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रोमन साम्राज्य में परिस्थितियों ने नए विचारों को फैलने में सहायता की<ref name="bokenkotter24">बोकेंकोटर, पृष्ठ 24.</ref>{{#tag:ref|The empire's well-defined network of roads and waterways allowed for easier travel, while the [[Pax Romana]] made it safe to travel from one region to another. The government had encouraged inhabitants, especially those in urban areas, to learn Greek, and the common language allowed ideas to be more easily expressed and understood.<ref name="bokenkotter24"/>|group=note}} एवं यीशू के धर्मप्रचारकों ने भूमध्यसागरीय समुद्र के पास यहूदी समुदायों में धर्मांतरितों को पाया। टारसस के पॉल जैसे धर्मप्रचारकों ने गैर-यहूदियों का धर्मपरिवर्तित करना शुरू किया, इसाई धर्म यहूदी परंपराओं से अलग हुआ<ref name="chadwickhenry23and24">चैड्विक, हेनरी, पीपी 23-24.</ref> और अपने को एक पृथक धर्म के रूप में स्थापित किया।<ref name="macculloch109">मैककलोश, ''ईसाई धर्म'', पृष्ठ 109.</ref>
 
प्रारंभिक गिरजाघर ज्यादा ढ़ीले ढ़ंग से संगठित था और इवेंजिलवाद पर आधारित था,{{citation needed|date=January जनवरी 2011}} जिसके परिणाम्स्वरूप इसाई मत की अलग अलग व्याख्या की गयी।<ref>मैककलोश, ''ईसाई धर्म'', पीपी 127-131.</ref> अपनी शिक्षाओं में वृहत निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए, द्वितीय सदी के आरंभ तक, इसाई समुदायों ने ज्यादा ढ़ांचागत श्रेणीक्रम को अपनाया, जिसके द्वारा केन्द्रीय “धर्माध्यक्ष” को अपने शहर में पादरी-वर्ग पर अधिकार दिया गया।<ref name="duffy9and10">डफी, पीपी 90-10.</ref> धर्मप्रदेशीय का संगठन स्थापित किया गया जो रोमन साम्राज्य के क्षेत्रों एवं शहरों को प्रतिबिम्बित कर रहा था। राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों में धर्माध्यक्षों ने अपने निकट के शहरों के धर्माध्यक्षों पर वृहत अधिकारों का प्रयास किया।<ref name="markus75">मार्कस, पृष्ठ 75.</ref> एंतिओक, एलेक्जेंड्रिया एवं रोम के गिरजाघरों के सर्वोच्च स्थान थे<ref name="macculloch134">मैककलोश, ''ईसाईधर्म'', पृष्ठ 134.</ref> लेकिन धर्मपीठों ने माना कि “सर्वोच्च धर्माधिकार” शासन पर “अपने उच्च उद्भव के कारण” कुछ अधिकार एवं अन्य धर्मपीठों पर अनुशासन रखे. कम-से-कम तृतीय शदी तक, रोमन धर्माध्यक्ष ने उन समस्याओं पर ’अपील की अदालत’ के रूप में पहले से ही कार्य करना प्रारंभ कर दिया था जिसे अन्य धर्माध्यक्ष नहीं सुलझा सके थे।<ref name="duffy18">डफी, पृष्ठ 18.</ref> द्वितीय शदी में शुरू करके, धर्माध्यक्ष अक्सरहां सैद्धान्तिक एवं नीति मामलों को सुलझाने के लिए क्षेत्रीय धर्मसभाओं में जुटते.<ref name="chadwick37">चैड्विक, हेनरी, पृष्ठ 37.</ref> धर्म-सिद्धांत को धर्मविज्ञानियों एवं शिक्षकों की एक श्रृंखला द्वारा और ज्यादा परिष्कृत किया गया जिन्हें सामूहिक रूप से गिरजाघर पिताओं के नाम से जाना जाता है।<ref>मैककलोश, ''ईसाईधर्म'', पृष्ठ 141.</ref> सार्वभौम परिषदों को माना गया{{who|date=November 2010}} धर्मविषयक विवादों को सुलझाने में एक अमोघ एवं निर्णयकारी के रूप में.{{citation needed|date=November 2010}}
 
रोमन साम्राज्य के अधिकांश धर्मों के विपरीत, इसाई धर्म चाहता था कि ऐसे अनुषंगी हों जो अन्य दूसरे ईश्वरों को त्याग दे. 'गैर-इसाई समारोहों में शामिल होने से इंकार करने का अर्थ था कि वे अधिकांश सार्वजनिक जीवन में शामिल होने में असमर्थ थे। इस अस्वीकृति ने गैर-इसाईयों में भय उत्पन्न किया कि इसाई लोग देवताओं को नाराज कर रहे हैं। इसाईयों के अपने कर्मकाण्ड़ों के गोपनीयता ने अफवाहों को उत्पन्न किया कि इसाई उच्छृंखल, कौटुम्बिक व्यभिचारी नरभक्षी थे।<ref name="macculloch155">मैककलोश, ''ईसाईधर्म'', पीपी 155-159.</ref><ref name="chadwick21">चैड्विक, हेनरी, पृष्ठ 41.</ref> स्थानीय अधिकारियों ने कभी-कभी इसाईयों को उपद्रवियों के रूप में देखा और कहीं-कहीं उन्हें सताया.<ref name="macculoch164">मैककलोश, ''ईसाईधर्म'', पृष्ठ 164.</ref> तीसरी सदी के अंत में इसाईयों को पीड़ित करने का ज्यादा केन्द्रीयकृत संगठित श्रृंखला प्रारंभ हुआ, जब सम्राटों ने अध्यादेश जारी किया कि साम्राज्य के सैनिक, राजनीतिक एवं आर्थिक संकटों का कारण नाराज देवताएं हैं। सभी निवासियों को आदेश दिया गया कि वे बलिदान दे या फिर सजा के लिए तैयार रहे.<ref name="chadwick41and42">चैड्विक, हेनरी, पीपी 41-42, 55.</ref> तुलनात्मक रूप से कम इसाईयों को सजा मिली,<ref name="mcmullen33">मैकमलेन, पृष्ठ 33.</ref>{{#tag:ref|[[Eusebius of Caesarea]], in a catalog of Palestinian martyrs for the [[Diocletianic Persecution|Great Persecution]], lists ninety-one victims for the years 303–11.<ref>Clarke, p. 657.</ref> His figures are not complete,<ref>Clarke, pp. 658–59.</ref> but have been used to estimate the total number of martyrs across the empire.<ref>Clarke, pp. 657–58, e.g. W.H.C. Frend, ''Martrdom and Persecution'' (Basil Blackwell, 1965; rept. Baker House, 1981), p. 536.</ref>|group=note}} अन्य बंदी बनाए गए, उत्पीड़ित किए गए, बलात श्रम लिया गया, बधिया किए गए या फिर वेश्यालयों में भेज दिए गए;<ref>क्लार्क, पृष्ठ 659.</ref> अन्य भाग गए या पहचाने नहीं जा सके,<ref name="macculloch174">मैककलोश, ''ईसाईधर्म'', पृष्ठ 174.</ref> और कुछ ने अपने धर्मविश्वासों को छोड़ दिया. कैथोलिक गिरजाघर में इन धर्मगुरूओं की भूमिका को लेकर हुई असहमति ने डोनाटिस्टों तथा नोवाटिआनिस्ट विभाजनों को उत्पन्न किया।<ref name="duffy20">डफी, पृष्ठ 20.</ref>