"लगे रहो मुन्ना भाई": अवतरणों में अंतर

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'लगे रहो मुन्ना भाई' आगे की 21वी सदी के शुरूआत के भारतीयो के सोच से जुड़ी हुई कहानी है। इसमें हँसी के फव्वारे के साथ दिल को छू लेने वाला संदेश देने की कोशिश की गई है।
 
मुन्ना (संजय दत्त) एक गुंडा है और प्रसिद्ध रेडियो जॉकी जाह्नवी (विद्या बालन) की आवाज का दीवाना है। मुन्ना की जिंदगी खूबसूरत हो गई है। उसका दादागिरी का धंधा अच्छा चल रहा है और वह रोज घंटों रेडियो सुनता है.है।.जाह्नवी के साथ शादी के सपने देखता है। इस बीच बस एक छोटी सी समस्या आ गई है। जाह्नवी मुन्ना को इतिहास का प्रोफेसर समझती है और एक दिन भोलेपन में मुन्ना को अपने परिवार में इतिहास का व्याख्यान देने के लिए भी बुला बैठती है। अब बेचारा मुन्ना क्या करे? बस इसके अलावा सब कुछ ठीक चल रहा है अब मुन्ना को इस बात का हल चाहिए। सर्किट एक नए आइडिया के साथ आता है और फिर मुन्ना के जीवन में अनोखी घटना घटती है।
 
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