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'''अकलंक''' (720 - 780 ई), [[जैन धर्म|जैन]] [[न्यायशास्त्र]] के अनेक मौलिक ग्रंथों के लेखक आचार्य। अकलंक ने [[भर्तृहरि]], [[कुमारिल भट्ट|कुमारिल]], [[धर्मकीर्ति]] और उनके अनेक टीकाकारों के मतों की समालोचना करके जैन न्याय को सुप्रतिष्ठित किया है। उनके बाद होने वाले जैन आचार्यों ने अकलंक का ही अनुगमन किया है।
 
उनके ग्रंथ निम्नलिखित हैं:
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अकलंक" से प्राप्त