"टर्बाइन": अवतरणों में अंतर

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शब्द "[[टरबाइन]]" 1822 में फ्रेंच खनन इंजीनियर क्लाउड बर्डीन (Burdin) ने '''लैटिन् टर्बो''' शब्द या भंवर से गढ़ा था। इसका उल्लेख एक संस्मरण में उन्होने किया था जो रायल साइंस अकादमी पेरिस
को प्रस्तुत किया गया था। क्लाउड बर्डीन के एक पूर्व छात्र बेनोइट फ़ोर्नेरोन ( Fourneyron) ने पहली व्यावहारिक [[जल टरबाइन]] का निर्माण किया था। [[भाप टरबाइन]] के आविष्कार का श्रेय ब्रिटिश इंजीनियर सर चार्ल्स पार्सन्स (1854-1931) को, [[प्रतिक्रिया टरबाइन]] के आविष्कार के लिए और स्वीडिश इंजीनियर गुस्टाफ डे लैवाल (1845-1913) को, [[आवेग टरबाइन]] के आविष्कार के लिए दिया जाता है आधुनिक भाप टर्बाइन प्रायः एक ही इकाई में प्रतिक्रिया और आवेग का उपयोग होता है। आम तौर पर प्रतिक्रिया और आवेग की डिग्री इसकी परिधि ब्लेड की जड़ में अलग-अलग होती है
 
अब अगर [[टरबाइन]] की कार्यप्रणाली की बात करें तो यह न्यूटन के तीसरे गति नियम के अधार पर काम करती है। यानी प्रत्येक क्रिया पर, विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इसी तरह टरबाइन का प्रोपेलर काम करता है। प्रोपेलर में लगा स्पाइंडल हवा या पानी पर दबाव बनाता है। इसी दबाव की वजह से प्रोपेलर टरबाइन को पीछे की ओर धक्का मारता है, जिससे वह चलती है। आमतौर पर टरबाइन को एक जगह रख दिया जाता है, ताकि जब भी पानी उससे होकर गुजरे तो टरबाइन के हर ब्लेड पर पड़ने वाले दबाव से वह चल पड़े. हवा या पानी के टरबाइन के साथ एक ही नियम लागू होता है। जितना अधिक पानी या हवा का प्रवाह होगा, टरबाइन उतनी तेज गति से चलेगी।
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* प्रोपेलर टरबाइन
* कर्षण टरबाइन (turbine traction)
* सहायक टरबाइन ( auxiliary turbine )
 
== गैस टरबाइन ==