"वृन्द": अवतरणों में अंतर
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== कृतियाँ==
वृन्द की ग्यारह रचनाएँ प्राप्त हैं- समेत शिखर छंद, भाव पंचाशिका, शृंगार शिक्षा, पवन पचीसी, हितोपदेश सन्धि, वृन्द सतसई, वचनिका, सत्य स्वरूप, यमक सतसई, हितोपदेशाष्टक, भारत कथा, '''वृन्द ग्रन्थावली''' नाम से वृन्द की समस्त रचनाओं का एक संग्रह
इनके लिखे दोहे “वृन्द विनोद सतसई” में संकलित हैं। वृन्द के “बारहमासा” में बारहों महीनों का सुन्दर वर्णन है। “भाव पंचासिका” में शृंगार के विभिन्न भावों के अनुसार सरस छंद लिखे हैं। “शृंगार शिक्षा” में [[नायिका भेद]] के आधार पर आभूषण और शृंगार के साथ नायिकाओं का चित्रण है। नयन पचीसी में नेत्रों के महत्व का चित्रण है। इस रचना में [[दोहा]], [[सवैया]] और [[घनाक्षरी]] [[छन्द|छन्दों]] का प्रयोग हुआ है। पवन पचीसी में ऋतु वर्णन है।
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