"स्वर सहयोग": अवतरणों में अंतर

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भाषाशास्त्र में '''स्वर सहयोग''' कुछ भाषाओं में देखे जाने वाले ऐसे नियमों को कहते हैं जो यह फ़ैसला करते हैं के कौन से स्वर एक​-दूसरे के पास पाए जा सकते हैं और कौन से नहीं। उदाहरण के लिए [[तुर्की भाषा]] में स्वरों को आगे के स्वर और पीछे के स्वरों में बाँटा जाता है और एक शब्द में केवल आगे के या पीछे के स्वर हो सकते है। इन्हें एक ही शब्द में मिलाए जाने पर पाबंदी है। "तुर्की (देश) में" को तुर्की भाषा में "तुऍर्कीये दे" (Türkiye'de) कहेंगे, लेकिन "जर्मनी में" को "अल्मान्या दा" (Almanya'da) कहना होगा, क्योंकि ई (i) और उऍ ( ü) के स्वर आगे के हैं और इन्हें 'आ' (a) के साथ मिलाना वर्जित है क्योंकि वह एक पीछे का स्वर है।
 
तुर्की भाषा के अलावा स्वर सहयोग [[तुर्की भाषा परिवार]] की क​ई भाषाओं में देखा जाता है, जैसे कि काज़ाख़, किर्ग़िज़ और [[उईग़ुर भाषा|उईग़ुर]] में। भारतीय भाषाओं में यह कुछ हद तक तेलुगु और तिब्बती में देखा जाता है। इनके अतिरिक्त यह हंगेरियाई, फ़िनी (फ़िनिश), मोंगोलियाई और कोरियाई में मिलता है। [[जापानी भाषा]] के बारे में विद्वानों मे मतभेद है, क्योंकि इसके पुराने ग्रन्थों को देखकर स्वर सहयोग के कुछ चिन्ह तो मिलते हैं लेकिन वे स्पष्ट नहीं हैं।