"लुईस माउंटबेटन": अवतरणों में अंतर

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'''लुइस फ्रांसिस एल्बर्ट विक्टर निकोलस जॉर्ज माउंटबेटन, बर्मा के पहले अर्ल माउंटबेटन''', बेड़े के एडमिरल,, केजी, जीसीबी, ओएम, [[ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया|जीसीएसआई]], जीसीआईई, जीसीवीओ, डीएसओ, पीसी, [[रॉयल सोसायटी|एफआरएस]] (पूर्व में बैटनबर्ग के राजकुमार लुइस, 25 जून 1900 - 27 अगस्त 1979 ), एक [[संयुक्त राजशाही (ब्रिटेन)|ब्रिटिश]] राजनीतिज्ञ और नौसैनिक अधिकारी व राजकुमार फिलिप, एडिनबर्ग के ड्यूक ([[एलिजा़बेथ द्वितीय|एलिजाबेथ II]] के पति) के मामा थे। वह भारत के आखिरी वायसरॉय (1947) थे और स्वतंत्र भारतीय संघ के पहले [[भारत के गवर्नर जनरल|गवर्नर-जनरल]](1947-48) थे, जहां से 1950 में आधुनिक [[भारत|भारत का गणतंत्र]] उभरेगा. 1954 से 1959 तक वह पहले सी लॉर्ड थे, यह पद उनके पिता बैटनबर्ग के राजकुमार लुइस ने लगभग चालीस साल पहले संभाला था। 1979 में उनकी हत्या प्रोविजनल आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (आईआरए) ने कर दी, जिसने [[आयरलैण्ड|आयरलैंड रिपब्लिक]] की स्लीगो काउंटी में मुल्लाग्मोर में उनकी मछली मरने की नाव, ''शैडो V'' में बम लगा दिया था।<ref>ब्रेंडम ओब्रायन की'' द लॉन्ग वार'' (ISBN 978-0-8156-0319-1), पृष्ठ 55</ref> वह बीसवीं सदी के मध्य से अंत तक ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के समय के सबसे प्रभावशाली और विवादित शख्सियतों में से एक थे।
 
== वंशानुक्रम ==
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== प्रारंभिक जीवन ==
जीवन के पहले दस वर्षों के लिए माउंटबेटन की पढाई घर पर ही हुई. उसके बाद उन्हें [[हर्टफ़र्डशायर|हर्टफोर्डशायर]] के लाकर्स पार्क स्कूल भेजा गया और अंततः अपने बड़े भाई का अनुसरण करते हुए वह वह नौसेना कैडेट स्कूल गए। बचपन में उन्होंने रूस में [[सेंट पीटर्सबर्ग]] के दरबार का दौरा किया और रूसी शाही परिवार के अंतरंग बन गए। राजपरिवार की हत्या के बाद बाद में उन्हें बची हुई ग्रांड डचेस अनास्तासिया होने का दावा करने वालो को गलत साबित करने के लिए बुलाया जाता रहा. युवावस्था में उनमे अनास्तासिया की बहन ग्रांड डचेस मारिया के प्रति रोमांटिक भावनाए थी और जीवन के अपने अंत तक वह बिस्तर के पास उसकी तस्वीर रखते रहे.
कहा जाता है कि अपने भांजे के नाम बदलने और भविष्य की रानी के साथ सगाई के बाद उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के वंश को भविष्य का 'माउंटबेटन घराना' कह दिया था, जबकि राजमाता रानी मेरी ने 'बैटनबर्ग बकवास' के साथ कुछ भी करने से इनकार कर दिया. एक आदेश के बाद शाही घराने का नाम विंडसर बना जो अभी भी कायम है। वैसे यह नाम सम्राट की इच्छा पर बदला जा सकता है। राजकुमार फिलिप और [[एलिजा़बेथ द्वितीय|एलिजाबेथ II]] की शादी के बाद यह फैसला सुनाया गया था कि उनके गैर-शाही अविवाहित वंशज "विंडसर-माउंटबेटन' उपनाम धारण करेंगे. सम्राट के अंतिम संस्कार के एक सप्ताह बाद ही नई रानी के चाचा डिकी ( लॉर्ड माउंटबेटन) ने ब्रोडलैंड्स में मेहमानों के सामने घोषणा की कि "माउंटबेटन का घराना अब राज कर रहा hai!<ref>वि6दसर का युद्ध, 2002</ref>
 
