"आरुषि हेमराज हत्याकाण्ड": अवतरणों में अंतर
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आरुषि-हेमराज के इस दोहरे हत्याकाण्ड में नोएडा पुलिस ने साक्ष्य जुटाने में हर कदम पर चूक की जिसकी वजह से सीबीआई भी साक्ष्यों के आधार पर हत्यारों का सुराग नहीं लगा पायी। केवल इतना ही नहीं फॉरेंसिक व इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी मिटाने की कोशिश हुई। जब मामला दुबारा सीबीआई के संज्ञान में लाया गया तो सीबीआई ने एजीएल कौल के नेतृत्व में जाँच की पूरी टीम ही बदल दी।<ref name="jagran3">{{cite web|title=आरुषि-हेमराज हत्याकांड: क्लोजर रिपोर्ट के बाद बदली जांच की दिशा |author=|url=http://www.jagran.com/news/national-aarushi-hemraj-murder-direction-of-probe-changed-after-closure-report-10887615.html |date=25 नवम्बर 2013 |accessdate=25 नवम्बर 2013|publisher=[[दैनिक जागरण]]}}</ref>
मामले की सुनवाई गाज़ियाबाद में सीबीआई द्वारा इसी कार्य के लिये विशेष रूप से गठित अदालत में हुई। न्यायाधीश श्याम लाल के समक्ष पूरे मुकदमे के दौरान सीबीआई की टीम ने 39 लोगों की गवाही पेश की, जबकि बचाव पक्ष की ओर से केवल सात साक्ष्य ही सामने आये। अदालत में आरुषि के माता-पिता नूपुर व राजेश तलवार दोनों पर भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धारा 302/34 (समान उद्देश्य से हत्या करने), 201 (साक्ष्यों को छिपाने) के तहत मुकदमा चलाया गया। इसके अलावा आरुषि के पिता (
== आरुषि के माता-पिता ही दोषी करार ==
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