"बुलन्दशहर जिला": अवतरणों में अंतर

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( सन् १९६२ ईस्वी में इलाहाबाद यूनिवर्स्टी की डी. फिल. उपाधि के लिए स्वीकृत शोध प्रबंध )
 
डा.डॉ॰ महावीर सरन जैन का प्रयाग विश्वविद्यालय की डी. फिल. उपाधि के लिए स्वीकृत शोधप्रबंध हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा सन 1967 में प्रकाशित हुआ जिसके संबंध में प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक उदयनारायण तिवारी ने ग्रंथ की भूमिका में लिखा है : " प्रस्तुत शोध प्रबंध में डॉ॰ महावीर सरन जैन ने बुलन्द शहर एवं खुर्जा तहसीलो की बोलियों का संकालिक दृष्टिकोण से भाषाशास्त्रीय अध्ययन प्रस्तुत किया है। डॉ॰ जैन ने यह शोध प्रबंध प्रयाग विश्वविद्यालय की डी. फिल. के लिए तैयार किया था। यह शोध प्रबंध मेरे निर्देशन में संपन्न हुआ था और मेरे अतिरिक्त इसके अन्य परीक्षक हिन्दी तथा भाषा विज्ञान के दो मूर्धन्य विद्वान डॉ॰ बाबूराम सक्सेना एवं डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा थे। तीनों परीक्षकों ने इस शोध प्रबंध की मुक्त कंठ से प्रशंसा की एवं 1962 में इस शोध प्रबंध पर डॉ॰ जैन को प्रयाग विश्वविद्यालय से डी. फिल. की उपाधि प्राप्त हुई. इस शोध प्रबंध की निम्नलिखित विशेषताएं हैं: 1. इसमें ब्रज भाषा एवं खडीबोली के संक्रांति क्षेत्र का भाषा सर्वेक्षण किया गया है। 2. सर्वेक्षण से उपलब्ध सामग्री का अध्ययन डॉ॰ जैन ने वर्णात्मक पद्धति से किया है। 3. यह अध्ययन एकमात्र संकालिक स्तर पर किया गया है। 4. इस शोध प्रबंध के संपन्न करने में संरचनात्मक पद्धति का भी पूर्ण सहारा लिया गया है।
 
मैं निसंकोच भाव से यह कह सकता हूँ कि यह हिन्दी में लिखित प्रथम शोध प्रबंध है जिसमें अधुनातन भाषाशास्त्रीय पद्धति के अनुसार सामग्री का विश्लेषण किया गया है। डॉ॰ महावीर सरन जैन ने इस शोध प्रबंध को प्रस्तुत कर जहाँ एक ओर हिन्दी भाषा के गौरव में अभिवृद्धि की है, वहाँ दूसरी ओर उन्होंने एक ऐसा सुन्दर आदर्श प्रस्तुत किया है जिसका हिन्दी की विभिन्न बोलियों के अनुसन्धित्सु ही नहीं, अपितु आर्य परिवार की अन्य भाषाओं के शोधकर्ता भी अनुगमन कर सकते हैं। यह अत्यंत आवश्यक है कि हिन्दी की अन्य बोलियों का अध्ययन भी इस आदर्श पर यथासंभव शीघ्र संपन्न किया जाए."]]