== करियर ==
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==== पेटेंट (एकस्वाधिकार) ====
1930 के दशक में माउंटबेटन को उनका दूसरा पेटेंट (यूके संख्या 508956 ) जारी किया गया जो एक युद्धपोत को दूसरे जहाज के सापेक्ष एक स्थिर स्थिति में बनाये रखने की प्रणाली के लिए था।<ref>{{Cite web| url = http://www.wikipatents.com/gb/508956.html| title = Abstract of GB508956 508,956. Speed governors | accessdate = 2009-12-24| publisher = Wiki Patents}}</ref>
 
=== द्वितीय विश्व युद्ध ===
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[[चित्र:The Earl Mountbatten of Burma at home Allan Warren.jpg|thumb|200px|लॉर्ड माउंटबेटन ऑफ बर्मा, 1976, एलेन वारेन द्वारा लिखित.]]
{{Refimprove|date=August 2010}}
परिवार और दोस्तों के बीच माउंटबेटन का उपनाम "डिकी" था, उल्लेखनीय है कि "रिचर्ड" नाम उन्हें कभी नहीं दिया गया था। ऐसा इसलिए था, क्योंकि उनकी परदादी, महारानी विक्टोरिया, ने उपनाम 'निकी' सुझाया था, हालांकि यह रूसी शाही परिवार के कई निकी नामों से मेल खाता था ( विशेष रूप से "निकी" का उपयोग निकोलस द्वितीय, अंतिम सार), इसलिए उन्होंने इसे डिकी से बदल दिया. माउंटबेटन का विवाह विल्फ्रेड विलियम एश्ले, माउंट टेंपल के पहले बैरोन, साफ्ट्सबरी के सातवें अर्ल के पोते, की बेटी एड्विना सिंथिया एश्ले, के साथ 18 जुलाई 1922 में हुआ था। वह एदवार्डियन मैगनेट सर अर्नस्ट कैसल की सबसे प्यारी पोती और अपने भाग्य की मुख्य वारिस थी। इसके बाद वे ग्लैमरस हनीमून पर यूरोपीय कोर्ट और अमेरिका की यात्रा पर गए, इस दौरान उन्होंने डगलस फेयरबैंक्स, मैरी पिकफोर्ड और [[चार्ली चैपलिन]] के साथ [[हॉलीवुड]] की यात्रा की, चैपकलीन उस दौरान अपनी फिल्म "नाइस एंड ईजी", को फिल्मा रहे थे, इस फिल्म के मुख्य कलाकारों में फेयरबैंक्स, पिकफ़ोर्ड, चैपलिन और माउंटबेटन परिवार शामिल थे।. उनकी दो बेटियां थी: पेट्रीसिया माउंटबेटन, बर्मा की दूसरी माउंटबेटन काउंटेस (जन्म 14 फ़रवरी 1924) और लेडी पामेला कारमेन लुईस (हिक्स) (जन्म 19 अप्रैल 1929). {{Citation needed|date=August 2010}}
 
