"सोयाबीन": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 45:
खेत की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें। मानसून की वर्षा के पूर्व बोनी नहीं करे। मानसून आगमन के पश्चात बोनी शीघ्रता से पूरी करें। खेत नींदा रहित रखें। सोयाबीन के साथ ज्वार अथवा मक्का की अंतरवर्तीय खेती करें। खेतों को फसल अवशेषों से मुक्त रखें तथा मेढ़ों की सफाई रखें।
===== रासायनिक नियंत्रण =====
बुआई के समय थयोमिथोक्जाम 70 डब्लू एस. 3 ग्राम दवा प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करने से प्रारम्भिक कीटों का नियंत्रण होता है अथवा अंकुरण के प्रारम्भ होते ही नीला भृंग कीट नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत या मिथाइल पेराथियान (फालीडाल 2 प्रतिशत या धानुडाल 2 प्रतिशत
===== जैविक नियंत्रण =====
पंक्ति 65:
3 . पत्तों पर कई तरह के धब्बे वाले फफूंद जनित रोगों को नियंत्रित करने के लिए कार्बेन्डाजिम 50 डबलू पी या थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्लू पी 0.05 से 0.1 प्रतिशत से 1 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिए। पहला छिड़काव 30 -35 दिन की अवस्था पर तथा दूसरा छिड़काव 40 – 45 दिन की अवस्था पर करना चाहिए।
4 . बैक्टीरियल पश्चयूल नामक रोग को नियंत्रित करने के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या कासूगामाइसिन की 200 पी.पी.एम. 200 मि.ग्रा; दवा प्रति लीटर पानी के घोल और कापर आक्सीक्लोराइड 0.2 (2 ग्राम प्रति लीटर
5 . गेरूआ प्रभावित क्षेत्रों (जैसे बैतूल, छिंदवाडा, सिवनी) में गेरूआ के लिए सहनशील जातियां लगायें तथा रोग के प्रारम्भिक लक्षण दिखते ही 1 मि.ली. प्रति लीटर की दर से हेक्साकोनाजोल 5 ई.सी. या प्रोपिकोनाजोल 25 ई.सी. या आक्सीकार्बोजिम 10 ग्राम प्रति लीटर की दर से ट्रायएडिमीफान 25 डब्लू पी दवा के घोल का छिड़काव करें।
पंक्ति 84:
2 . ज्वार + सोयाबीन (2:2)
3 . मक्का + सोयाबीन (
4 . तिल + सोयाबीन (2:2)
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