"अभिज्ञानशाकुन्तलम्": अवतरणों में अंतर

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[[गेटे|जर्मन कवि गेटे]] ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् के बारे में कहा था-
 
:‘‘यदि तुम युवावस्था के फूल प्रौढ़ावस्था के फल और अन्य ऐसी सामग्रियां एक ही स्थान पर खोजना चाहो जिनसे आत्मा प्रभावित होता हो, तृप्त होता हो और शान्ति पाता हो, अर्थात् यदि तुम स्वर्ग और मर्त्यलोक को एक ही स्थान पर देखना चाहते हो तो मेरे मुख से सहसा एक ही नाम निकल पड़ता है - शाकुन्तलम्, महान् कवि कालिदास की एक अमर रचना !’’
 
इसी प्रकार संस्कृत के विद्वानों में यह श्लोक प्रसिद्ध है-