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| ''बज्जिका हिंदी शब्दकोष'' || सुरेन्द्र मोहन प्रसाद ||| xxxx |||| xxxx
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| ''बज्जिका व्याकरण'' || योगेन्द्र राय ||| शैलेष भूषण, हाजीपुर (बिहार) |||| 1987
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| ''बज्जिका साहित्य का इतिहास'' || प्रफुल्ल कुमार सिंह 'मणि' ||| हंसराज प्रकाशन, मुजफ्फरपुर (बिहार) |||| 1995
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| ''बज्जिका का स्वरुप'' || डा योगेन्द्र प्रसाद सिन्हा ||| डा योगेन्द्र प्रसाद सिन्हा बज्जिका संस्थान, मुजफ्फरपुर (बिहार) |||| 1997
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| ''बज्जिका भाषा के कतिपय <br /> शब्दों का आलोचनात्मक अध्ययन'' || डा योगेन्द्र प्रसाद सिन्हा ||| प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान, वैशाली (बिहार) |||| 1987
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| '' बज्जिका रामायण'' || डा अवधेश्वर अरूण ||| XXXX |||| XXXX
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| ''बज्जिका स्वर संगम'' || डा रामेश्वर प्रसाद ||| किशोर प्रकाशन, मुजफ्फरपुर (बिहार) |||| 2000
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| ''बज्जिका लोकगीत'' || डा रामेश्वर प्रसाद ||| किशोर प्रकाशन, मुजफ्फरपुर (बिहार) |||| 2000
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| ''बज्जिका गीत संगीत'' || डा रामेश्वर प्रसाद ||| किशोर प्रकाशन, मुजफ्फरपुर (बिहार) |||| 2000
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| ''गितिया'' (उपन्यासिका) || निर्मल मिलिन्द ||| xxxxx ||||1984
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'''[[देशज]] शब्द'''--बज्जिका में प्रयुक्त होने वाले '''देशज''' शब्द लुप्तप्राय हैं। इसके सबसे अधिक उपयोगकर्ता गाँव में रहने वाले निरक्षर या किसान हैं। ''देशज'' का अर्थ है - जो देश में ही जन्मा हो। जो न तो विदेशी है और न किसी दूसरी भाषा के शब्द से बना हो। ऐसा शब्द जो स्थानीय लोगों ने बोल-चाल में यों ही बना लिया गया हो। जैसे- पन्नी (पॉलिथीन), फटफटिया (मोटर सायकिल), घुच्ची (छेद) आदि।
 
'''[[विदेशज]] शब्द''' हिन्दी के समान बज्जिका में भी कई शब्द [[अरबी]], [[फ़ारसी]], [[तुर्की]], [[अंग्रेज़ी]] आदि भाषा से भी आये हैं, इन्हें विदेशज शब्द कह सकते हैं। वास्तव में बज्जिका में प्रयोग होने वाले विदेशज शब्द का तद्भव रुप ही प्रचलित है, जैसे-कौलेज, लफुआ (लोफर), टीशन (स्टेशन), गुलकोंच (ग्लूकोज़), सुर्खुरू (चमकते चेहरे वाला) आदि।
 
हिन्दी के समान बज्जिका को भी [[देवनागरी]] लिपि में लिखा जाता है। पहले इसे '''कैथी'' लिपि में भी लिखा जाता था। शब्दावली के स्तर पर अधिकांशत: [[हिंदी भाषा|हिंदी]] तथा [[उर्दू भाषा|उर्दू]] के शब्दों का प्रयोग होता है। फिर भी इसमें ऐसे शब्दों का इस्तेमाल प्रचलित है जिसका हिंदी में सामान्य प्रयोग नहीं होता।