"चपड़ा": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: अंगराग परिवर्तन
छो बॉट: कोष्टक () की स्थिति सुधारी।
पंक्ति 3:
'''चपड़ा''' (Shellac) [[लाख (लाह)|कच्ची लाख]] से बनता है। समस्त संसार के उत्पादन का लगभग ९५ प्रति शत चपड़ा [[भारत]] में ही तैयार होता है। चपड़ा तैयार करने की वास्तविक विधि कच्ची लाख की प्रकृति, कुसुम (एक प्रकार की लाख) की किस्म अथवा बैसाखी और कतकी किस्म पर निर्भर करती है।
 
चपड़े का सबसे अधिक (३० से ३५% ) उपयोग [[ग्रामोफोन]] रेकार्ड बनाने में होता था। ग्रामोफोन रेकार्ड में २५ से ३० प्रतिशत तक चपड़ा रहता है। ऐसा अनुमान है कि प्रति वर्ष ११ से लेकर १३ हजार टन तक चपड़ा ग्रामोफोन रेकार्ड बनाने में खपता था। विद्युद्यंत्र, वार्निश और पालिश, हैट उद्योग, शानचक्रों के निर्माण, ठप्पा देने के चपड़े, काच और रबर जोड़ने के सीमेंट, बरसाती कपड़े, जलाभेद्य स्याही, पारदर्शक ऐनिलीन स्याही आदि का निर्माण तथा लकड़ी पर नक्काशी करने आदि में चपड़े का उल्लेखनीय उपयोग होता है।
 
किसी भी संश्लिष्ट पदार्थ में वे सब गुण नहीं मिलते जो चपड़े में होते हैं। इससे चपड़े का स्थान कोई भी संश्लिष्ट पदार्थ अभी तक नहीं ले सका है, यद्यपि कुछ कामों के लिये संश्लिष्ट रेजिन समान रूप से उपयोगी सिद्ध हुए हैं। आजकल अनेक प्रकार के रेजिन और प्लास्टिक कृत्रिम रीति से बनने लगे हैं, जो देखने में चपड़े जैसे ही लगते हैं।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/चपड़ा" से प्राप्त