"राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा": अवतरणों में अंतर
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== राष्ट्रभाषा पुस्तकालय ==
शिक्षकों, विद्यार्थियों, प्रचारकों और समिति कार्यालय को भी सन्दर्भ के लिए पुस्तकों की आवश्यकता अनुभव की गाइयौर सन १९३७ में ही 'राष्ट्रभाषा पुस्तकालय' का श्रीगणेश
== राष्ट्रभाषा प्रेस ==
समिति का सारा प्रकाशन, परीक्षा में लगनेवाली विभिन्न परिपत्रों की छपाई समिति के अपने प्रेस में होता
स्थापना के दिन से आज तक समिति की विभिन्न परीक्षाओं की पुस्तकें, सहायक पुस्तकें तथा अन्य हिन्दी से संबंधित पुस्तकें समिति द्वारा समय समय पर प्रकाशित की जाती
== प्रकाशन ==
स्थापना के दिन से आज तक समिति की विभिन्न परीक्षाओं की पुस्तकें, सहायक पुस्तकें तथा अन्य [[हिन्दी]] से संबंधित पुस्तकें समिति द्वारा समय समय पर प्रकाशित की जाती
'''भारत भारती पुस्तक माला'''
राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार संपूर्ण भारत में होना तो आवश्यक है ही, ताकि प्रत्येक भारतीय दूसरे प्रदेशों के निवासियों के साथ संपर्क स्थापित कर सकें तथा एक दूसरे के साथ सामान्य व्यवहार कर सकें. [[भाषा व्यवहार]] सरल होना भी आवश्यक है, अपितु हर प्रदेश के नागरिक दूसरे प्रदेश की भाषाओं का भी ज्ञान प्राप्त कर लें. [[भारतीय भाषा]] में शब्द साम्य बहुत बड़ी मात्रा में
समिति ने चाहा कि भारत का प्रत्येक व्यक्ति दूसरे प्रदेश की भाषाओं से परिचित हों. इसी उद्देश्य से समिति ने [[भारत भारती]] नामक तेरह भाषाओं की तेरह छोटी - छोटी पुस्तकें प्रकाशित की
== प्रकाशित पत्रिका ==
'''राष्ट्रभाषा पत्रिका (मासिक):'''
जुलाई १९४३ में राष्ट्रभाषा के प्रचार कार्य को गति देने तथा प्रचारकों से निरंतर संपर्क बनाए रखने के लिए "राष्ट्रभाषा" पत्रिका निकली और उसे नियमित रूप से प्रकाशित किया जाने लगा. सन १९४२-४३ में स्वतंत्रता आंदोलन के कारण देश में उथल- पुथल के दिन
प्रधान संपादक : प्रा. अनन्तराम त्रिपाठी
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