"रेने देकार्त": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: अनावश्यक अल्पविराम (,) हटाया।
छो बॉट: कोष्टक () की स्थिति सुधारी।
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* (३) कल्पित जो मस्तिष्क में ही उत्पन्न होते हैं।
 
अपनी पद्धति से देकार्त ने प्रथम सत्य "विचारक अंतरात्मा' (Thinking Self) स्थिर किया। शेष सब कुछ का अस्तित्व उसके लिए संदिग्ध (Doubtful) है। विचारक अंतरात्मा से वह अपना अस्तित्व सिद्ध करता है ( 'Cogito ergo Sum' = मैं विचार करता हूँ, इसलिए मैं अस्तित्ववान हूँ) देकार्त्त के लिए यह निष्कर्ष तर्कजन्य नहीं वरन्‌ मानस की प्रत्यक्ष अनुभूति है। द्वितीय सत्य उसके लिए ईश्वर-सर्वोच्च सत्ता है। ईश्वर भी मानसिक अनुभूति या अंतर्जात प्रत्यय है। वह बाह्य संसार की सत्यता के लिए ईश्वर के निर्माता रूप का सहारा लेता है।
 
संपूर्ण पदार्थ के उसने तीन भेद किए हैं-