="goog-gtc-fnr-highlight">बहुस्वरात्मक</span> (polytonic) के रूप में जानी जाती थी, को सरलीकृत करके एकल स्वरात्मक (monotonic) प्रणाली में बदल दिया गया, जो कि आज ग्रीक में शासकीय है। स्वराघातों को एक, ''<span class="goog-gtc-fnr-highlight">टोनोस</span>'' (the tonos) तक ही सीमित कर दिया गया, तथा श्वसन समाप्त कर दिया
== <span class="goog-gtc-fnr-highlight">द्विवर्ण</span> एवं द्विस्वर (Digraphs and diphthongs) ==
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[[डायग्राफ]] (Digraph) या द्विवर्ण, अक्षरों का एक युग्म है जिसका प्रयोग एक ध्वनि या एक से अधिक ध्वनियों, जो कि एक श्रेणी में लिखे गए अक्षरों के अनुकूल नहीं होतीं, को लिखने के लिए होता है। ग्रीक की <span class="goog-gtc-fnr-highlight">वर्तनी</span> में द्विवर्ण शामिल होते हैं। इसमें स्वर अक्षरों के कई जोड़े भी शामिल हैं जिनका उच्चारण [[द्विस्वर]] (dipthongs) की तरह होता है लेकिन उच्चारण में इन्हें [[एकल स्वर]] (monophthongs) तक कम कर दिया गया है। इनमें से ज्यादातर आधुनिक ग्रीक के चारित्रिक विकास हैं लेकिन शास्त्रीय ग्रीक में कुछ पहले से उपस्थित थे। इनमें से किसी को वर्णमाला का अक्षर नहीं माना जाता.
[[बाइजैन्टाइन काल]] के दौरान द्विवर्ण में एक [[आयोटा उपलिपि]] (iota sub script) के रूप में [[मूक]] आयोटा (Silent iota) को लिखने का रिवाज हो
== अन्य भाषाओं हेतु ग्रीक वर्णमाला का प्रयोग ==
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=== अधिक आधुनिक काल में ===
* [[कोप्टिक]] (Coptic) (उपर्युक्त देखें)
* [[रूढ़िवादी ईसाईयों]] ''[[करमनलीड्स]]'' (Karamanlides) द्वारा बोली गई [[तुर्की]] भाषा प्रायः ग्रीक लिपि में लिखी जाती थी एवं ''[[करमनलिडिका]]'' (karamanlidika) कही जाती
* वर्ष 1500 (Elsie, 1991) के लगभग [[टॉस्क]] [[अल्बानियन]] (Tosk Albanian) को प्रायः ग्रीक वर्णमाला का प्रयोग करते हुये लिखा जाता था। 18वीं सदी के दौरान [[मोस्चोपोलिस]] (Moschopolis) स्थित प्रिंटिंग प्रेस ने कई अल्बानियन (Albanian) पाठों को ग्रीक लिपि में प्रकाशित किया। केवल 1908 में [[मोनोस्टर]] (monostir) सम्मेलन ने टॉस्क (Tosk) एवं [[घेग]] (Gheg) दोनों के लिए [[लैटिन वर्तनी]] का मानकीकरण किया। ग्रीक आधारित [[अर्वनीटिक (Arvanitic) वर्णमाला]] का प्रयोग अब केवल ग्रीस (यूनान) में होता है।
* आधुनिक [[बुल्गेरियाई]] एवं [[मैसेडोनियन]] भाषाओं के समान विभिन्न [[दक्षिणी स्लैविक]] (slavic) बोलियों को ग्रीक लिपि में लिखा गया है। आधुनिक दक्षिणी स्लैविक भाषा अब परिवर्धित [[सिरिलिक (cyrillic) वर्णमालाओं]] का प्रयोग करती है।<ref>Dva balgarski rakopisa s gracko pismo", ''Balgarski starini'' '''6''', 1920; आंद्रे मेज़न (André Mazon) एंव आंद्रे वेलेंट (André Vaillant), ''L'Evangelaire de Kulakia, un parler slave de Bas-Vardar'', Bibliothèque d'études balkaniques '''6''', 1938; जर्गन क्रिस्टोफ्सन (Jürgen Kristophson), "Das Lexicon Tetraglosson des Daniil Moschopolitis", ''Zeitschrift für Balkanologie'' '''9''' :11; Max Demeter Peyfuss, ''Die Druckerei von Moschopolis, 1731-1769: Buchdruck und Heiligenverehrung in Erzbistum Achrida'', Wiener Archiv für Geschichte des Slawentums und Osteuropas '''13''', 1989.</ref>
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