"ट्रैक्टर": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: अनावश्यक अल्पविराम (,) हटाया। |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: कोष्टक () की स्थिति सुधारी। |
||
पंक्ति 86:
=== इंजन और उसके साधन ===
==== इंजन ====
प्राचीन समय के ट्रैक्टरों में मन्दगामी विशाल क्षैतिज इंजन लगाए जाते थे जिनमें केवल एक या दो सिलिंडर होते थे। इस तरह के भारी भरकम इंजनों को संभालने के लिये मजबूत पंजर, बड़े पहिए आदि की आवश्यकता होती थी जिसके फलस्वरूप स्वयं ट्रैक्टर ही बहुत भारी हो जाता था और इसमें कार्य लेने में कठिनाई होती थी। आजकल उच्च गतिवाले हल्के इंजनों का प्रयोग अधिक हो रहा है जिनमें मुख्यत: दो सिलिंडर क्षैतिज इंजन और चार या छ: सिलिंडर वाले ऊर्ध्वाधर इंजन हाते हैं। टैक्टर इंजन के मुख्य पुर्जे, जैसे पिस्टन, क्रैक शाफ्ट (crank shaft) बेयरिंग (bearing), वाल्व (valve) आदि मोटर गाड़ी इंजन के पुर्जो की अपेक्षा अधिक बड़े और भारी होते हैं। सभी सिलिंडर एक ही ढलाई (casting) में बनाए जाते हैं। ट्रैक्टर इंजन के सिलिंडर शीघ्र ही नष्ट होने लगते हैं। इस कठिनाई को सुलझाने के लिये ये दो विधियाँ काम में लाई जाती हैं।
* (अ) सिलिंडर का प्रतिस्थापन (replacement) तथा
* (ब) पुराने सिलिंडरों को पुनर्वेधन (reboring) द्वारा ठीक करके बड़े आकार के पिस्टन का व्यवहार।
|