"सिस्टोस्कॉपी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Cystoscope-med-20050425.jpg|thumb|250px|शल्य चिकित्सा कक्ष में रोगाणुमुक्त किया हुआ फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कोप]]
'''सिस्टोस्कॉपी''' (Cystoscopy) (si-ˈstäs-kə-pē) मूत्रमार्ग (urethra) के माध्यम से की जाने वाली, [[मूत्राशय]] (urinary bladder) की एंडोस्कोपी
नैदानिक सिस्टोस्कॉपी स्थानीय एनेस्थेसिया (local anaesthesia) के साथ की जाती
मूत्रमार्ग वह नली है जो [[मूत्र]] को मूत्राशय से शरीर के बाहर ले जाती
सिस्टोस्कोप में [[दूरदर्शी]] (telescope) अथवा [[सूक्ष्मदर्शी यंत्र|सूक्ष्मदर्शी]] (microscope) की तरह ही लेंस लगे होते
सिस्टोस्कॉपी दो प्रकार की होती हैं - फ्लेक्सिबल तथा रिजिड - यह सिस्टोस्कोप के लचीलेपन के अंतर पर आधारित होती
फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कॉपी दोनों लिंगों में स्थानीय एनेस्थेसिया की सहायता से की जाती
एक डॉक्टर निम्नलिखित स्थितियों में सिस्टोस्कॉपी की सलाह दे सकता है:<ref>[http://www.doctorslounge.com/urology/procedures/cystoscopy.htm मूत्राशयदर्शन और युरेट्रोस्कोपी - डॉक्टरों का लाउंज (टीएम (TM))]</ref>
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== पुरुष तथा महिला मूत्रमार्ग ==
[[चित्र:Cystoscopy-im-20050425.jpg|thumb|250px|फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कॉपी.शीर्ष दोनों छवियों एक पुरुष रोगी के मूत्राशय के आतंरिक भागों को प्रदर्शित करती
यदि मरीज़ के मूत्रमार्ग में ऊपर की ओर कोई पथरी अटकी हो, चिकित्सक एक कहीं पतले स्कोप का प्रयोग कर के मूत्राशय से होकर मूत्रवाहिनियों (ureter) तक पहुंच सकता है, इस उपकरण को यूरेटेरोस्कोप कहते
(मूत्रवाहिनियां वे नलिकाएं होती हैं जो किडनियों से मूत्राशय तक मूत्र को लाती हैं).
चिकित्सक उस पथरी को देख कर उसे हटा कर एक तार के छोर पर लगी छोटी सी डलिया के द्वारा निकाल सकता है, जिसे यूरेटेरोस्कोप में एक अतिरिक्त नली के द्वारा डाला जाता
बड़ी पथरियों के लिए चिकित्सक यूरेटेरोस्कोप में अतिरिक्त नली के द्वारा एक लचीला तंतु, जिसमें [[लेसर विज्ञान|लेज़र]] किरण होती है, के द्वारा उस पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है जो तब, मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते
== परीक्षण प्रक्रिया ==
हालांकि चिकित्सक विशेष निर्देश देते हैं, परन्तु अधिकांश मामलों में, मरीज़ परीक्षण के बाद सामान्य रूप से भोजन तथा अपनी दैनिक गतिविधियां कर सकते
मरीजों को कभी-कभी परीक्षण से पहले मूत्र का नमूना देने को कहा जाता है जिससे उसमें संक्रमण का पता लगाया जा सके.
इन मरीजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे एक पर्याप्त अवधि तक मूत्र त्याग न करें, जिससे कि वे परीक्षण से पहले इस समय मूत्र त्याग कर सकें.
मरीजों को अपने शरीर के निचले हिस्से को ढंकने वाले कपडे उतारने होते हैं, हालांकि कुछ चिकित्सक यह पसंद करते हैं कि मरीज़ अस्पताल का गाउन पहने और अपने शरीर के निचले हिस्से को रोगाणुहीन किये गए परदे से ढंक ले.
अधिकांशतः, मरीज़ को अपनी पीठ के बल लेट कर अपने घुटनों को फैलाना होता
एक डॉक्टर, नर्स या तकनीशियन मूत्रद्वार के आसपास का क्षेत्र साफ़ करके स्थानीय एनेस्थेसिया लगाता
ऐसे मरीज़ जिनकी यूरेटोस्कोपी की जानी हो, उन पर रीढ़ की हड्डी में लगाये जाने वाले अथवा व्यापक एनेस्थेसिया का प्रयोग किया जाता
चिकित्सक सिस्टोस्कोप के अग्रभाग को धीरे से मूत्रमार्ग में प्रवेश करा कर इसे दिशा निर्देशित करते हुए मूत्राशय तक ले जाते
श्रोणि क्षेत्र की मांसपेशियों को शिथिल करने से परीक्षण के इस भाग को सरल बनाया जा सकता
सिस्टोस्कोप से होकर एक रोगाणुहीन तरल पदार्थ (जल, नमकयुक्त जल अथवा ग्लाईसीन विलयन) प्रवाहित किया जाता है जिससे धीरे-धीरे मूत्राशय को भरा जा सके और तब वह फ़ैल कर चिकित्सक को मूत्राशय की दीवारों का बेहतर दृश्य प्रदान किया जा सके.
जब मूत्राशय अपनी क्षमता तक भरने लगता है तब मरीजों को विशिष्ट रूप से असुविधा होती है तथा मूत्रत्याग की इच्छा होने लगती
सिस्टोस्कोप को डालने से लेकर निकालने तक का समय कुछ मिनिटों का ही होता है, परन्तु यदि चिकित्सक वहां पथरी पाता है अथवा ऐसे मामलों में जहां [[उत्तक परीक्षा|बायोप्सी]] की आवश्यकता होती है, समय अधिक लग सकता
[[उत्तक परीक्षा|बायोप्सी]] लेने (ऊतकों का एक छोटा नमूना लेना जिसको सूक्ष्मदर्शी से जांचा जाता है) की क्रिया इस प्रक्रिया को लम्बी कर सकती
परीक्षण के बाद, अक्सर रोगियों को मूत्रत्याग के समय जलन महसूस होती है तथा अक्सर उन्हें मूत्र में अल्प मात्रा में रक्त भी दिखाई पड़ता
परीक्षण के बाद की परेशानियों से बचने के चिकित्सा निर्देशों में आमतौर से शामिल होते हैं:
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* एक गर्म व नम कपड़े को मूत्रमार्ग के द्वार पर लगाना.
कुछ चिकित्सक [[संक्रमण]] से बचाने के लिए 1 या 2 दिनों तक [[एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)|एंटीबायोटिक]] लेने की सलाह देते
हालांकि, हाल के रुझानों में ऐसे अभिरक्षक उपचारों (एंटीबायोटिक दवाओं को निवारक उपचार के रूप में देना, जहां संक्रमण का कोई चिन्ह न हो) को निरुत्साहित किया जाता है कयोंकि इनसे जीवाणुओं के एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध क्षमता की दर बढ़ जाती
चिकित्सक मरीजों को जलन से बचाने के लिए पायरीडियम 200 मिलीग्राम लेने की सलाह देते हैं<ref>http://chealth.canoe.ca/drug_info_details.asp?brand_name_id=957&rot=4</ref>.
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