कुछ मायनों में, शुरुआत से यह जोड़ा असंगत प्रतीत होता था। लॉर्ड माउंटबेटन व्यवस्थित रहने के अपने जुनून के कारण एदविना पर हमेशा कद्ा नज़र रखते थे और उनका निरंतर ध्यान चाहते थे। कोई शौक या जुनून न होने के कारण शाही जीवनशैली अपनाने के लिए, एड्विना अपना खली समय ब्रिटिश और भारतीय कुलीन वर्ग के साथ पार्टियों में, समुद्री यात्रा करके और सप्ताहांतो में अपने कंट्री हाउस में बिताती थी। दोनों ओर से बढ़ती अप्रसन्नता के बावजूद, लुईस से तलाक देने से इंकार कर दिया क्योंकि उसे लगता था कि इससे वह सैन्य कमान श्रृंखला में आगे नहीं बढ़ पाएगा. एड्विना के कई बाहरी संबधों ने लुईस को योला लेतेलियर नामक फ्रेंच महिला से संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया। {{Citation needed|date=August 2010}} इसके बाद उनकी शादी लगातार आरोपों और संदेह से विघटित होती रही. 1930 के दशक के दौरान दोनों बाहरी संबंध रखने के पक्ष में थे। द्वितीय विश्व युद्ध ने एड्विना को 'लुईस की बेवफाई के अलावा कुछ अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर दिया. वे प्रशासक के रूप में सेंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड में शामिल हो गईं. इस भूमिका ने एड्विना को विभाजन अवधि के दौरान पंजाब के लोगों के दुख और दर्द को कम करने का उनके प्रयासों के कारण नायिका{{Who|date=August 2010}} के रूप में स्थापित कर दिया.{{Citation needed|date=August 2010}}
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== जन्म से मृत्यु तक की पदवी ==
* 1900-1913: ''हिज सेरेन हाइनेस'' प्रिंस लुईस ऑफ बटनबर्ग ( {{lang-de|Seine Durchlaucht Prinz Ludwig Franz Albrecht Viktor Nicholas Georg von Battenberg}})
* 1913-1916: कैडेट ''हिज सेरेन हाइनेस '' प्रिंस लुईस ऑफ बटनबर्ग
* 1916-1917: मिडशिपमैन ''हिज सेरेन हाइनेस'' प्रिंस लुईस ऑफ बटनबर्ग
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=== ब्रिटिश ===
* 1937: नाइट ग्रैंड क्रॉस ऑफ द रॉयल विक्टोरियन ऑर्डर - GCVO<ref>{{London Gazette|issue=34365|date=29 January 1937|startpage=693|supp=y|accessdate=13 March 2010}}</ref> (1920: MVO,<ref>{{London Gazette|issue=32086|date=15 October 1920|startpage=9987|accessdate=13 March 2010}}</ref> 1922: KCVO<ref>{{London Gazette|issue=32730|date=18 July 1922|startpage=5353|accessdate=13 March 2010}}</ref> )
* 1940: नाइट ऑफ़ जस्टिस ऑफ सेंट जॉन - KJStJ<ref>{{London Gazette|issue=34878|date=21 June 1940|startpage=3777|accessdate=13 March 2010}}</ref> (1929: CStJ)<ref>{{London Gazette|issue=33453|date=1 January 1929|startpage=49|accessdate=13 March 2010}}</ref>
* 1941: कंपेनियन ऑफ डिस्टिंगुइस्ड सर्विस ऑर्डर - DSO<ref>{{London Gazette|issue=35029|date=31 December 1940|startpage=25|supp=y|accessdate=13 March 2010}}</ref>
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* 1947: [[ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया|नाइट ग्रैंड कमांडर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया]] - GCSI
* 1947: नाइट ग्रैंड कमांडर ऑफ द इंडियन एम्पायर - GCIE
* 1955: नाइट ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ द बाथ - GCB (1943: CB, 1945: KCB<ref>{{London Gazette|issue=37023|date=6 April 1945|startpage=1893|supp=y|accessdate=13 March 2010}}</ref> )
* 1965 मेंम्बर ऑफ द ऑर्डर ऑफ मेरिट - OM<ref>{{London Gazette|issue=43713|date=16 July 1965|startpage=6729|accessdate=2 April 2010}}</ref>
 
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* स्मिथ, एड्रियन. ''माउंटबेटन: अपरेंटिस वार'' (आईबी टोरिश, 2010) 384 पृष्ठ, 1943 की जीवनी.
* एंड्रयू रॉबर्ट्स ''एमिनेंट चर्चिलियंस,'' (फीनिक्स प्रेस, 1994).
* डोमोनिक लैपियर और लैरी कॉलिंस ''फ़्रीडम एट मिडनाइट'', (कॉलिंस, 1975).
* रॉबर्ट लैसीy ''रॉयल'' (2002)
* ए. एन. विल्सन'' आफ्टर द विक्टोरिया: 1901-1953'', (हचिंसन, 2005)
* जॉन लैटिमर ''बर्मा: द फोरगोटन वार, '' (जॉन मूर्रे, 2004)
* मोंटगोमरी-मैसिंगबर्ड, ह्यूग (संपादक), '''' बुर्केस गाइड टू द फैमिली, बुर्केस पीरेज़, लंदन, 1973, ISBN 0-220-66222-3
* टोनी हैथकोट ''द ब्रिटिश एडमिरल्स ऑफ द फ्लीट 1734-1995'', (पेन एंड सॉर्ड लिमिटेड, 2002) ISBN 0-85052-835-6
* ''क्लीयर ब्लू स्काई से टिमोथी नैचबुल: सर्वाइविंग़ द माउंटबेटन बॉम्ब'', (हचिंसन 2009). माउंटबेटन के जीवित जुड़वां पोते द्वारा एक निजी खाता.
 
== बाह्य कड़ियां ==