"फ्रेडरिक एंगेल्स": अवतरणों में अंतर

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== जीवनी ==
=== प्रारंभिक जीवन ===
एंगेल्स का जन्म 28 नवंबर 1820 को [[प्रशिया]] के बार्मेन (अब जर्मनी का वुप्‍पेट्रल) नामक इलाके में हुआ था। उस समय बार्मेन एक तेजी से विकसित होता औद्योगिक नगर था। एंगेल्स के पिता फ्रेदरिक सीनियर एक धनी कपास व्यापारी थे। एंगेल्स के पिता की प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म में गहरी आस्था थी और एंगेल्स का लालन पालन भी बेहद धार्मिक माहौल में हुआ। एंगेल्स के नास्तिक और क्रांतिकारी विचारों की वजह से उनके और परिवार के बीच अनबन बढती ही जा रही थी। एंगेल्स की मां द्वारा एलिजाबेथ द्वारा उन्हे 1848 में लिखे एक खत से इस बात की पुष्टि हो जाती है। एलिजाबेथ ने उन्हे लिखा था कि वह अपनी गतिविधियों में बहुत आगे चले गये हैं और उन्हें इतना आगे नहीं बढकर परिवार के पास वापस आ जाना चाहिये। उन्‍होंने खत में लिखा था "तुम हमसे इतनी दूर चले गये हो बेटे कि तुम्हें अजन‍बियों के दुख तकलीफ की अधिक चिंता है और मां के आसुंओं की जरा भी फिक्र नहीं। ईश्‍वर ही जानता है कि मुझ पर क्या बीत रही है। जब मैने आज अखबार में तुम्हारा गिरफ्तारी वारंट देखा तो मेरे हाथ कांपने लगे।" एंगेल्स को यह खत उस समय लिखा गया था जब वह [[बेल्जियम]] के [[ब्रुसेल्स|ब्रसेल्स]] में भूमिगत थे।
इससे पहले जब एंगेल्स महज 18 वर्ष के थे तो उन्हें परिवार की इच्छानुसार हाईस्कूल की पढाई बीच में ही छोड देनी पडी थी। इसके बाद उनके परिवार ने उनके लिये ब्रेमेन के एक कार्यालय में अवैतनिक क्लर्क की नौकरी का बंदोबस्त कर दिया। एंगेल्स के परिजनों का सोचना था कि इसके जरिये एंगेल्स व्यवहारिक बनेंगे और अपने पिता की तरह व्यापार में खूब नाम कमायेंगे। हालांकि एंगेल्स की क्रांतिकारी गतिविधियों की वजह से उनके परिवार को गहरी निराशा हुई थी।
ब्रेमेन प्रवास के दौरान एंगेल्स ने जर्मन दार्शनिक [[हीगेल]] के दर्शन का अध्ययन किया। हीगेल उन दिनों के बहुत से युवा क्रांतिकारियों के प्रेरणा स्रोत थे। एंगेल्स ने इस दौरान ही साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रियता दिखानी शुरु कर दी थी। उन्होंने 1838 के सितंबर में ''''''द बेडूइन''' नामक अपनी पहली कविता लिखी।
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=== ब्रसेल्स ===
फ्रांस सरकार ने 03 फरवरी 1845 को मार्क्स को देशनिकाला दे दिया था जिसके बाद वह अपनी पत्नी और पुत्री सहित बेल्जियम के ब्रसेल्स में जाकर बस गये। एंगेल्स जर्मन आईडोलाजी नामक पुस्तक को लिखने में मार्क्स की मदद करने के इरादे से अप्रैल 1845 में ब्रसेल्स चले गये। इससे पहले पुस्तक प्रकाशन के लिये धन इकट्ठा करने के लिये एंगेल्स ने राइनलैंड के वामपंथियों से संपर्क कायम किया था।
मार्क्स और एंगेल्स 1845 से 1848 तक ब्रसेल्स में रहे। इस दौरान उन्होंने यहां के मजदूरों को सं‍गठित करने का काम किया। ब्रसेल्स आने के कुछ समय बाद ही दोनों भूमिगत संगठन '''[[जर्मन कम्युनिस्ट लीग]]''' के सदस्य बन गये थे। कम्युनिस्ट लीग क्रांतिकारियों का एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन थी जिसकी शाखाएं कई यूरोपीय शहरों में फैली थीं। मार्क्स और एंगेल्स के कई दोस्त भी इस संगठन में शामिल हो गये। कम्युनिस्ट लीग ने मार्क्स और एंगेल्स को कम्युनिस्ट पार्टी के आदर्शों पर एक पैम्‍फलेट लिखने का काम सौंपा जिसे आगे जाकर '''कम्युनिस्ट घोषणापत्र'''(मैनीफेस्टो आफ द कम्युनिस्ट पार्टी) के नाम से जाना गया। इसका प्रकाशन 21 फरवरी 1848 को किया गया और इसकी जो चंद पंक्तियां इतिहास में हमेशा के लिये अमर हो गयीं वे थीं, '''एक कम्युनिस्ट क्रांति सत्तारूढ वर्गों की बुनियाद को हिलाकर रख देगी। सर्वहारा वर्ग के पास जंजीरों को खोने के अलावा कुछ भी नहीं है। उनके सामने जीतने के लिये पूरी दुनिया पडी है। दुनियाभर के मेहनकतकशों एक हो।'''
 
=== प्रशिया वापसी ===