"अपोलो १": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:The Earth seen from Apollo 17.jpg|thumb|200px|अपोलो उपग्रह से प्राप्त पृथ्वी का चित्र]]
चन्द्रमा यह मानव मन को सदीयो से ललचाता रहा है। कवियो ने इस चन्द्रमा के लिये क्या क्या नही लिखा। विज्ञानीयो के लिये भी [[चन्द्रमा]] एक कुतुहल का विषय रहा। जब मानव पृथ्वी की सीमा को लांघ का [[ब्रम्हांड]] की गहराईयो मे गोते लगाने निकला,
[[ए एस २०४]] यह नाम था उस यान का जो अपोलो १ कैपसूल को पृथ्वी की कक्षा मे स्थापित करने वाला था। यह [[सैटर्न १बी]](Saturn 1B) राकेट से प्रक्षेपित होने वाला अमरीका का पहला अपोलो अभियान था, जो कि चन्द्रमा पर मानव के पहले कदम के लिये एक मील का पत्थर साबीत होने वाला था। इसे १९६७ की पहली तिमाही मे प्रक्षेपित किया जाना था। इस अभियान का लक्ष्य था, प्रक्षेपण प्रक्रिया की जांच, भूमीकेन्द्र द्वारा यान नियंत्रण और मार्गदर्शण की जांच था।
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== यात्री दल ==
* '''विर्गील ग्रीसम''' (मर्क्युरी-रेडस्टोन ४ तथा जेमीनी ३ का अनुभव), मुख्य चालक
* '''एड व्हाईट''' (जेमीनी ४ का अनुभव), वरिष्ठ चालक
* '''रोजर कैफी''' (अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव नही), चालक
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अपोलो १ की सफलता के बाद इस यान की दो और उडाने तय थी। पहली उडान मे अपोलो के दूसरे भाग और चन्द्रयान को सैटर्न १ बी पर प्रक्षेपीत कर पृथ्वी की निचली कक्षा मे स्थापित किया जाना था। दूसरी उडान मे [[सैटर्न ५]] पर अपोलो और चन्द्रयान दोनो को पृथ्वी की उपरी कक्षा मे स्थापित करना था।
२७ जनवरी १९६७ को यह जांच की जानी थी,
यान मे आक्सीजन का दबाव ज्यादा हो गया था और यात्रीयो और नियंत्रण कक्ष के बिच मे संपर्क टूट गया था। इस वजह से जांच को ५.४० मिनट तक स्थगित कर दिया गया। ६.२० तक उल्टी गिनती जारी थी लेकिन ६.३० को फिर से उल्टी गिनती रोक कर नियंत्रण कक्ष और यात्रीयो के बीच सपर्क स्थापित करने की कोशीश की गयी।
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